अपने गांव को स्वच्छ बनाने 15 अगस्त को करें विशेष ग्रामसभा

15 अगस्त 2014 अथवा इस माह के ही किसी भी दिन निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत स्वच्छता पर विशेष ग्रामसभा आयोजित करने का आग्रह पेयजल एवं स्वच्छता विभाग तथा पंचायती राज विभाग, झारखंड सरकार की ओर से किया गया है।

कई सत्रों में पेयजल एवं स्वच्छता पर होगी चर्चा। राज्य सरकार ने जारी किया है निर्देश।मालूम हो कि 15 अगस्त पर विशेष ग्रामसभा करने की संवैधानिक व्यवस्था देश में है। इस बार झारखंड में इसका विषय पेयजल एवं स्वच्छता रखा गया है। इसमें पंचायत प्रतिनिधियों एवं जन समुदाय के साथ ही ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के सभी सदस्यों, पेयजल विभाग के संबंधित कर्मियों, आंगनबाड़ी, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े सभी कर्मियों से शामिल होने का आग्रह किया गया है।

स्वच्छता पर विशेष ग्रामसभा का महत्व समझाने और निर्मल भारत अभियान को सफल बनाने का भी संकल्प लिया गया है। सूचना जारी करते हुए इस बात की जानकारी दी गई है कि ग्रामसभा बुलाने का दायित्व मुखिया का है और इसलिए मुखिया के माध्यम से निर्मल भारत अभियान पर विशेष ग्रामसभा बुलाने की सूचना जारी करनी है।

ग्रामसभा में स्वच्छता संबंधी विषयों पर चर्चा करने के लिए समय निर्धारित किया गया है और इसके साथ ही एक सूची भी जारी की गई है। इसमें स्वच्छता के महत्व, खुले में शौच एवं अशुद्ध जल से नुकसान, पंचायत में स्वच्छता की स्थिति, निर्मल भारत अभियान के उद्देश्य, पंचायत का दायित्व, निर्मल पंचायत बनाने के लिए जरूरी कदम, खुली चर्चा, कार्ययोजना और संकल्प आदि पर बात की जानी है।

मालूम हो कि 15 अगस्त पर विशेष ग्रामसभा करने की संवैधानिक व्यवस्था देश में है। इस बार झारखंड में इसका विषय पेयजल एवं स्वच्छता रखा गया है। स्वच्छता पर विशेष ग्रामसभा का महत्व समझाने और निर्मल भारत अभियान को सफल बनाने का भी संकल्प लिया गया है। खुले में शौच एवं अशुद्ध पानी से होने वाले नुकसान के विषय में बताया जाना है।स्वच्छता के महत्व के विषय पर ग्रामसभा में ग्रामीणों को इस बात की जानकारी देनी है कि किस प्रकार स्वच्छता संबंधी आदत व सुविधाएं स्वस्थ जीवन का आधार है। 80 प्रतिशत बीमारियां सुरक्षित पेयजल तथा स्वच्छता के अभाव में होती हैं। देश में पांच वर्ष से कम उम्र के लाखों बच्चों की मृत्यु दस्त रोग तथा अन्य जल जनित बीमारियों से होती है।

ग्रामीण महिलाओं को इस बात की जानकारी देनी है कि स्वच्छता सुविधाओं से महिलाओं की प्रतिष्ठा की रक्षा होती है। स्वच्छता के महत्व में खाने से पहले व शौच के बाद साबुन से हाथ धोने से लगभग 40 प्रतिशत बीमारी से बचा जा सकता है। इस चर्चा के लिए 10 मिनट का समय निर्धारित किया गया है।

इसके अगले 10 मिनट के सत्र में खुले में शौच एवं अशुद्ध पानी से होने वाले नुकसान के विषय में बताया जाना है। ग्रामीणों को यह जानकारी दी जाएगी कि किस प्रकार खुले में शौच करने से मक्खी एवं कई माध्यम से मल हमारे संपर्क में आते हैं। मल में विषाणु और जीवाणु के कारण बीमारी फैलती है। एक परिवार में साल में इससे होने वाले बीमारियों के इलाज पर हजार रुपए खर्च आता है।

ग्रामीणों को यह जानकारी दी जानी है कि खुले में शौच के कारण बहू-बेटियों के साथ दुर्व्यवहार के भी मामले सामने आते रहते हैं। खुले में शौच का मल पेयजल स्रोत में मिलता है और जल दूषित हो जाता है। इसके अलावा परिवार को यह जानकारी देनी है कि बच्चों के मल में बड़े लोगों के मल से अधिक जीवाणु होते हैं।

पंचायत में स्वच्छता की स्थिति पर 15 मिनट का सत्र निर्धारित किया गया है जिसमें यह चर्चा की जाएगी कि पंचायत के प्रत्येक गांव में स्वच्छता एवं पेयजल की क्या स्थिति है। इस पर सभी शामिल लोगों को खुल कर चर्चा करने का जोर दिया गया है। गांव में कितने घरों में शौचालयों पर आकलन प्रस्तुत करने के साथ-साथ जिन घरों में शौचालय नहीं है उनलोगों की समस्याओं की जानकारी लेने पर भी ग्रामसभा में चर्चा की जानी है। शौचालय नहीं होने के कारणों पर चर्चा करने के साथ बच्चों के मल का निपटान कैसे किया जाना चाहिए उस पर सामूहिक रूप से जानकारी को साझा करना है।

ग्रामसभा में पंचायत के कितने गांवों में किसी योजना के तहत शौचालयों के निर्माण हो रहा है और उसकी स्थिति के विषयों पर भी जानकारी साझा करनी है। पंचायत के अंतर्गत सभी स्कूल, आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य उपकेंद्र एवं पंचायत भवन में पेयजल एवं शौचालय की स्थिति पर चर्चा कर आकलन करना है। ग्रामसभा में शामिल लोगों से इस बात की भी चर्चा करनी है कि पंचायत के प्रत्येक गांव में पेयजल की क्या स्थिति है और पीने और भोजन पकाने की जरूरत के लिए पानी कहां से उपलब्ध किए जाते हैं। इसकी शुद्धता की जांच के विषय पर भी ग्रामसभा में चर्चा करनी है। गांव के लोगों के साथ बेकार पानी एवं कूड़ा कचरा का निपटान कैसे किया जाता है इस संबंध में भी जानकारी दी जानी है।

अगले सत्र में निर्मल भारत अभियान के विषय में बताया जाना है और इस सत्र के लिए 15 मिनट का समय निर्धारित है। इस सत्र में भारत सरकार एवं राज्य सरकार के संयुक्त कार्यक्रम निर्मल भारत अभियान और इस अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता कार्य के विषय में जानकारी दी जानी है। ग्रामसभा में मुखिया और दूसरे पंचायत स्तर के जनप्रतिनिधि ग्रामीणों को इस बात की जानकारी दें कि वर्ष 2022 तक निर्मल भारत बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इन जानकारियों में इस बात को भी सम्मिलित करना है कि हर राजस्व गांव में एक ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति बनाई गई है, जिसके अध्यक्ष मुखिया होते हैं और जलसहिया कोषाध्यक्ष होते हैं।

समिति के कार्यों पर चर्चा करने के साथ ग्रामसभा में इस बात को उजागर करना है कि समिति को किस मद में कितनी राशि प्राप्त हुई है। गांव को निर्मल ग्राम बनाने की दिशा में ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के द्वारा क्या पहल की जा रही है। ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को कार्य में होने वाली समस्या पर भी चर्चा की जानी है।

अगले सत्र में पंचायत के दायित्व पर 15 मिनट की समयाविधि में विभिन्न मुद्दों पर जैसे पंचायतों को पेयजल एवं स्वच्छता संबंधी कार्यों के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा सौंपे जाने के संबंध में बताया जाना है। इसके अलावा पंचायत एवं समिति के द्वारा पेयजल एवं स्वच्छता संबंधी हो रहे कार्यों और होने वाली समस्याओं का आकलन और समाधान पर चर्चा कर निर्णय लिया जाना है। निर्मल ग्राम बनाने तथा पेयजल योजना लागू करने में पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिकाओं और पंचायत में इस दिशा में किए गए सफल कार्यों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए चर्चा करना है।

छठे एजेंडा में निर्मल पंचायत बनाने पर चर्चा की जानी है। निर्मल पंचायत का दर्जा पाने के लिए आवश्यक पहल जैसे सभी घरों, स्कूलों एवं आगनबाड़ी में शौचालय निर्माण एवं उपयोग कर पंचायत को खुले में शौच से मुक्त बनाना, बच्चों के मल का निपटारा, पीने के लिए सुरक्षित स्रोत का इस्तेमाल, सभी गांवों में शौचालय निर्माण के लिए राशि के सहयोग के लिए प्रस्ताव बनाने पर जोर देते हुए चर्चा करनी है।

इसके अलावा सभा के अंत में एक सत्र 30 मिनट का किया जाना है, जिसमें सभी ग्रामीण अपनी बातों को कहेंगे और हर विषय में खुली चर्चा सत्र में भाग लेंगे। मुखिया ग्रामीणों के सामने निर्मल गांव बनाने की दिशा में आने वाली समस्याओं को सुनेंगे। मुखिया खुली चर्चा के बाद निर्मल गांव की कार्ययोजना को बनाने और पंचायत के किसी एक गांव को निर्मल गांव बनाने के लिए संकल्प लेने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।

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