आर्सेनिक के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब - Frequently Asked Questions (FAQs) on Arsenic


.आर्सेनिक क्या है?
आर्सेनिक (As) एक गंधहीन और स्वादहीन उपधातु है जो ज़मीन की सतह के नीचे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। यह रसायन-विज्ञान पीरियोडिक टेबल में नाइट्रोजन, फास्फोरस, एंटीमनी और बिस्मथ सहित ग्रुप VA का सदस्य है। इसका परमाणु क्रमांक (एटोमिक नंबर) 33 है और परमाणु भार (एटोमिक मास) 74.91 है।

प्रकृति में आर्सेनिक किन-किन रूपों में उपलब्ध है?
आर्सेनिक और इसके यौगिक रवेदार (क्रिस्टेलाइन), पाउडर और एमोरफस या काँच जैसी अवस्था में पाये जाते हैं। यह सामान्यतः चट्टान, मिट्टी, पानी और वायु में काफी मात्रा में पाया जाता है। यह धरती की तह का प्रचुर मात्रा में पाए जाना वाला 26वाँ तत्व है।

आर्सेनिक का कौन सा स्वरूप सबसे जहरीला होता है?


अगर मात्रा को आधार माना जाये आर्सेनाइट As-3 को आर्सेनिक का सबसे जहरीला स्वरूप माना जाता है। यह माना जाता है कि गम्भीरता के मामले में As-3 और As-5 में जहरीलापन समान होता है। पहले यह माना जाता था कि आर्सेनिक का मिथाइलेटेड स्वरूप {MMA(V), DMA(V)} कम जहरीले होते हैं, मगर अब देखा गया है कि MMA(III) और DMA(III) काफी जहरीले होते हैं।

आर्सेनिक के विभिन्न प्रकट स्रोत कौन-कौन से हैं?
इस वातावरण में उपलब्ध आर्सेनिक के प्रकट स्रोत में प्राकृतिक और मानवजनित स्रोत निम्न हैं-
प्राकृतिक- आर्सेनिकयुक्त गाद से भूजल में आर्सेनिक का रिसाव; मिट्टी में आर्सेनिक का रिसना और घुलना।
मानवजनित- कृषि रसायन, दीमकरोधी जैसे रासायनिक तत्व, औद्योगिक स्रोत, खनिज संशोधन, खनिज संशोधन के अम्ल-अपशिष्ट का निस्तार, जैव-ईंधन का जलना, आदि।

आर्सेनिकोसिस क्या है?
आर्सेनिक मानव शरीर के लिये जहरीला असर पैदा करता है, आर्सेनिक-पॉइजनिंग को चिकित्सकीय भाषा में आर्सेनिकोसिस कहते हैं। यह शरीर में उपलब्ध आवश्यक एँजाइम्स पर नकारात्मक प्रभाव छोड़ता है और जिसकी वजह से शरीर के बहुत से अंग काम करना बंद कर देते हैं, अंत में इसकी वजह से रोगी की मौत हो जाती है।

आर्सेनिक मानव शरीर को किस तरह प्रभावित करता है?
पीने के पानी में मौजूद आर्सेनिक आंतों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है, वहाँ से रक्तवाहिनियाँ इन्हें विभिन्न अंगों तक पहुंचाती हैं। शरीर में अवशोषित आर्सेनिक की मात्रा का पता नाखून और बाल के नमूनों से लगाया जाता है। सामान्यतः मानव शरीर आर्सेनिक के बहुत कम मात्रा का आदी होता है, जो मूत्र के जरिए बाहर निकल जाता है। अगर अधिक मात्रा में आर्सेनिक का सेवन होने लगे तो यह शरीर के अंदर ही रह जाता है। और आर्सेनिक शरीर पर तरह-तरह के नकारात्मक असर छोड़ता रहता है, पर आर्सेनिक कैसे और क्या असर करता है, अभी बहुत काम होना बाकी है।

मेरे पेयजल में आर्सेनिक कहाँ से और कैसे आता है?
चूँकि यह वातावरण में प्राकृतिक रूप से मौजूद है, इसके अलावा कुछ कृषि और औद्योगिक गतिविधियों के कारण भी ऐसा हो जाता है। यह भूजल अथवा सतही जल में घुल जाता है और हमारे पेयजल में आ जाता है।

आर्सेनिक के सेहत पर प्रभाव क्या-क्या हैं?
आर्सेनिक की वजह से कई बीमारियाँ होती हैं और कई बीमारियों का खतरे की गम्भीरता बढ़ जाती है। उदाहरण के तौर पर त्वचा का फटना, केराटोइस और त्वचा का कैंसर, फेफड़े और मूत्राशय का कैंसर और नाड़ी से सम्बन्धित रोग आदि। दूसरी परेशानियाँ जैसे मधुमेह, दूसरे अंगों का कैंसर, संतानोत्पत्ति से सम्बन्धित गड़बड़ियाँ आदि के मामले भी देखे गए हैं। और बीमारियों पर शोध कार्य अभी जारी हैं।

पेयजल में आर्सेनिक की सान्द्रता का स्वीकृत मात्रा क्या है?
पेयजल में आर्सेनिक के लिये निर्देशित मानक या मैक्सिमम कंटामिनेशन लेवल (एमएलसी) 10 पीपीबी (डब्लूएचओ के अनुसार) है जिसे अधिकतर विकसित देश मानते हैं। विकासशील देश जिनमें भारत और बांग्लादेश भी शामिल हैं, में पेयजल में आर्सेनिक की स्वीकृत मात्रा 50 पीपीबी मानी गई है।

अधिक आर्सेनिकयुक्त पेयजल के कितने सेवन से त्वचा सम्बन्धित रोगों की आशंका बढ़ जाती है?
जमीनी अनुभव बताते हैं कि आर्सेनिकयुक्त जल के कुछ सालों के लगातार सेवन के बाद आर्सेनिक सम्बन्धी त्वचा रोग नजर आने लगते हैं। पर अगर पानी में आर्सेनिक की मात्रा 500 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक हो तो यह सम्भावना काफी अधिक हो जाती है। हालांकि किसी परिवार में ऐसा भी देखा गया है कि एक व्यक्ति को छोड़कर सारे प्रभावित हो गए हैं। ऐसा क्यों हुआ इसकी वजह हम जान नहीं पाये।

गंगा-मेघना बेसिन मैदान में आर्सेनिक के स्रोत क्या हैं?
कई नदियों के खादर हिमालय पर्वत और तिब्बत के पठार से प्रभावित होते हैं। गंगा का मैदान हिमालय और प्रायद्वीपीय पठारों से निकली मिट्टी से तैयार हुआ है। हिमालय से लाये गए पदार्थ मैदानी भाग में जमा होते रहते हैं जहाँ वे फिर से रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से टूटते हैं, इससे उनमें कई बार ऋणायन और धनायन होता है। गंगा नदी के गाद में आर्सेनिक, क्रोमियम, कॉपर, लेड, यूरेनियम, थोरियम, टंगस्टन आदि पाये जाते हैं।

भारत में कितने राज्य आर्सेनिक प्रभावित हैं?
पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, असम, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश आदि राज्यों में आर्सेनिक का प्रभाव पाया गया है। ज्यादा प्रभावित राज्य पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखण्ड हैं।

क्या सतही जल और बारिश का जल और कुएँ का जल आर्सेनिक मुक्त पेयजल स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है? और कैसे?
बैक्टीरिया और दूसरे जहर के समुचित शुद्धीकरण के बाद इन स्रोतों के पानी को पीने के लिये इस्तेमाल में लाया जा सकता है। अधिकतर कुएँ आर्सेनिक मुक्त होते हैं, हालांकि कुछ कुओं के पानी में आर्सेनिक की मात्रा पाई गई है। सतही जल अमूमन आर्सेनिक मुक्त होते हैं। बारिश का जल हमेशा आर्सेनिकमुक्त होता है।

क्या उबालने से पानी से आर्सेनिक हटाया जा सकता है?
नहीं, उबालकर आर्सेनिक को नहीं हटाया जा सकता, चूँकि यह वोलेटाइल पदार्थ नहीं है सो उबालने से इसकी सान्द्रता बढ़ जाने का ही खतरा रहता है।

क्या आर्सेनिकोसिस के संक्रमण का खतरा रहता है?
नहीं, यह संक्रमित नहीं होता है।

कोई कैसे जान सकता है कि उनका ट्यूबवेल आर्सेनिक दूषित है या नहीं?
आर्सेनिक का कोई अलग स्वाद, रंग या गंध नहीं होता। सही तरीके से जमा करने और संरक्षित करने के बाद, पानी के नमूने को मान्यता प्राप्त एनालिटिकल लैब में जाँच कराकर यह पता लगाया जा सकता है। प्रमाणित फील्ड किट से जरिए भी यह मालूम किया जा सकता है, मगर इन किटों से सिर्फ इशारा मिलता है, हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते।

फसलों के जरिए कैसे आर्सेनिक खाद्य चक्र में शामिल हो जाता है?
जब खेतों की सिंचाई आर्सेनिकयुक्त पानी से की जा रही हो तो आर्सेनिक का अकार्बनिक स्वरूप पौधों में अवशोषित हो जाता है और इस तरह आर्सेनिक खाद्य चक्र में शामिल हो जाता है।

क्या भोजन में आर्सेनिक हमेशा खतरनाक होता है?
अगर आर्सेनिक अकार्बनिक स्वरूप में मौजूद हो तो यह जहरीला हो सकता है, जैसे आर्सेनाइट और आर्सेनेट। मगर आर्सेनिक के कार्बनिक स्वरूप जैसे आर्सेनोबेटाइन, आर्सेनोकोलीन, आर्सेनोसुगर जहरीले नहीं होते (ये मुख्यतः समुद्री भोजन में पाये जाते हैं)।

आर्सेनिक के बायोमार्कर (शरीर के अंग से पहचान के लिये नमूने) क्या हैं?
आर्सेनिकयुक्त जल का सेवन करने वाले व्यक्ति के बाल, नाखून, मूत्र और त्वचा की पपड़ियों में आर्सेनिक जमा रहता है, उनकी जाँच करके पता किया जा सकता है।

पानी में आर्सेनिक की मात्रा जाँचने से सम्बन्धित फील्ड किट पर आधारित नतीजे क्या प्रमाणिक माने जा सकते हैं?
फील्ड किट से जाँच वाले नतीजे सांकेतिक हो सकते हैं, मगर इसकी पुष्टि लैब में जाँच के बाद ही हो सकती है। कई बार पहले ऐसा देखा गया है कि फील्ड किट के नतीजे अपुष्ट रह गए हैं।

क्या आर्सेनिक अजन्मे बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है?
हालांकि अब तक इस बात के समुचित प्रमाण नहीं मिले हैं कि आर्सेनिक गर्भवती महिला या उनके गर्भस्थ शिशु को प्रभावित करते हों, मगर पशुओं के साथ किये गए अध्ययन में पाया गया कि बीमार करने की क्षमता के बराबर आर्सेनिक के डोज गर्भवती मादाओं को देने से कम वजन वाले बच्चों का जन्म, गर्भस्थ शिशु में विकृति या उसकी मृत्यु हो सकती है।

आर्सेनिक के संकट पर क्या करना है, से सम्बन्धित कुछ सवाल-जवाब (स्रोत - सीएससी)


1. आर्सेनिक सन्दूषण के क्या संकेत हैं?
यदि लोगों की त्वचा पर वर्षा की बूँदों के आकार के धब्बे उभरने लगें, तो यह आर्सेनिक सन्दूषण का सम्भाविक संकेत है।

2. तत्काल हमें क्या करना चाहिए?
सन्दूषण ज्यादातर पीने के या प्रयोग में आने वाले पानी के द्वारा होता है। इसलिये हैण्डपम्प का पानी पीना बन्द कर देना चाहिए व केवल साफ किया गया पानी ही पीना चाहिए।

3. अगल कदम क्या होना चाहिए?
पब्लिक हेल्थ इन्जीनियरिंग विभाग या कुछ जगह जल-निगम को पानी की जाँच करने के लिये जोर देना चाहिए। अन्यथा गाँव की पंचायत द्वारा पानी के नमूनों को किसी अन्य उचित संस्थान के पास जाँच के लिये भेज देना चाहिए।

नमूनों को बहुत ध्यान से एकत्र करना चाहिए। पानी के स्रोत, जहाँ से नमूने लिये गए हैं, उन्हें स्पष्ट रूप से पहचान लेना चाहिए। जिन लोगों के शरीर पर सबसे अधिक निशान हैं, उनके द्वारा प्रयुक्त हैण्डपम्प के पानी के नमूने सबसे पहले लेने चाहिए। अधिकतम हैण्डपम्प-चाहे सार्वजनिक हों या निजी-के पानी की जाँच करानी चाहिए।

उसके पश्चात, 50-200 मिलीलीटर के उचित पात्र (शीशे की बोतल) को आसक्ति (डिस्टिल्ड) पानी से धो लेना चाहिए। पानी के स्रोत (हैण्डपम्प या ट्यूबवेल) को चलाकर बोरवेल के पाईप में रुका पानी निकाल देना चाहिए जिससे जाँच के लिये जलाशय का पानी उपलब्ध हो सके।

पानी के नमूनों का पीएच घटाने के लिये उनमें नाईट्रिक एसिड डालना चाहिए। नमूनों को सील बन्द करके स्रोत का नाम उन पर लिख देना चाहिए। यह बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि जाँच के परिणामों की विश्वसनीयता नमूनों की अखण्डता पर निर्भर करती है।

मुमकिन हो तो, आर्सेनिक के साथ पानी के नमूनों को अन्य घातक रसायन जैसे फ्लोराईड व कीटनाशकों के लिये भी जाँच लेना चाहिए।

उचित होगा यदि हर स्रोत से दो अलग नमूने लिये जाएँ, जिससे कि पुष्टि के लिये उन्हें दो अलग प्रयोगशालाओं में भेजा जा सके।

4. नमूनों को एकत्रित करने के बाद क्या करना चाहिए?
नमूनों को शीघ्र एक विश्वसनीय प्रयोगशाला में भेज देना चाहिए। इस प्रयोगशाला में आर्सेनिक की जाँच के लिये एटोमिक एब्जॉर्पशन स्पैक्ट्रोमैट्री प्रणाली हो तो उचित है।

5. इस बीच क्या उपाय करने चाहिए?
सबसे पहले, पूर्वावधान की दृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में सभी ग्रामवासियों को (वो भी जिनके शरीर पर धब्बे नहीं हैं) ट्यूबवेल का पानी छोड़ कर केवल साफ किया गया सतही पानी ही पीना चाहिए। इस समस्या पर विचार-विमर्श करने के लिये पंचायत की बैठक बुलानी चाहिए। प्रभावित क्षेत्र के सभी निवासियों को इस समस्या के बारे में तथा स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में विस्तृत विवरण देना चाहिए। कुछ मौलिक तथ्यों से उनको अवगत कराना चाहिए जैसे कि आर्सेनिक संक्रामक नहीं है।

ग्रामीण स्तर पर इस समस्या से जूझने के लिये ग्रामवासियों का आपस में मिलना व जानकारी का आदान-प्रदान महत्त्वपूर्ण है। पड़ोस के क्षेत्रों को सन्दूषण की सम्भावना के लिये सतर्क कर देना चाहिए।

6. किसको सबसे पहले सूचित करना चाहिए?
स्थानीय गैर सरकारी संस्थाएँ जो स्वास्थ्य व स्वच्छता के क्षेत्र में कार्यरत हैं, उन्हें इस समस्या से अवगत कराना चाहिए। सबसे महत्त्वपूर्ण, प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र के चिकित्सकों को धब्बों का निदान करने के लिये कहना चाहिए। स्थानीय मीडिया को भी उसकी जानकारी पहुँचनी चाहिए जिससे कि वे इस समस्या के बारे में जानकारी व्यापक कर सकें।

7. किन अधिकारियों को समस्या की सूचना देनी चाहिए?
ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी (बीडीओ), जिले के प्रमुख स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमओ) तथा जिला मजिस्ट्रेट ही मूल अधिकारी हैं।

8. यदि अधिकारी समस्या के समाधान के लिये कदम न उठाएँ तो क्या करना चाहिए?
स्थानीय विधायक तथा अन्य प्रभावशाली राजनितिज्ञों को सूचित करना चाहिए। यदि वे भी कुछ न करें तो केन्द्रीय सरकार की एजेंसियों, जैसे ‘राजीव गाँधी नेशनल ड्रिकिंग वॉटर मिशन’, को सम्पर्क करना चाहिए।

अन्तरराष्ट्रीय अनुदान एजेंसियों जैसे यूनीसेफ तथा संस्थान जैसे जादवपुर विश्वविद्यालय को भी सम्पर्क किया जा सकता है, क्योंकि वो भी आवश्यक जाँच करती हैं। ये संस्थाएँ सामुदायिक निगरानी के निकाय स्थापित करने में तकनीकी सहायता भी प्रदान करते हैं। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया को भी सचेत कर देना चाहिए, जिससे कि वह इस समस्या की जानकारी आम जनता में फैलाकर अधिकारियों पर दबाव बना सके। स्थानीय स्तर पर जनता में जागरुकता बढ़ाने के लिये प्रयासरत रहना चाहिए, खासकर साफ सतही पानी के प्रयोग के महत्त्व पर।

9. समस्या से लड़ने के लिये व्यक्तिगत स्तर पर क्या किया जा सकता है?
क्योंकि आर्सेनिक के विषाक्तीकरण के उपचार नहीं है, इसके निवारण पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिये, पौष्टिक व अधिक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ तथा साइट्रस (नींबू-वंश के) फल ग्रहण करने चाहिए। विटामिन बी कॉम्प्लेक्स जैसी औषधियाँ तथा विटामिन सी व प्रो-विटामिन-ए जैसे-एंटी ऑक्सीडंट भी दिये जा सकते हैं।

गृहस्थी के स्तर पर अल्पीकरण प्रणालियाँ जैसे डोमेस्टिक फिल्टर खरीद कर उपयोग किये जाने चाहिए। इस तरह के फिल्टर पश्चिम बंगाल में आम रूप से मिलते हैं। एक गाँव के लिये बड़ी संख्या में आर्डर एक साथ दिये जा सकते हैं।

परिशिष्ट क : रिसोर्स बैंक


 

परीक्षण सुविधाएँ

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ

110, चितरंजन एवेन्यू, कोलकाता-700073, पश्चिम बंगाल

फोन: 033-22415572, 22412860, 22413831

फैक्स: 033-22418508

डवलपमेंट आल्टरनेटिव्स

बी-32, तारा क्रीसेंट, कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया नई दिल्ली-110016

फोन: 011-26967938, 26565370, 26851158

फैक्स: 011-26866031

अनुलेब टेस्टिंग एंड रिसर्च लेबोरेटरी

33, गाँधी नगर, आगरा-282003, उत्तर प्रदेश फोन: 0562-2152093, 2155664

फैक्स: 0562-2152826

इलेक्ट्रॉनिक्स रीजनल टेस्ट लेबोरेटरी

एस-ब्लॉक, ओखला इंडस्ट्रियल एरिया, फेस-II

नई दिल्ली-110020

फोन: 011-26387103

फैक्स: 011-26384583

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स, सेंट्रल लेबोरेटरी

प्लॉट नं. 20/9, साइट IV, साहिबाबाद इंडस्ट्रियल एरिया साहिबाबाद-201010, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश

फोन: 0120-2770032, 2770821

फैक्स: 0120-2770219

एनवायरन्मेंट प्रोटेक्शन ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट

91/4, गाजी बावली, सेरीलिंगमपल्ली (एम) हैदराबाद-500032, आंध्र प्रदेश

फोन: 040-23000489/1241/1242

फैक्स: 040-23000361

सेंट्रल फूड टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट

चेलुवाम्बा मेंशन, मैसूर-570013, कर्नाटक

फोन: 0821-2514972, 2514760, 2516802

फैक्स: 0821-251723321

फूड रिसर्च एंड एनालिसिस सेंटर

फेडरेशन हाउस, तानसेन मार्ग, नई दिल्ली-110001

फोन: 011-23738760-70

फैक्स: 011-3320714

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सेंट्रल लेबोरेटरी)

परिवेश भवन, ईस्ट अर्जुन नगर, दिल्ली-110032

फोन: 011-22305792, 22303717

फैक्स: 011-2220844, 2411539

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी

कानपुर-208016, उत्तर प्रदेश

फोन:0512-2597175, 2597629

फैक्स: 0512-2590104

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (जोनल लेबोरेटरी)

247, 1st फ्लोर, सीआईटी मार्केट, देशप्रान सशमाल रोड कोलकाता-700033, पश्चिम बंगाल

फोन: 033-24722559, 24720439

फैक्स: 033-24731102

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी

खड़गपुर-721302, पश्चिम बंगाल

फोन: 3222-2255221

फैक्स: 3222-2255303

सेंटर फॉर स्टडी ऑफ मेन एंड एनवायरन्मेंट

सीके-11, सेक्टर 2, साल्ट लेक सिटी कोलकाता-700091, पश्चिम बंगाल

फोन: 033-23590781, 23582589, 23210861

इंडियन स्कूल ऑफ माइंस

धनबाद-826004, झारखंड

फोन: 0326-2210024-27

फैक्स: 0326-2210028

केमिकल एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट

इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी,

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी वाराणसी-221005

फोन: 0542-2317179, 2307220, 09415372465

फैक्स: 0542-2369951

इंडस्ट्रियल टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च सेंटर

एमजी मार्ग, लखनऊ-226001, उत्तर प्रदेश

फोन: 0522-2621856, 2628227, 2213357

फैक्स: 0522-2628227

दिल्ली टेस्ट हाउस

ए-62/3, जीटी करनाल रोड इंडस्ट्रियल एरिया आजादपुर, नई दिल्ली-110033

फोन: 011-27437327/5509, 27427672

फैक्स: 011-27435509

इंटरनेशनल टेस्टिंग सेंटर

86, इंडस्ट्रियल एरिया, फेस-I,

पंचकुला-134109, हरियाणा

फोन: 0172-2561543, 2565825

फैक्स: 0172-2561543

नेशनल केमिकल लेबोरेटरी

डॉ. होमी भाभा रोड, पुणे-411008, महाराष्ट्र

फोन: 020-25890976

फैक्स: 020-25890976

स्कूल ऑफ एनवायरन्मेंटल स्टडीज

जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता-700032

फोन: 033-24146233, 24148760

फैक्स: 033-24146266

नेशनल एनवायरन्मेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट

नेहरू मार्ग, नागपुर-440020, महाराष्ट्र

फोन: 0712-2249885, 2249890, 2249970

फैक्स: 0712-2249900

एसजीएस इंडिया लिमिटेड

1st फ्लोर, बेहाला इंडस्ट्रियल कॉम्पलेक्स, फेस-II,

620 डायमंड हार्बर रोड, कोलकाता-700001, पश्चिम बंगाल

फोन: 033-24463275

फैक्स: 033-24470267

नेशनल मेटालर्जीकल लेबोरेटरी

पीओ बरमामाइंस, जमशेदपुर-831007, झारखंड

फोन: 0657-2271709-14, 2271715, 2271251

फैक्स: 0657-2246527

एसजीएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (जनरल लेबोरेटरी)

250, उद्योग विहार, फेस-IV, गुड़गाँव, हरियाणा

फोन: 0124-2399990-98

फैक्स: 0124-2399765

ओमेगा टेस्ट हाउस

157, इंडस्ट्रियल एरिया, फेस-I

पंचकुला-134109, हरियाणा

फोन: 0172-2576904

फैक्स: 0172-2696824

एसजीएस लैब हाउस

नम्बर 21, न्यू स्ट्रीट, कोट्टूर, चेन्नई-600085

फोन: 044-24407915, 24474761

फैक्स: 044-24473924

पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डायरेक्टरेट

न्यू सेक्रेटेरिएट बिल्डिंग, किरण शंकर राय रोड

कोलकाता-700001, पश्चिम बंगाल

फोन: 033-22481813, 22486271

फैक्स: 033-22103993

श्रीराम इंस्टीट्यूट फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च 19, यूनिवर्सिटी रोड, दिल्ली-110007

फोन: 011-27667267, 27667860

फैक्स: 011-27667676, 27666013

आर वी ब्रिग्गस एंड कम्पनी प्राइवेट लिमिटेड

9, बेनटिक स्ट्रीट, कोलकाता-700001, पश्चिम बंगाल

फोन: 033-22483661, 22487803

फैक्स: 033-22480447

स्पेक्ट्रो एनालिटिकल लैब्स (पी) लिमिटेड

सी-55, ओखला इंडस्ट्रियल एरिया फेस-I

नई दिल्ली-110020

फोन: 011-26817949-52

फैक्स: 011-26817954

सरगाम मेटल प्राइवेट लिमिटेड

2, रामवरम रोड, मानापक्कम

चेन्नई-600089, तमिलनाडु

फोन: 044-22491117/6736

फैक्स: 044-22491651

थापर सेंटर फॉर इंडस्ट्रियल रिसर्च एंड डवलपमेंट

थापर टेक्नोलॉजी कैम्पस भाडसन रोड

पोस्ट बॉक्स नं. 68, पटियाला-147001, पंजाब

फोन: 0175-2393571, 2393605

फैक्स: 0175-2365522

विशेषज्ञ


मूल विशेषज्ञ: दीपांकर चक्रवर्ती, डायरेक्टर, स्कूल ऑफ एनवायरन्मेंटल स्टडीज, जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता-700032 फोन: 033-24146233, फैक्स: 033-24146266

स्थानीय विशेषज्ञ


बलिया

दीनानाथ सिंह, आर्सेनिक विक्टिम से पीड़ित राजपुर एकवाना, बलिया-277002, उत्तर प्रदेश

फोन: 05498-233117

उपयोगिता : बलिया में संखिया के संकट पर जानकारी

सरयुग शर्मा, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड

एस-18/35, पटेल नगर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

फोन: 0542-2234976, 2346423, 2352619

उपयोगिता: बलिया में संखिया की समस्या पर निगरानी

दिलीप कुमार, प्रिंसिपल सेक्रेटरी

एनवायरन्मेंटल डिपार्टमेंट, उत्तर प्रदेश सरकार

सचिवालय, लखनऊ-226001, उत्तर प्रदेश

फोन: 0522-2238693

उपयोगिता: बलिया में संखिया की समस्या से लड़ने के लिये उठाए गए कदम

पश्चिम बंगाल


अरुनभा मजूमदार, प्रोफेसर ऑफ एनवायरन्मेंटल सेनिटेशन ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ 110, चितरंजन एवन्यू, कोलकाता-700073, पश्चिम बंगाल

फोन: 033-22413831

उपयोगिता: पश्चिम बंगाल में संखिया के संकट के विस्तार पर निगरानी

इस्लामुद्दीन, असिस्टेंट इंजीनियर कंस्ट्रक्शन डिवीजन

यूपी जल निगम, बलिया-277002, उत्तर प्रदेश

फोन: 05498-221285, 224334

उपयोगिता: बलिया में संखिया की समस्या पर उत्तर प्रदेश जल निगम का दृष्टिकोण

अनिरबन गुप्ता, प्रोफेसर ऑफ सिविल इंजीनियरिंग बंगाल इंजीनियरिंग कॉलेज

एनवायरन्मेंटल इंजीनियरिंग लेबोरेटरी,

हावड़ा-711103, पश्चिम बंगाल,

फोन: 033-26684564

उपयोगिता: पश्चिम बंगाल में संखिया की समस्या के अल्पीकरण के लिये प्रौद्योगिकी

प्रमोद उपाध्याय, सीनियर रिपोर्टर दैनिक जागरण

जनता मार्केट, बलिया-277002, उत्तर प्रदेश

फोन: 05498-220657, 09415248509

उपयोगिता: बलिया में संखिया की समस्या का इतिहास

बी सी पोद्दार, ऑनरेरी सेक्रेटरी

सेंटर फॉर स्टडी ऑफ मेन एंड एनवायरन्मेंट ब्लॉक सीके-11, सेक्टर-2, साल्ट लेक कोलकाता-700091, पश्चिम बंगाल

फोन: 033-23590781, 23582589

उपयोगिता: पश्चिम बंगाल में संखिया का संकट, उसके समाधान के लिये उठाए गए कदम व नीति

राजेश कुमार पाण्डे, रिपोर्टर दैनिक जागरण

जनता मार्केट, बलिया-277002, उत्तर प्रदेश

फोन: 05498-220657

उपयोगिता: बलिया में संखिया की समस्या पर राजनीति

डी एन गुहा मजूमदार, प्रोफेसर एंड हेड डिपार्टमेंट ऑफ गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी

इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजूकेशन एंड रिसर्च 244, आचार्य जगदीश चन्द्र बोस रोड

कोलकाता-700020, पश्चिम बंगाल

फोन: 033-22236026, 22239692, 22239654, 22478793

उपयोगिता: संखिया का स्वास्थ्य पर प्रभाव

रवी शंकर, सीनियर डिप्टी डायरेक्टर जनरल नॉर्दर्न रीजन, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया जीएसआई कॉम्पलेक्स, अलीगंज लखनऊ-226024, उत्तर प्रदेश

फोन: 0522-2371664, 2371104

उपयोगिता: बलिया में संखिया की समस्या पर निगरानी

इंदिरा चक्रवर्ती, प्रोफेसर एंड डीन ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजीन एंड पब्लिक हेल्थ 110, चितरंजन एवेन्यू कोलकाता-700032, पश्चिम बंगाल

फोन: 033-22415572, 22418508, 22413954

उपयोगिता: संखिया का स्वास्थ्य पर प्रभाव

एस आर शर्मा, एक्जेक्यूटिव इंजीनियर कंस्ट्रक्शन डिवीजन

यूपी जल निगम बलिया-277002, उत्तर प्रदेश

फोन: 05498-221285, 221958, 09415248884

उपयोगिता: बलिया में संखिया की समस्या पर उत्तर प्रदेश जल निगम का दृष्टिकोण

के जे नाथ, डायरेक्टर, एनवायरन्मेंट सेनिटेशन एंड हेड, डिपार्टमेंट ऑफ सेनिटरी इंजीनियरिंग ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हाइजन एंड पब्लिक हेल्थ 110, चितरंजन एवन्यु, कोलकाता-700032, पश्चिम बंगाल

फोन: 033-22415572, 22418508, 22413954

उपयोगिता: पश्चिम बंगाल में संखिया के रोकथाम के लिये सरकार द्वारा उठाए गए कदम

एस टी इमाम, हेड डिस्ट्रिक्ट अस्पताल बलिया-277002, उत्तर प्रदेश

फोन: 05498-220216

उपयोगिता: संखिया का स्वास्थ्य पर प्रभाव

राकेश बिहारी, ज्वाइंट सेक्रेटरी एंड मिशन डायरेक्टर राजीव गाँधी नेशनल ड्रिंकिंग वाटर मिशन डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिंकिंग वाटर सप्लाई यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ रूरल डवलपमेंट, 9th फ्लोर, पर्यावरण भवन सीजीओ कॉम्पलेक्स, लोधी रोड

नई दिल्ली-110003

फोन: 011-24361043

उपयोगिता: देशभर में संखिया पर निगरानी व नीति

प्रताप चक्रवर्ती, प्रेसीडेंट लोक कल्याण परिषद 26, टाउनशेड रोड

कोलकाता-700041, पश्चिम बंगाल

फोन: 033-24761167

उपयोगिता: पश्चिम बंगाल में संखिया का संकट, उसके समाधान के लिये उठाए गए कदम व नीति

आर सी त्रिवेदी, एडिशनल डायरेक्टर जनरल सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड परिवेश भवन, ईस्ट अर्जुन नगर नई दिल्ली-110032

फोन: 011-23305792

उपयोगिता: देशभर में संखिया पर निगरानी

बांग्लादेश


अल महमूद, सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर ग्राउंड वाटर सर्किल, डीपीएचई भवन 14, शहीद कैप्टेन मन्सुल अली सरानी ढाका-1000, बांग्लादेश

फोन: 880-29343359

उपयोगिता: बांग्लादेश में संखिया का संकट

सलीम रोमानी, मेम्बर (एसएमएल) सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ वाटर रिसोर्सेज A-2/W-3, कर्जन रोड बैरेक्स कस्तूरबा गाँधी मार्ग, नई दिल्ली-110001

फोन: 011-23385620

उपयोगिता: देशभर में संखिया पर निगरानी

ए एच खान, प्रोफेसर ऑफ एनालिटिकल केमिस्ट्री यूनिवर्सिटी ऑफ ढाका, ढाका-1000, बांग्लादेश

फोन: 880-2500137

उपयोगिता: बांग्लादेश में संखिया पर निगरानी

के एन माथुर, डायरेक्टर जनरल जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया 27, जवाहर लाल नेहरू रोड कोलकाता-700016, पश्चिम बंगाल फोन: 033-22861641/65/73

उपयोगिता: देशभर में संखिया पर निगरानी

एम फीरोज अहमद, प्रोफेसर

डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग बांग्लादेश यूनिवर्सिटीज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी सिविल इंजीनियरिंग बिल्डिंग, 3rd फ्लोर ढाका-1000, बांग्लादेश

फोन: 880-29663693

उपयोगिता: बांग्लादेश में संखिया के अल्पीकरण के लिये प्रौद्योगिकी

वी एन वाकपेंजार, सीनियर ज्वाइंट कमिश्नर वाटर क्वालिटी असेसमेंट अथॉरिटी यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ वाटर रिसोर्सेज बी विंग, सेकेण्ड फ्लोर, लोक नायक भवन खान मार्केट, नई दिल्ली-11003

फोन: 011-26165942, 24643918

उपयोगिता: देशभर में संखिया की मॉनीटरिंग व नीति

सामान्य साधन


संदूषण का विस्तार


कमल मजूमदार, एनवायरन्मेंटल इंजीनियर राजीव गाँधी नेशनल ड्रिंकिंग वाटर मिशन डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिंकिंग वाटर सप्लाई यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ रूरल डवलपमेंट, 9th फ्लोर, पर्यावरण भवन सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड नई दिल्ली-110003

फोन: 011-24361043

उपयोगिता: देशभर में संखिया पर निगरानी व नीति

स्वास्थ्य


अमित मलहोत्रा, डॉक्टर ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस टाइप 3, हाउस नं. 103 आयुर विज्ञान नगर, नई दिल्ली-110029

फोन: 09868086431

उपयोगिता: संखिया प्रदूषण का निदान

एम सी मेहता, सीनियर ज्वाइंट कमिश्नर रूम नं. 626, श्रम शक्ति भवन, रफी मार्ग नई दिल्ली-110001

फोन: 011-23716683, 23714374

उपयोगिता: देशभर में संखिया पर निगरानी व नीति

बिनोद के खैतान, एसोसिएट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ डर्मेटोलॉजी एंड वेनेरियोलॉजी ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडीकल साइंसेस अंसारी नगर, नई दिल्ली-110029

फोन: 011-26594493, 26588500

उपयोगिता: संखिया प्रदूषण का निदान

पी सी चतुर्वेदी, चेयरपर्सन सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड 18/11, जामनगर हाउस मानसिंह रोड

नई दिल्ली-110011

फोन: 09810330552, 011-23073092

उपयोगिता: देशभर में संखिया पर निगरानी व नीति

एम गौरी-देवी

ऑनरेरी एडवाइजर फॉर न्यूरोलॉजिकल रिसर्च इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च वी रामलिंगास्वामी भवन, अंसारी नगर, नई दिल्ली-110029

फोन: 011-22618573, 09811950100

उपयोगिता: संखिया प्रदूषण का निदान

संजय सिंह, लेक्चरर

बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी वाराणसी-221005, उत्तर प्रदेश,

फोन: 0542-2369102

उपयोगिता: संखिया प्रदूषण का निदान

वी के जोशी, जियोलॉजिस्ट

2, इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट फ्लैट हेवलोक रोड, लखनऊ-226001, उत्तर प्रदेश

फोन: 0522-3120168

उपयोगिता: पानी में संखिया रिसने की प्रक्रिया

संजय के राय, असिस्टेंट प्रोफेसर

सेन्टर फॉर कम्यूनिटी मेडिसिन ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस नई दिल्ली-110029,

फोन: 011-26559323

उपयोगिता: सामुदायिक स्तर पर संखिया से लड़ने के तरीके

मिटिगेशन टेक्नोलॉजी/टेस्टिंग


अनिरबन सरकार, मैनेजिंग डायरेक्टर

डेकन वाटर ट्रीटमेंट प्राइवेट लिमिटेड 29/3, खराडी मुंधवा रोड, खराडी पूना-411014,  महाराष्ट्र

फोन: 020-27010162

उपयोगिता: संखिया अल्पीकरण प्रौद्योगिकी

साइंस ऑफ आर्सेनिक कंटेमिनेशन


डी एम बेनर्जी, प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ जियोलॉजी यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली, 21/4, कावाल्री लाइन्स नई दिल्ली-110007,

फोन: 011-27667725, 09818664238

उपयोगिता: पानी में संखिया रिसने की प्रक्रिया

गीता अरोरा, लेक्चरर

डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग बवाना रोड, दिल्ली-110042

फोनः 09818343534

उपयोगिता: संखिया अल्पीकरण प्रौद्योगिकी

डी चन्द्रसेखरम, प्रोफेसर

डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ साइंसेस हेड, सेंटर ऑफ स्टडीज इन रिसोर्सेज इंजीनियरिंग इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मुम्बई-400076 महाराष्ट्र, फोन: 022-25767263, 25767660

उपयोगिता: संखिया किस प्रकार खाद्य श्रृंखला में पहुँचता है

किरन सेनापति

एपीरोन टेक्नोलॉजी इंडिया (पी) लिमिटेड

64/A, बोंडेल रोड, No 2A, कोलकाता-700019, पश्चिम बंगाल

फोन: 09830134668

उपयोगिता: संखिया अल्पीकरण प्रौद्योगिकी

के सी साहु, प्रोफेसर (रिटायर्ड)

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी

F-302, पोवाई पार्क, पार्क L-1 प्लॉट हीरानंदानी गारडन्स, पोवाई, मुम्बई-400076

फोन: 022-25704983

उपयोगिता: पानी में संखिया संदूषण की प्रक्रिया

के के वी यासास, जनरल मैनेजर, एमिल लिमिटेड

नेमेक्स हाउस, ए-8, मोहन को-ऑपरेटिव इंडस्ट्रियल एरिया मथुरा रोड, नई दिल्ली-1100044

फोन: 011-26950001-9

उपयोगिता: संखिया अल्पीकरण प्रौद्योगिकी

नितिश प्रियदर्शी


डिपार्टमेंट ऑफ जिओलॉजी, रांची यूनिवर्सिटी रांची-834008, झारखंड

फोन: 09871467425

उपयोगिता: संखिया संदूषण कैसे होता है

मेघना दास, एनवायरन्मेंटल साइंटिस्ट डिपार्टमेंट अल्टरनेटिव्स, B-32, तारा क्रिसेंट कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया, नई दिल्ली-110016

फोन: 011-26967938, 26851158

उपयोगिता: संखिया संदूषण के लिये पानी की जाँच

एस के आचार्या, प्रोफेसर

डिपार्टमेंट ऑफ जियोलॉजिकल साइंसेस जादवपुर यूनिवर्सिटी, कोलकाता-700032 फोन: 033-24735233, 24146233

उपयोगिता: संखिया संदूषण कैसे होता है

के के गुप्ता इंडस्ट्रियल टॉक्सिकोलॉजिकल रिसर्च सेन्टर

महात्मा गाँधी मार्ग, पोस्ट बॉक्स 80, लखनऊ-226001 उत्तर प्रदेश

फोन: 0522-2221856

उपयोगिता: संखिया संदूषण के लिये पानी की जाँच

सुधिन्द्रा नाथ, असिस्टेंट प्रोफेसर

एग्रीकल्चरल एंड फूड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी,

खड़गपुर-721302

फोन: 3222-2255221

उपयोगिता: संखिया किस प्रकार खाद्य श्रृंखला में पहुँचता है

कृष्णन राजगोपालन

वाटर एंड वेस्ट सॉल्यूशन्स

थरमेक्स लिमिटेड, साई चेम्बर्स, 15, मुम्बई - पुणे रोड वाकाडेवाडी, पुणे-411003, महाराष्ट्र

फोन: 020-25511010, 09823237766

उपयोगिता: संखिया अल्पीकरण प्रौद्योगिकी

उदय कुमार, रीडर

डिपार्टमेंट ऑफ जियोलॉजी

रांची विश्वविद्यालय, रांची-834008, झारखंड

फोन: 0651-2542783

उपयोगिता: पानी में संखिया रिसने की प्रक्रिया

प्रदीप द्विवेदी, प्रोफेसर

203 डी, कोर बिल्डिंग, डिपार्टमेंट ऑफ केमिस्ट्री इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कानपुर-208016, उत्तर प्रदेश

फोन: 0512-2597104

उपयोगिता: संखिया अल्पीकरण प्रौद्योगिकी

राजेश शर्मा, मैनेजिंग डायरेक्टर

आइयोन एक्सचेंज (इंडिया) लिमिटेड टाइसीकोन हाउस, डॉ. ई मोसस रोड, महालक्ष्मी मुम्बई-400011, महाराष्ट्र

फोन: 022-24939520/23/25, 24941088

उपयोगिता: संखिया अल्पीकरण प्रौद्योगिकी

पॉल डेवेरिल, प्रोजेक्ट ऑफिसर

यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रेन्स फंड, इंडिया कंट्री ऑफिस

यूनिसेफ हाउस, 73 लोदी एस्टेट,

नई दिल्ली-110003

फोन: 011-24606555

उपयोगिता: संखिया संदूषण पर निगरानी

सुकुमार देवोत्ता, डायरेक्टर

नेशनल एनवायरन्मेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट नेहरू नगर, नागपुर-440020, महाराष्ट्र

फोन: 0712-22249999, 22249966, 09823279961

उपयोगिता: संखिया अल्पीकरण प्रौद्योगिकी

राज कुमार डाव, प्रोजेक्ट ऑफिसर

वाटर एंड एनवायरन्मेंटल सेनिटेशन सेक्शन, यूनिसेफ इंडिया कंट्री ऑफिस

यूनिसेफ हाउस, 73 लोदी एस्टेट, नई दिल्ली-110003,

फोन: 011-24606529

उपयोगिता: संखिया की समस्या को सुलझाने के लिये नीति

सुनील के चौधरी, प्रोफेसर


एनवायरन्मेंटल बायोलॉजी लेबोरेटरी

टी एम भागलपुर यूनिवर्सिटी भागलपुर-812007, बिहार

फोन: 0641-2500063, 2400178

उपयोगिता: संखिया अल्पीकरण प्रौद्योगिकी

सीन डूलन, एनवायरन्मेंट एडवाइजर डिपार्टमेंट फॉर इंटरनेशनल डवलपमेंट इंडिया, बी-28 तारा क्रीसेंट, कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया नई दिल्ली-110016,

फोन: 011-26529123

उपयोगिता: संखिया की समस्या को सुलझाने के लिये नीति

एस के सिंह, प्रोफेसर

डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग

दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजनीयरिंग बवाना रोड, दिल्ली-110042

फोन: 011-27871061

उपयोगिता: संखिया अल्पीकरण प्रौद्योगिकी

तुहिना बेनर्जी, प्रोजेक्ट एक्जेक्यूटिव

गुड गर्वनेन्स इंडिया फाउंडेशन,

ई-8, 2nd फ्लोर, ग्रीन पार्क मेन, नई दिल्ली-110016,

फोन: 011-26866874

उपयोगिता: संखिया की समस्या को कैसे सुलझाया जाए

समाधान


डी सी पाल, सेक्रेटरी

ग्राम सेवा संघ, सचिन कारगुप्ता पथ, पीओ हाथुबा पीएस हाबड़ा, नॉर्थ 24-परगनाज हाबड़ा-743269, पश्चिम बंगाल

फोन: 03216-2252167

उपयोगिता: कैसे वर्षाजल संग्रहण आर्सेनिक के कहर से मुक्ति दिला सकता है।

सीएसई सम्पर्क


ऋतु गुप्ता, सीनियर सब एडिटर

डाउन टू अर्थ मैग्जीन

सोसाइटी फॉर एनवायरन्मेंटल कम्यूनिकेशन्स

41, तुगलकाबाद इंस्टीट्यूशनल एरिया, नई दिल्ली-110062

फोन: 011-29955124, 29956110, 29956394, 29956399 ईमेल: ritu@cseindia.org

हेरी कौस्सी, एनवायरन्मेंटल एपिडेमियोलॉजिस्ट वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन, इंद्रप्रस्थ एस्टेट महात्मा गाँधी मार्ग, नई दिल्ली-110002

फोन: 011-23370804-23

उपयोगिता: संखिया के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव कैसे कम किए जा सकते हैं

सुपर्णो बेनर्जी, कोर्डिनेटर

सीएसई मीडिया रिसोर्स सेंटर

41, तुगलकाबाद इंस्टीट्यूशनल एरिया, नई दिल्ली-110062

फोन: 011-29955124, 29956110,

29956394, 29956399

ईमेल: souparno@cseindia.org

 

 

भूजल में संखिया के संदूषण पर एक ब्रीफिंग पेपर

अमृत बन गया विष

(इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिये कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें।)   

1.

आर्सेनिक का कहर

2.

बंगाल की महाविपत्ति

3.

आर्सेनिक: भयावह विस्तार

4.

बांग्लादेशः आर्सेनिक का प्रकोप

5.

सुरक्षित क्या है

6.

समस्या की जड़

7.

क्या कोई समाधान है

8.

सच्चाई को स्वीकारना होगा

9.

आर्सेनिक के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब - Frequently Asked Questions (FAQs) on Arsenic

 

पुस्तक परिचय : ‘अमृत बन गया विष’

 

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