2020: आपदाओं में घिरा,फिर भी उम्मीद से भरा

25 Jan 2021
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2020: आपदाओं में घिरा,फिर भी उम्मीद से भरा
2020: आपदाओं में घिरा,फिर भी उम्मीद से भरा

साल 2020  कई आपदाओं के साथ आया,ना केवल कोविड,एक ऐसी महामारी जिसने पूरे विश्व को ही थाम दिया बल्कि और कई अन्य प्राकृतिक आपदाएं भी आई। इस वर्ष देश चक्रवात,अत्यधिक वर्षा बाढ़ और टिड्डियों के हमलों से भी जूझा। भारत के कई तट भी इन पांच चक्रवात अम्फान, निसर्ग, गति, निवार और बूरवी से खासे प्रभावित हुए। चक्रवात अमफान ने सबसे अधिक भीषण तबाही मचाई ,जिसे 1982 के बाद से सबसे तेज चक्रवात के रूप में आँका गया। जबकि  निसर्ग, गति और निवार व्यापक वर्षा और बाढ़ लाए। हालांकि, बुरवी का असर कम रहा।

26.3 प्रतिशत अधिक वर्षा के चलते साल  2020 में अगस्त का महीना 44 वर्षों में सबसे अधिक नमी वाला रहा। पिछले साल हुई भारी बारिश से देश के 11 राज्यों  में बाढ़ आई। जिसमें असम और बिहार सबसे अधिक प्रभावित हुए। इस बर्ष प्राकृतिक आपदाओं के अलावा मानव निर्मित आपदाएं भी आई । जिनमें से एक  बड़ी घटना असम के तिनसुकिया जिले में ऑइल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के कुएं से उत्पन्न एक प्राकृतिक गैस रिसाव से हुई । हालांकि,2020 जल क्षेत्र के लिए सब कुछ नकारात्मक नहीं था। इस दौरान कई जिले और राज्यों ने अपने बेहतरीन कार्य के लिये तारीफे भी बटोरी।

वैश्विक मान्यता

पिछले साल रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व के मान्यता प्राप्त स्थलों की सूची में पांच और वेटलैंड्स को शामिल किया गया था, जिससे देश में रामसर साइटों की कुल संख्या 42 हो गई।

ये है वो 5 वेटलैंड्स है जिन्हें रामसार साइट में नामित किया गया है :- लद्दाख में त्सो कर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स, उत्तर प्रदेश में सुर सरोवर, महाराष्ट्र में लोनार झील, उत्तराखंड में आसन संरक्षण रिजर्व और बिहार में काबरताल वेटलैंड।

साल 2020 में हमने ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन अवॉर्ड को भी देखा। देश के पांच राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में फैले आठ समुद्र तटों को विश्व स्तरीय मान्यता प्राप्त इको-लेबल पुरस्कार दिया गया । ये पुरस्कार फाउंडेशन  फॉर एनवायरमेंट एजुकेशन, डेनमार्क द्वारा प्रमाणित है जो 4 प्रमुख मुद्दे पर्यावरण शिक्षा और सूचना, पानी की गुणवत्ता, पर्यावरण प्रबंधन और संरक्षण और समुद्र तटों पर सुरक्षा सेवाओं के अलावा 33 कड़े मापदंडों पर आधारित है। जिन समुद्र तटों को पुरस्कार मिला वे हैं गुजरात में शिवराजपुर, दीव में घोघला, कर्नाटक में कासरकोद और पदुबिद्री, केरल में कप्पड़, आंध्र प्रदेशमें ऋषिकोंडा, ओडिशा में स्वर्ण और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में राधानगर।

अच्छा काम करने वाले राज्य

गोवा देश का पहला 'हर घर जल' राज्य बन गया है। जिसने जल जीवन मिशन (JJM) के लाभों का कुशलतापूर्वक उपयोग करके अपनी एक अलग पहचान बनाई। इस नई योजना का उद्देश्य  ग्रामीणों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर उसे बेहतर बनाना है। इसी तरह, मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने राइट टू वॉटर क़ानून का मसौदा तैयार किया है, एक ऐसा कानून जो राज्य के 76.2 मिलियन निवासियों के लिए प्रति दिन न्यूनतम 55 लीटर पानी देने की गारंटी देता है। साथ ही ,पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले किसी भी व्यक्ति पर जुर्माना लगाया जा सकता है  जिसमें  दोषी को 18 महीने की जेल के साथ  पानी के बुनियादी ढांचे के विकास कार्य के  लिए 0.5 प्रतिशत सेस देना अनिवार्य होगा। 

तेलेंगाना में मिशन भगीरथ का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन हुआ। राज्य में हर घर  साफ पानी आपूर्ति करने और भूमिगत पानी पर निर्भरता कम करने के लिए  मिशन भगीरथ की शुरुआत की गई । अब राज्य पूरी तरह  से फ्लोरोसिस मुक्त हो चुका है।  6 साल पहले वर्ष 2014 में जब राज्य का गठन हुआ था तब करीब 967 गांव इससे प्रभावित हुए थे। दूसरी तरफ उत्तरप्रदेश  57.13 लाख श्रमिकों को मनरेगा के तहत रोजगार देकर  शीर्ष राज्य बना हुआ है ।इन श्रमिकों की एक बड़ी संख्या जल संरक्षण परियोजनाओं में लगी हुई थी जैसे तालाबों और नदियों का कायाकल्प करना। 

जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय जल पुरस्कार, 2019 में तमिलनाडु और मिजोरम ने  सर्वश्रेष्ठ राज्य (सामान्य श्रेणी) और सर्वश्रेष्ठ राज्य (विशेष श्रेणी) प्राप्त करके अपने लिए प्रशंसा अर्जित की है।

जबकि तमिलनाडु ने अपनी सिंचाई क्षमता का विस्तार किया और अपनी भंडारण क्षमता को बढ़ाने के लिय नए जलाशयों का निर्माण किया वहीं मिजोरम ने सारा ज़ोर जल संचयन को बढ़ावा देने में लगाया।

सफलतापूर्वक स्टोरी जिसने ध्यान केंद्रित किया

केरल के वायनाड जिले के एक गाँव ने एक ट्री-बैंकिंग योजना को शुरूआत की।  जिसमें किसान एक स्थानीय सहकारी बैंक से ब्याज मुक्त ऋण लेने के लिए रोपण के एक साल बाद अपने पेड़ की छटाई कर सकते हैं। इस योजना का उद्देश्य किसानों को पेड़ों की कटाई से रोकना है, यह एक ऐसी प्रथा है जो हाल के वर्षों में व्यापक हुई है। वही नासिक नगर निगम ने  गोदावरी नदी में साल 2003 के नासिक कुंभ मेले से पूर्व बनी रिवर फ्रंट को बंद कर गोदावरी को मुक्त करने की एक मिसाल कायम की है।नदी के तट और तल पर किये गए निर्माण कार्यों ने उसे एक बाथटब में बदल  दिया है। नदी अपने प्रवाह के लिए भूमिगत जल और छोटी-छोटी स्प्रिंग्स पर निर्भर थी, लेकिन निर्माण कार्यों के चलते यह संबध टूट गया   

पिछले साल,लगातार चौथी बार इंदौर ने एक बार फिर स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में देश का सबसे स्वच्छ शहर होने के लिए प्रशंसा हासिल की। जबकि छत्तीसगढ़ 100 से अधिक ULB के साथ सबसे स्वच्छ राज्य होने के लिए पहले स्थान पर है, झारखंड 100 से कम ULB में सबसे स्वच्छ राज्य के रूप में सबसे ऊपर रहा। 

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले ने एक ही महीने में 2,605 गहरे गड्ढे और  469 जल चौपाल (ग्राम जल संस्थान) बनाकर  लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराकर देश मे अपनी एक अलग पहचान बनाई है राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यह अभियान एक तरह से ऐसा सामुदायिक सहभागिता वाला  मॉडल है जिसमें ग्रामीण समुदाय जल को बड़े पैमाने पर संरक्षित करने का कार्य करेंगे। कुछ इसी तरह का कार्य  गुजरात के वडोदरा जिले में हुआ है जहाँ  छह करोड़ से कम के खर्च में नौ महीने के भीतर 1,000 प्राथमिक और माध्यमिक सरकारी स्कूलों में वर्षा जल संचयन की संरचनाएं स्थापित कर एक मिसाल पेश की।  

सरकार की पहल

साल 2020 के शुरुआती साल में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा नए वेटलैंडस संरक्षण नियमों की अधिसूचना जारी की गई। इस नई अधिसूचना में उद्योगों की स्थापना व विस्तार और वेटलैंड्स के अंदर निर्माण और विध्वंस कचरे के निपटान पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके एक महीने बाद, स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण के लिए 52,494 करोड़ रुपये के अनुमानित केंद्रीय और राज्य बजट के साथ मंजूरी दी गई। दूसरा चरण, 2020-21 और 2024-25 के बीच एक मिशन मोड पर लागू किया जाएगा,जिसमें खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ प्लस) पर खासतौर से ध्यान केंद्रित किया जाएगा साथ ही ओडीएफ स्थिरता और ठोस और लिक्विड वेस्ट मैनजेमेंट (एसएलडब्ल्यूएम) को भी शामिल  किया गया है 

पिछले वर्ष अगस्त में ही जल मंत्रालय ने भारत जल संसाधन सूचना प्रणाली (इंडिया-डब्ल्यूआरआईएस) का एक नया संस्करण लॉन्च किया, जिसे विशेषकर आम लोगों के लिए खोला गया है। इसमें डैशबोर्ड के माध्यम से लोग जल संसाधन से सम्बंधित वर्षा,नदियां,जल स्तर और नदियां,जल निकाएं,नदियों का निर्वाहन,भूजल स्तर,जलाशय भंडारण के बारे में जानकारी ले सकेंगे। 

वर्ष 2020 के अंत तक, केंद्र ने भूजल उपयोग के लिए संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए, जो नए उद्योगों और खनन परियोजनाओं को अति-शोषित क्षेत्रों में नियंत्रित करता है। नए दिशानिर्देश मौजूदा उद्योगों, वाणिज्यिक इकाइयों और बड़ी हाउसिंग सोसाइटियों को विस्तारित अनुपालन शर्तों के तहत 'अनापत्ति प्रमाणपत्र' (एनओसी) लेने के लिए बाध्य करते हैं। इसके साथ ही, पैक किए गए पेयजल के लिए मानकों को संशोधित किया गया था। नए संशोधन के अनुसार, पैकेज्ड पेयजल में कैल्शियम और मैग्नीशियम की अनिवार्य आवश्यकता क्रमशः 20-75 मिलीग्राम / लीटर और 10-30 मिलीग्राम / लीटर निर्धारित की गई है।

विश्व बैंक के साथ दूसरे बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना (DRIP-2) को भी $ 250 मिलियन का ऋण प्रदान करने के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है। दुनिया के सबसे बड़े बांध प्रबंधन कार्यक्रम के रूप में इस परियोजना को देश की सभी राज्यों के लगभग 120 बांधों में लागू किया जाएगा।

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए परियोजनाओं को स्थगित कर दिया

उभरती पारिस्थितिक चिन्ताओं ने व्यहवारिकता और अपर्याप्त जानकारी पर सवाल उठा दिए है .पर्यावरण मंत्रालय के प्रमुख विशेषज्ञ पैनल ने कुछ परियोजनाओं पर निर्णय टाल दिए हैं, जिसमें अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी और मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की मरीना परियोजनाओं में 3,097 मेगावाट की एटलिन हाइड्रोपावर परियोजना शामिल है।इनके साथ ही, दूसरी बड़ी परियोजनाएँ जिनकी हरी झंडी स्थगित की गई है वे है ओडिशा के झारसुगुड़ा में 2,400 मेगावाट की तालाबीरा तापीय विद्युत परियोजना और तेलंगाना में अमराबाद टाइगर रिजर्व में यूरेनियम की खोज ।

 परियोजनाओं का टलना पर्यावरणविदों की एक बड़ी जीत है जो लंबे समय से उनका विरोध कर रहे हैं मुख्य रूप से दिबांग घाटी की एटलिन परियोजना जो पारिस्थितिक रूप से पूर्वोत्तर के नाजुक क्षेत्र को नष्ट कर देगी।

मध्य प्रदेश में लोअर ऑयर डैम परियोजना के लिए ग्रीन क्लीयरेंस जो केन-बेतवा नदी इंटरलिंकिंग परियोजना का हिस्सा है, को स्थगित कर दिया गया क्योंकि इससे घने जंगलों , गिद्धों और बाघों के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया था। इसी तरह, झारखंड में धालभूमगढ़ हवाई अड्डा परियोजना को हाथी के आवास की सुरक्षा के लिए आश्रय दिया गया है।

मूल आलेख अंग्रेजी में पढ़ने के लिए क्लिक करें

 

 


 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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