आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एशियाई मंत्री स्तरीय सम्मेलन 2016

7 Feb 2017
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पिछले दिनों नवम्बर 2016 में नई दिल्ली में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर केन्द्रित एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य आपदाओं के जोखिम को कम करने की दिशा में उत्तम पद्धतियों को साझा करना था। एशियाई क्षेत्र के लगभग 4000 प्रतिभागियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया।

.सेंदई फ्रेमवर्क (एसएफडीआरआर) के बाद आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर यह पहला एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एएमसीडीआरआर) था। मार्च, 2015 में जापान के सेंदई में आयोजित तीसरे विश्व सम्मेलन में एसएफडीआरआर (2015-2030) को मंजूर किया गया था। यह प्राकृतिक खतरों जैसे भूकम्प, बाढ़, सूखा और चक्रवात आदि के कारण होने वाले नुकसान को कम करके, आपदा के जोखिम को कम करने के लिये लक्ष्यों और प्राथमिक कार्रवाई को चिन्हित करता है, वह भी रोकथाम की नीति के जरिए।

2005 में स्थापित एएमसीडीआरआर एक द्विवार्षिक सम्मेलन है जिसे विभिन्न एशियाई देश और संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय (यूएनआईएसडीआर) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है। अगला एएमसीडीआरआर 2018 में मंगोलिया में आयोजित किया जाएगा।

दो महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों नई दिल्ली घोषणापत्र और सेंदई फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन के लिये एशियाई क्षेत्रीय योजना को इस तीन दिवसीय सम्मेलन में मंजूर किया गया।

नई दिल्ली घोषणापत्र


नई दिल्ली घोषणापत्र एक राजनैतिक वक्तव्य है जिसे प्रतिभागी सरकारों ने आपदाओं के जोखिमों की रोकथाम करने और उसे कम करने, एशियाई क्षेत्र के समुदायों और देशों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करने के लिये प्रस्तुत किया है। विश्वव्यापी फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन की गति तेज करने की जरूरत को स्वीकार करते हुए घोषणापत्र डीआरआर के प्रति व्यक्ति केन्द्रित और सम्पूर्ण समाज के दृष्टिकोण के साथ प्रतिबद्ध है। यह सामुदायिक क्षमता को बढ़ाने की जरूरत पर बल देता है और यह सुनिश्चित करता है कि सभी प्रतिभागियों को प्रतिरोधक क्षमता हासिल हो।

एशियाई क्षेत्रीय योजना


सेंदई फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन के लिये एशियाई क्षेत्रीय योजना इस बात पर केन्द्रित है कि राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर आपदा के जोखिम को कैसे कम किया जाए। यह 15 वर्षीय योजना है जो सहयोग और समन्वय के लम्बे सफर को तय करेगी। साथ ही इसमें दो वर्ष की कार्य योजनाएँ भी हैं जिसके केन्द्र में आपदा के जोखिम को कम करने के लिये विशिष्ट, कार्य करने योग्य गतिविधियाँ हैं।

सेंदई फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन हेतु किए जाने वाले कार्यों में राष्ट्रीय और स्थानीय रणनीतियों को विकसित करना, आपदा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की नीतियों और योजनाओं को विकसित करना और उन्हें लागू करना शामिल है। इसके तहत आपदा तत्परता में निवेश बढ़ाया जाएगा। इसके अतिरिक्त इसमें आपदा के जोखिम को कम करने से सम्बन्धित जानकारियों को मजबूत किया जाएगा। समुदाय की भागीदारी और आपदा सम्भावित क्षेत्रों के लोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये जोखिम मूल्यांकन, उत्तम आँकड़ों की उपलब्धता और समुदायों के लिये प्रभावी जोखिम सूचना प्रणाली अत्यन्त आवश्यक है।

सुनामी पर जागरूकता फैलाने के लिये सम्मेलन में पहला विश्व सुनामी जागरूकता दिवस भी मनाया गया। इस अवसर पर विनाशकारी प्राकृतिक जोखिम से होने वाले नुकसान को कम करने के लिये पूर्व चेतावनी प्रणाली और समुदायों की तैयारियों के महत्त्व पर बल दिया गया।

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने आपदा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता के निर्माण में क्षेत्रीय और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग का आह्वान किया। सेंदई फ्रेमवर्क के लिये भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने आपदा प्रबंधन के लिये दस सूत्रीय कार्यसूची को रेखांकित किया।

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