अन्तःगृहीय प्रदूषण - घरों के अंदर होने वाला प्रदूषण (Indoor Pollution causes and remedies in Hindi)

29 Aug 2017
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सारांश


वायु प्रदूषक प्रतिरक्षण हमारे घर का आन्तरिक हिस्सा बन रहे हैं यह गहन चिन्ता का विषय है। इसलिये हमें आवासीय वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिये प्रयास करने होंगे। आन्तरिक वातावरण में उपस्थित वायरस, बैक्टीरिया, परागकण, धुआँ, आर्द्रता, विभिन्न मानव जनित क्रियाओं में उत्सर्जित होने वाली गैस, रासायनिक पदार्थ स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। ये पदार्थ एलर्जी संक्रमण व कई घातक रोगों का कारण हैं। बदलती जीवन शैली में हम सुख सुविधाओं पर ज्यादा ध्यान देते हैं जबकि अपने जीवन में आधे से ज्यादा समय श्वसन क्रिया में आन्तरिक वायु को प्रयोग करते हैं। प्रस्तुत लेख आन्तरिक वायु प्रदूषकों के स्वास्थ्य पर प्रभाव व नियंत्रण के उपाय पर आधारित है।

Abstract - Indoor air pollution is a major problem in our daily life. Efficient corrective methods are urgently needed to combat the problem of indoor air quality virus has Bacteria pollen grains, smoke, humidity, chemical substance and gases released in anthropogenic activity have adverse health effects in humans. Indoor air is dominant exposure for humans, more than half of body’s intake during life time is air inhaled in the home. This article is a study based on the effect of indoor air pollutant and their control measures.

प्रस्तावना - पर्यावरण प्रदूषण एक विस्तृत विषय है, और जब वायु प्रदूषण की बात होती है तब हमारा मन ऊँची फ़ैक्टरी से, वाहनों से, ईंधन के जलने से निलने वाले धुएँ की ओर जाता है। आज के परिवेश में जब लोग अधिकांश समय घर के अन्दर व्यतीत करते हैं इसलिये हमें घर के अन्दर की वायु बाहरी वायु से ज्यादा प्रभावित करती है। यू.एस.ए. एन्वायरनमेंट प्रोटक्शन एजेन्सी के अनुमानित आंकड़ों के अनुसार लोग लगभग 90 प्रतिशत समय इनडोर व्यतीत करते हैं। अच्छा आन्तरिक वातावरण इसमें रहने वाले लोगों को अच्छा स्वास्थ्य व आराम देता है। सिक बिल्डिंग सिन्ड्रोम SBS व बिल्डिंग रिलेटेड इलनेस की समस्या आन्तरिक वायु के कारण होती है। घर के अन्दर प्रदूषित वायु कई गम्भीर बीमारियों को जन्म देती है। हाल ही में प्रकाशित विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की रिपोर्ट में कहा गया है कि आन्तरिक वायु में उपस्थित प्रदूषक वाह्य वायु की तुलना में 1000 गुना ज्यादा आसानी से मनुष्य के फेफड़ों में पहुँच जाते हैं। और वाह्य वायु की तुलना में आंतरिक वायु में प्रदूषकों की सांद्रता ज्यादा होती है। आन्तरिक वायु प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष विश्व स्तर पर मरने वालों की संख्या 3.5 मिलियन है जो कि वाह्य प्रदूषण से मरने वालों की संख्या से बहुत ज्यादा है। भारत में उच्च रक्तचाप के बाद दूसरे स्थान पर आन्तरिक वायु प्रदूषण से मरने वाले हैं। इन्टरनेशनल एनर्जी एजेन्सी द्वारा आन्तरिक वायु प्रदूषण के असमय मृत्यु के वर्ष 2015 के व वर्ष 2040 के सम्भावित आंकड़े (विश्व स्तर पर भारत व चीन) के लिये प्रकाशित किये गये हैं। सारणी-1 में वर्ष 2015 के व सारणी-2 में वर्ष 2040 के सम्भावित आंकड़े दर्शाये गये हैं।

आन्तरिक वायु प्रदूषक के श्रोत - दहन श्रोत- घरों के अन्दर चूल्हा जलने से बिल्डिंग व औद्योगिक इकाईयों में दहन प्रक्रिया से कार्बन डाइऑक्साइड CO2 कार्बन मोनोऑक्साइड CO व नाइट्रोऑक्साइड NO ओजोन उत्सर्जित करने वाले श्रोत- फोटोकॉपी करने वाली मशीन, वातानुकूलित स्प्रे।

फॉरमल्डिहॉइड उत्सर्जन के श्रोत - बिल्डिंग मेटीरियल, पेपर की प्रिंटिंग
रेडॉन उत्सर्जन के श्रोत - पुरानी बिल्डिंग, नींव व दरारों से
धूम्रपान - कैंसर कारक बेन्जो-पाइरीन, बेन्जो-एन्थ्रासीन
जैविक क्रियायें - वातावरण में ऑक्सीजन को कम कर देती हैं।
Co2 की मात्रा में बढ़ोत्तरी - तापमान में वृद्धि व आर्द्रता में वृद्धि उत्पन्न करती है।

 

सारणी-1 (वर्ष 2015 के आंकड़े)

 

वायु पदूषण के कारण असमय मरने वालों की संख्या

आन्तरिक वायु पदूषण के कारण

बाह्य वायु प्रदूषण के कारण

विश्व स्तर पर

6.5 मिलियन

3.5 मिलियन

3.0 मिलियन

भारत

1.6 मिलियन

1 मिलियन

5,90,000

चीन

2.2 मिलियन

1.2 मिलियन

1 मिलियन

 

 

सारणी-2 (वर्ष 2040 के लिये संभावित आंकड़े)

 

वायु पदूषण के कारण असमय मरने वालों की संख्या

आन्तरिक वायु पदूषण के कारण

बाह्य वायु प्रदूषण के कारण

विश्व स्तर पर

7.5 मिलियन

3 मिलियन

4.5 मिलियन

भारत

1.7 मिलियन

8,00,000

9,00,000

चीन

2.5 मिलियन

1 मिलियन

1.5 मिलियन

 

स्वास्थ्य पर प्रभाव - विभिन्न आन्तरिक वायु प्रदूषक स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होते हैं। इन प्रदूषकों के घातक प्रभाव के कारण इनको तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।

 

श्रेणी

स्वास्थ्य पर प्रभाव

प्रदूषक

एलर्जी कारक

नाक व गले में जलन, सर्दी, जुकाम व छींक आना    

धूल, परागकण, लकड़ी का धुआँ

संक्रमण कारक

नाक व गले में संक्रमण, निमोनिया, सिनसाइटिस, श्वसन तन्त्र में संक्रमण, बॉन्काइटिस

बैक्टीरिया, वायरस, कवक

रासायनिक यौगिक

नेत्रदोष, सिरदर्द, अवसाद, कमजोर याददाश्त, असमय मृत्यु

फार्मल्डिहाईड, कार्बनमोनोेऑक्साइड, कीटनाशक, टॉलुईन, बेन्जीन

 

आन्तरिक वायु प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय


1. प्रदूषक उत्सर्जक स्रोत को नियंत्रित करके।
2. घर के दरवाजे व खिड़कियाँ खुले रखें जिससे स्वच्छ वायु का आवागमन हो सके।
3. खाना पकाने के लिये ऐसे ईंधन का प्रयोग किया जाये जिसका पूर्ण रूप से दहन हो।
4. धुम्रपान को हतोत्साहित करना चाहिये क्योंकि इसमें कैंसर कारक बेन्जोपाइरीन व बेन्जोऐन्थ्रासीन पदार्थ होते हैं।
5. घर में इंडोर पौध प्रदूषकों को अवशोषित कर वायु की गुणवत्ता बनाये रखते हैं। उदाहरण के लिये- बैम्बूपाम, स्पाइडर प्लांट, क्राइजेन्थेंमम, वाइनीज एवरग्रीन आदि। पौधे वायु से फार्मल्डिहाइड, बेंजीन व कार्बन मोनोऑक्साइड को हटा देते हैं।
6. जागरुकता अभियान के माध्यम से
7. सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जैसी वैकल्पिक ऊर्जा का प्रयोग करके

निष्कर्ष - आंतरिक वायु प्रदूषण की समस्या का प्रभावी समाधान नित्यप्रति घरेलू कार्यों में समायोजन, स्वास्थ्य ऊर्जा पर्यावरण हाउसिंग व ग्रामीण विकास के लिये उत्तरदायी एजन्सी के बीच सहयोग व समन्वय से किया जा सकता है।

अवलोकित संदर्भ
1. सेंटर फॉर साइंस एनवायरमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट।
2. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट।
3. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट।
4. इन्टरनेशनल एनर्जी एजेन्सी की रिपोर्ट, वर्ष 2015।

असिसटेंट प्रोफेसर, रसायन शास्त्र विभाग
श्री जय नारायण्न स्नातकोत्तर महाविद्यालय, लखनऊ 226001 उ.प्र. भारत
Kalpanajnpg@gmail.com

प्राप्त तिथि-31.07.2016 स्वीकृत तिथि-19.09.2016

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