नदी तट पर गहरा हो रहा थाअंधकार और किनारे पर मैं घिरती रही, घिरती रही।डूबता रहामंद बहते जल का स्वर भीउस अटूट मौन मेंयकायक मौत की चुप्पियाँ बेधतेआँसू-सरीखाजीवननिस्तब्ध वातावरण पर तिर आया।1960
नदी तट पर गहरा हो रहा थाअंधकार और किनारे पर मैं घिरती रही, घिरती रही।डूबता रहामंद बहते जल का स्वर भीउस अटूट मौन मेंयकायक मौत की चुप्पियाँ बेधतेआँसू-सरीखाजीवननिस्तब्ध वातावरण पर तिर आया।1960