भूजल स्तर में गिरावट के लिये जिम्मेदार है बिजली सब्सिडी

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भूमिगत जल स्तर कम होने से विभिन्न आकार की जोत वाले किसानों के कृषि अर्थतंत्र पर असर पड़ता है। लेकिन सबसे अधिक नुकसान छोटे एवं सीमांत किसानों को उठाना पड़ता है। भूजल स्तर में कमी से पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित होता है। इससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है और भूमिगत जल के वितरण में सामाजिक-आर्थिक विषमता को भी बढ़ावा मिलता है।

नई दिल्लीं !
‘‘पिछले कुछ वर्षों में पंजाब की फसल पद्धति में बदलाव देखने को मिला है और चावल की खेती के साथ-साथ भूमिगत जल पर किसानों की निर्भरता तेजी से बढ़ी है। सिंचाई के लिये भूजल की उपलब्धपता के साथ-साथ उच्च एवं सुनिश्चित पैदावार, समर्थन मूल्यि, बेहतर बाजार, रियायती कृषि इन्पुट्स और खासतौर पर मुफ्त बिजली मिलने से किसान इस गैर-परंपरागत फसल की ओर ज्यादा आकर्षित हुए हैं।’’
‘‘पंजाब में बिजली सब्सिडी बंद की जाती है तो भूजल के दीर्घकालिक उपयोग और राज्य की खस्ता आर्थिक हालत को दुरुस्त करने में मदद मिल सकती है। इससे किसानों की आय कम हो सकती है, पर फसलों पर होने वाला उनका मुनाफा बना रहेगा। सामुदायिक सिंचाई यंत्रों की स्थापना के साथ-साथ भूजल बाजार को बढ़ावा देने से भी किसान किफायती तरीके से भूमिगत जल के उपयोग के लिये प्रेरित हो सकते हैं।’’
‘‘भूमिगत जलस्तर कम होने से विभिन्न आकार की जोत वाले किसानों के कृषि अर्थतंत्र पर असर पड़ता है। लेकिन सबसे अधिक नुकसान छोटे एवं सीमांत किसानों को उठाना पड़ता है। भूजल स्तर में कमी से पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित होता है। इससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है और भूमिगत जल के वितरण में सामाजिक-आर्थिक विषमता को भी बढ़ावा मिलता है।’’
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