अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन

9 Jun 2018
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ज्यादातर देशों में बड़ी आबादी कृषि पर आधारित है। कई देशों को सम्भावित सौर ऊर्जा विनिर्माण इको-सिस्टम में दिक्कतों और कमियों का सामना करना पड़ता है। सभी जगहों पर ऊर्जा की पहुँच की कमी, ऊर्जा समानता और इसकी सस्ती कीमत ज्यादातर सौर समृद्ध देशों में आम मुद्दे हैं। अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन के जरिए सौर संसाधनों के लिहाज से अमीर देशों का गठबनधन बनाया गया है, ताकि उनकी खास ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सके। अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन (आईएसए) का लक्ष्य और मिशन सौर संसाधनों से समृद्ध देशों के बीच सहयोग के लिये मंच मुहैया कराना है। इस मंच के जरिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय इकाइयों, कारपोरेट, उद्योग और अन्य सम्बन्धित पक्षों समेत वैश्विक समुदाय को सौर ऊर्जा के इस्तेमाल में बढ़ोत्तरी का लक्ष्य हासिल करने में मदद करना है, ताकि सतत, सुरक्षित और सस्ते तरीके से ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सके।

इससे पहले, कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच मौजूद सौर समृद्ध देशों की सौर तकनीक सम्बन्धी जरूरतों के लिये अलग से कोई संस्था नहीं थी। इनमें से ज्यादातर देश सूरज की किरणों के अधिकतम अवशोषण से जुड़े ठिकाने पर मौजूद हैं। इन देशों में पूरे वर्ष तेज सूरज की किरणें देखने को मिलती हैं, जिससे सस्ती सौर ऊर्जा के लिये गुंजाईश बनती है।

ऐसे ज्यादातर देशों में बड़ी आबादी कृषि पर आधारित है। कई देशों को सम्भावित सौर ऊर्जा विनिर्माण इको-सिस्टम में दिक्कतों और कमियों का सामना करना पड़ता है। सभी जगहों पर ऊर्जा की पहुँच की कमी, ऊर्जा समानता और इसकी सस्ती कीमत ज्यादातर सौर समृद्ध देशों में आम मुद्दे हैं। अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन (आईएसए) के जरिए सौर संसाधनों के लिहाज से अमीर देशों का गठबनधन बनाया गया है, ताकि उनकी खास ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सके।

यह गठबन्धन इस सम्बन्ध में कमियों की पहचान कर उससे निपटने के लिये मिलकर काम करने की खातिर भी प्लेटफार्म मुहैया कराएगा। साथ ही, यह प्लेटफार्म उन मकसदों या कोशिशों के लिये काम नहीं करेगा, जिसके लिये अन्य संस्थाएँ मसलन अन्तरराष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए), अक्षय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता पार्टनरशिप (आरईईपी), अन्तरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईएए), 21वीं सदी के लिये अक्षय ऊर्जा नीति नेटवर्क (आरईएन 21), संयुक्त राष्ट्र की संस्थाएँ और अन्य द्विपक्षीय संस्थान फिलहाल काम कर रहे हैं। हालांकि, मंच इन संस्थानों के साथ नेटवर्क स्थापित कर उनके साथ मिलकर काम करेगा और उनकी कोशिशों में लगातार पूरक के तौर पर काम करता रहेगा।

भारत के प्रधानमंत्री और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वां ओलांद ने 30 नवम्बर 2015 को पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन का अनावरण किया था। अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन ने 2030 तक 1 टेरावॉट सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। फ्रांस के वर्तमान राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों का कहना है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये 1 खरब डॉलर की जरूरत होगी।

भारत इस गठबन्धन का संस्थापक सदस्य है। गठबन्धन में इसकी अहम भूमिका है। अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन पहली ऐसी अन्तरराष्ट्रीय संस्था है, जिसका भारत में सचिवालय होगा। भारत ने 2022 तक 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है और यह अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन के लक्ष्य का 10वाँ हिस्सा है।

अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन 121 सम्भावित सदस्य देशों को लेकर खुला है और इसमें ज्यादातर कर्क से मकर रेखा के बीच मौजूद हैं। दरअसल, दुनिया के इस हिस्से में वर्षों के अधिकांश में सूरज की तेज किरणें नजर आती हैं।

अब तक 56 देश अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन से जुड़े समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। इनमें अॉस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, बेनिन, ब्राजील, बुरकीनो फासो, काबो वर्दे, कंबोडिया चिली, कोमोरोस, कोस्टा रिका, क्यूबा, डोमनिकन रिपब्लिक, डी.आर.कान्गो, इथियोपिया, फिजी, फ्रांस, गाम्बिया, घाना, गिनी, गिनी-बिसाऊ, गुयाना, भारत, किरीबाती, लाइबेरिया, मेडागास्कर, मलावी, मॉरीशस, मोजांबिक, नाउरु, नाइजर, नाइजीरिया, पेरू, रवांडा, साओ तोमे, सेनेगल, सेशेल्स, सोमालिया, दक्षिणी सूडान, श्रीलंका, सूरीनाम, तोगो, तोंगा, यूएई, यूगांडा, वेनेजुएला और यमन आदि शामिल हैं।

आईएसए का उद्देश्य

गठबन्धन के सदस्य देश सामूहिक रूप से अपनी जरूरतों के मुताबिक सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने से जुड़ी चुनौतियों से निपटेंगे। सदस्य स्वैच्छिक आधार पर शुरू की गई गतिविधियों और अभियानों के जरिए समन्वित कार्रवाई करते हैं, जिसका मकसद सौर वित्त, सौर तकनीक, नवोन्मेष, शोध व विकास और क्षमता निर्माण के लिये काम करना है।

इस अभियान में सदस्य देश एक-दूसरे के साथ मिलकर सहयोग करते हैं और सम्बन्धित संस्थानों, सार्वजनिक और निजी संस्थानों और गैर-सदस्य देशों के साथ पारस्परिक तौर पर फायदेमन्द रिश्तों के लिये हर मुमकिन कोशिश करते हैं।

हर सदस्य देश सौर सम्बन्धी नई-नई जानकारी साझा करते हैं। दरअसल, अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन का मकसद सामूहिक कार्रवाई के जरिए सम्बन्धित दिशा में ज्यादा फायदा उठाना है। सहयोग से जुड़ी सम्भावनाओं को प्रमुखता से पेश करने के लिये सचिवालय इन गतिविधियों का डेटाबेस रखता है।

कार्यक्रम और अन्य गतिविधियाँ

सदस्य देशों द्वारा समन्वित तरीके से काम, परियोजनाओं और गतिविधियों को अंजाम दिया जाएगा और उनके पास आसान, हासिल करने योग्य लक्ष्य होंगे। गठबन्धन के दो सदस्यों या कई सदस्यों के समूह या सचिवालय द्वारा किसी कार्यक्रम का भी प्रस्ताव किया जा सकता है। सचिवालय गठबन्धन के सभी कार्यक्रमों के बीच सुसंगति सुनिश्चित करता है।

अब तक हुई प्रगति

अन्तरराष्ट्रीय सौर गठबन्धन ने सौर ऊर्जा के वित्त पोषण के लिये काम तेज करने के मकसद से 30 जून 2016 को विश्व बैंक के साथ समझौता किया। इस सिलसिले में निवेश के तौर पर 1,000 अरब डॉलर से भी ज्यादा इकट्ठा करने में बैंक का अहम रोल होगा। किफायती दर और बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा मुहैया कराने के लिये वर्षों 2030 तक इतनी रकम की जरूरत होगी। जनवरी 2018 में अबू धाबी में आयोजित वर्ल्ड फ्यूचर एनर्जी समिट (डब्ल्यूएफईएस) में भारत सरकार ने सौर परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये 35 करोड़ डॉलर का कोष बनाने का ऐलान किया था।


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