अखिलेश के अफसरों ने मुलायम के ड्रीम प्रोजेक्ट को लूटा

28 Oct 2013
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लायन सफारी परिसर में पाकड़ के 13,555 पौधे, बरगद के 2581,पीपल के 9472, शीशम के 15,930, तथा नीम के 13,610 पौधों सहित कुल डेढ़ लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं। सभी पौधों को चार मीटर की दूरी पर रोपा गया है। वन विभाग के अफसरों की सफाई है कि हरित पट्टिका तर्ज पर पौधों का रोपण हुआ है और इसके लिए एक हेक्टेयर में 600 पौधों का मानक है उसी के आधार पर पौधे रोपे गए हैं लेकिन सवाल यह है कि जब पेड़ बड़े होंगे तो इतनी कम दूरी में कैसे पनपेंगे। मुख्यमंत्री, उनके पिता मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री के चाचा शिवपाल सिंह यादव आए दिन उत्तर प्रदेश के भ्रष्ट अफसरों का दुखड़ा खुलेआम सार्वजनिक करते आए हैं इसके बावजूद भ्रष्ट अफ़सर अपनी हरकतों से बाज आने को तैयार नहीं है। इस बार भ्रष्टाचार का एक ऐसा मामला सामने आया है जो खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विभाग वन मंत्रालय से जुड़ा हुआ है और उस कार्य की रिर्पोट प्रतिदिन सीधे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लेते रहते हैं। यह प्रोजेक्ट कहीं और नहीं बल्कि खुद मुख्यमंत्री के जिला इटावा में है, जो उनके पिता मुलायम सिंह यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट है इस प्रोजेक्ट के फिशर वन में किए गए पौधारोपण में वन अफसरों ने ऐसा घालमेल किया है कि सबको हैरत में डाल दिया है जाहिर है अफसरों के घालमेल से पौध के पेड़ बनने में गंभीर संकट आएगा साथ ही विभाग का करीब 32 लाख रुपए भी बेमकसद हो गया है।

5 अक्टूबर को खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव लायन सफारी का अवलोकन करने के लिए आए थे उस समय फिशरवन में दोनों लोगों ने पौधा रोपण किया था यह कहा गया था कि मुख्यमंत्री से जो पौधा लगावाया गया है वो पौधारोपण योजना का आखिरी पौधा है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट लायन सफारी के आसपास फिशर वन इलाके में किए गए पौधारोपण में भारी अनियमितता बरती गई है। पेड़ों को लगाने में कोई मानक तय नहीं किया गया है मनमाने तरीके से लगाए गए पेड़ों के कारण अब इस तरह की बातें सामने आने लगी हैं कि पेड़ों के नाम पर लाखों रुपए बर्बाद कर दिए गए हैं।

सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट लायन सफारी में हुए पौधारोपण में मानकों के साथ जमकर लापरवाही हुई है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देशन में लायन सफारी का निर्माण वन विभाग के अफसरों की देख रेख में किया जा रहा है लेकिन भ्रष्ट और घूसखोर अफसर मुख्यमंत्री के पिता के डीम प्रोजेक्ट में भी हाथ साफ कर दें तो इसे कोई हैरत की बात इसलिए नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि आए दिन मुख्यमंत्री, उनके पिता, चाचा शिवपाल अफसरों की भ्रष्टाचारी रूख की चर्चा खुलेआम करते आते रहे हैं। शायद इसी वेदना का फायदा उठा कर वन मंत्रालय के अफसरों ने अखिलेश यादव के पिता के ड्रीम प्रोजेक्ट को भी निशाने पर ले लिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह अफसरों की फितरत होती है इसी कारण पौधारोपण में यह सब घालमेल सामने आ रहा है और घालमेली अफसर मलाई काटने में जुटे हुए हैं।

लायन सफारी में लूटबरगद, नीम और पाकड़ जैसे लंबी उम्र वाले पौधों को भी वन विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने ऐसी जल्दी में रोपा है, जिसमें उसमें आने वाले समय में इन पौधों को फैलने की जगह कतई नहीं मिलेगी, यह भी हो सकता है कि भविष्य में इनमें से अधिकांश पौधों को काटना भी पड़ जाए। क्योंकी इतने करीब करीब पेड़ों को लगाए जाने से पेड़ों के सही ढंग से स्थापित होने में भी संकट नजर आ रहा है। लाइन सफारी इलाके से जुड़े हुए फिशर वन इलाके में करीब 25000 से अधिक संख्या में रोपे गए पौधों को लेकर विभागीय अधिकारी अपनी सफाई देने में लगे हैं। लेकिन वन अफसरों की सफाई से ना तो पौधे बचेंगे और न ही पर्यावरण का ही सही ढंग से संरक्षण हो पाएगा।

लायन सफारी परिसर में पाकड़ के 13,555 पौधे, बरगद के 2581,पीपल के 9472, शीशम के 15,930, तथा नीम के 13,610 पौधों सहित कुल डेढ़ लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं। सभी पौधों को चार मीटर की दूरी पर रोपा गया है। वन विभाग के अफसरों की सफाई है कि हरित पट्टिका तर्ज पर पौधों का रोपण हुआ है और इसके लिए एक हेक्टेयर में 600 पौधों का मानक है उसी के आधार पर पौधे रोपे गए हैं लेकिन सवाल यह है कि जब पेड़ बड़े होंगे तो इतनी कम दूरी में कैसे पनपेंगे। जब की हकीक़त में अंदरखाने अधिकारी भी मानते हैं कि पौधों का रोपण गलत हुआ है लेकिन खुलेआम वो कुछ भी कहने से बच रहे हैं। अगर हकीक़त में मानक का ध्यान रखा गया होता तो वन मंत्रालय को एक अनुमान के अनुसार करीब 32 लाख की बचत होती। लायन सफारी में रोपे गए बरगद, पीपल, शीशम, नीम, और पाकड़ की संख्या 55,148 है। यदि इन्हें दस मीटर की दूरी पर भी रोपा जाता तो लगभग 25000 से अधिक पौधे बच जाते। वन विभाग ने एक पौधे को 125 रुपये में खरीदा है, ऐसे में विभाग को लगभग 32 लाख रुपये से भी अधिक की बचत होती लेकिन किसी ने ध्यान ही नहीं दिया।

इटावा के जिला उद्यान अधिकारी धर्मपाल सिंह यादव कहते हैं कि बरगद की उम्र सौ साल से भी अधिक होती है यह पौधा 40 मीटर वर्गाकार दूरी तक में फैलता है, इसका रोपण दस मीटर से कम दूरी में नहीं होना चाहिए, अधिकतम 15 मीटर तक की दूरी रख सकते हैं। इससे ही पेड़ों को पर्याप्त पनपने का मौका मिलेगा। पाकड़, नीम, पीपल के बारे में भी इनकी कुछ इसी तरह की भी राय है।

लायन सफारी में लूटइटावा के प्रभागीय वन निदेशक मानिक चंद्र यादव का कहना है कि वन विभाग के बडे अफसरों के निर्देश पर पौधो का रोपण किया गया है अगर कोई समस्या आएगी तो बाद में विरल करा देंगे पौधों को उच्च अधिकारियों के निर्देश पर रोपित कराया गया था, अधिक घने हो जाएंगे तो अच्छा है जरूरत पड़ी तो बाद में विरल करा देंगे। वैसे एक हेक्टेयर में छह सौ पौधे लगाने का प्रावधान है। भले ही वन अफ़सर की इस सफाई को एक बयान भर मान लिया जाए लेकिन कोई उनसे यह पूछे कि अगर मानक के अनुरूप पौधारोपण नहीं करना था तो फिर करीब 32 लाख रुपए की बर्बादी का आखिरकार जिम्मेदार कौन है।

पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फार कंजरवेशन आफ नेचर के सचिव डा.राजीव चौहान का कहना है कि वे पहले से ही इस बात का सवाल उठाते भी रहे है कि जो पौधा रोपण फिशर वन में किया जा रहा है उसका मानक पहले तो सही नहीं है इस साथ ही पौधों की क्वालिटी पर भी ध्यान नहीं रखा गया है उनका कहना है कि सामाजिक वानिकी के कुछ अफ़सर अपने आप को मुख्यमंत्री से जुड़ा हुआ बता कर इस तरह के घालमेल में शामिल हैं इसलिए स्थानीय वन कर्मी कुछ भी ना तो कह पा रहे है और नहीं ही कर पा रहे हैं जाहिर है ऐसी गड़बड़ी के लिए मुख्यमंत्री को खुद ही बड़े स्तर पर पड़ताल करानी चाहिए ताकि गड़बड़ी करने वाले अफसरों का पर्दाफाश हो सके।

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