जल चक्र

शायद आपके गिलास का पानी ठीक पिछले सप्ताह का आसमान से गिरा वारिश का पानी हो लेकिन पानी स्वयं उतना ही सुकुमार है जितनी की पृथ्वी!
जब पहली मछली समुन्द्र से बाहर ज़मीन पर आई थी, तो आपके गिलास का पानी उस

समुन्द्र का हिस्सा था। जब ब्रन्टोसोरस झील से बाहर पौधों को खाने के लिए निकला तब आपके गिलास का पानी उन झीलों का हिस्सा था।
जब राजा और रानियां, शूरवीर और महानुभाव अपने कुओं से पानी पिया करते थे तो आपके गिलास का पानी उन कुओं का हिस्सा था।
बांध तथा जल विद्युत शक्ति
बांध तथा जल विद्युत शक्ति
कुछ बांधों को विशेषतौर पर जल विद्युत जो जल द्वारा निर्मित विद्युत होती है, का निर्माण करने के लिए बनाया जाता है । इस किस्म की विद्युत कार्यशील, प्रदूषण-मुक्त तथा कम लागत की होती है । जल विद्युत सयंत्र घरो, स्कूलों, खेतों, फैक्टियों तथा व्यवसायों को उपयुक्त दर पर विद्युत मुहैया कराते हैं । जल को विशाल पाइपों के जरिए बांध में प्रायः उपलब्ध एक पावर हाऊस तक लाया जाता है । पावर हाऊस में जल की शक्ति टरबाईंनों को गोल-गोल धुमाती है तथा इस निरंतर गति से एक बल उत्पन्न होता है जिससे विद्युत-शक्ति का निर्माण किया जाता है । विद्युत सयंत्र में उत्पन्न विद्युत ऊर्जा बांध के पीछे के जल की स्थिजित ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन के परिणामस्वरूप प्राप्त की जाती है । यह जल विद्युत शक्ति को तब संग्रहित करके घरों में वितरित किया जाता है जहाँ यह टीवी देखने, कम्प्यूटर पर खेलने, खाना बनाने इत्यादि के काम आती है ।
बाढ़ और सूखा

सुरक्षा
1- अत्यधिक अपवाह को रोकने के लिए अनेकों नदियों और नहरों पर बाढ़ नियंत्रण बांध बनाए गए हैं। तेज अपवाह को अस्थाई रुप से रोककर और थोड़ी- थोड़ी मात्रा में पानी को छोड़कर नदियों के स्तर को कम किया जाता है।
बांध
बांध नहर अथवा नदी पर जल के प्रवाह को रोकने का एक अवरोध है तथा इसको कई प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जा सकता है । बांध लघु, मध्यम तथा बड़े हो सकते है । बड़े बांधों का निर्माण करना अधिक जटिल होता है जिससे अत्यधिक कार्य, शक्ति, समय तथा धन खर्च होता है । बांध का निर्माण कंक्रीट, चट्टानों, लकड़ी अथवा मिट्टी से भी किया जा सकता है । भाखड़ा बांध, सरदार सरोवर, टीहरी बांध इत्यादि बड़े बांधों के उदाहारण है । एक बांध की इसके पीछे के पानी के भार को वहन करने की क्षमता अतिआवश्यक होती है । बांध पर धकेले जाने वाली जल की मात्रा को जल-दाब कहते है । जल-दाब जल की गहराई के साथ बढ़ता है । इसके परिणामस्वरूप कई बांधों का तल चौडा होता है जिससे यह सतह के काफी नीचे बहुभागा में बहने वाले जल का भार वहन कर सकें ।
हमें बांधों की आवश्यकता क्यों होती है ?
जल संरक्षण
वर्षों से बढती जनसंख्या, औद्योगिकीकरण में वृद्धि तथा कृषि में विस्तार होने से जल की मांग बढती जा रही है । अतएव जल संरक्षण आज की आवश्यकता बन गई है । वर्षा जल संचयन मूल्यतः भवनों की छतों पर इकट्ठा करके भूमि में संरक्षण करके आगे काम में लेने की प्रक्रिया है । इसके लिए यह अत्यावश्यक है कि भू-जल की गिरावट तथा भू-जल स्तर में सुधार किया जाए तथा समुद्र के जल का अंतर्गमन अर्थात समुद्री जल को भूमि की तरफ आने से रोका जाए और वर्षा मौसम के दौरान सतही जल का अपवाह तथा शहरी अपशिष्ट जल का संरक्षण किया जाए ।
जल संरक्षण के लिए आप क्या कर सकते है ?
o -यह जांच करें कि आपके घर में पानी का रिसाव न हो।
o -आपको जितनी आवश्यकता हो उतने ही जल का उपयोग करें ।
o -पानी के नलों को इस्तेमाल करने के बाद बंद रखें ।
पानी बचाने के उपाय
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A टपकता हुआ नल सप्ताह में 90 लीटर तक पानी बर्बाद कर सकता है।
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Brush करते समय पानी चलता रखने से 9 लीटर प्रतिमिनट पानी बर्बाद होता है, मग का प्रयोग करने से पानी बचाया जा सकता है।
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Cool वाटर फ्रिज में रखने से ठंडे पानी के लिए नल खुला नहीं छोड़ना पड़ेगा।
बाल वाटिका
बूंदजल क्या है ?
जल ही जीवन है । आप भोजन के बिना एक माह से अधिक जीवित रह सकते हो, परन्तु जल के बिना आप एक सप्ताह से अधिक जीवित नहीं रह सकते । कुछ जीवों (जैसे जैली फिश) में उनका 90 प्रतिशत से अधिक शरीर का भार जल से होता है । मानव शरीर में लगभग 60 प्रतिशत जल होता है - मस्तिष्क में 85 प्रतिशत जल है, रक्त में 79 प्रतिशत जल है तथा फेफड़ों में लगभग 80 प्रतिशत जल होता है ।
पृथ्वी पर कितना जल है ?