आशियाने का सपना पूरा करने की चुनौती

29 Oct 2017
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1 मई, 2017 तक प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत देश भर में महज 4365 आवास परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसके अन्तर्गत 18,76,286 मकानों का निर्माण किया जाना है। इस योजना में 1,00,465.73 करोड़ रुपए निवेश किये गए हैं एवं सरकार ने इसके लिये वित्तीय सहायता के तौर पर 29,426.34 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है, जिसमें से 9,256.04 करोड़ रुपए जारी की जा चुकी है। इसके तहत अब तक महज 1,02,676 मकानों का निर्माण किया जा सका है और बने मकानों में से केवल 78,808 लोगों ने रहना शुरू किया है। खुद के घर का सपना सभी लोग देखते हैं, लेकिन अधिकांश लोग इस सपने को पूरा नहीं कर पाते हैं। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि सभी लोग घर के सपने को पूरा करें। इसलिये, प्रधानमंत्री आवास योजना का शुभारम्भ किया गया। इस योजना को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अमलीजामा पहनाया गया है। इसे सफल बनाने के लिये सरकार ने चार उपायों का सहारा लिया है। पहला, निजी आवास विकास के साथ मिलकर झुग्गी व झोपड़ियों का पुनर्निर्माण व निर्माण। दूसरा, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कर्ज लेने वालों को क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के माध्यम से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना। तीसरा, सरकारी और निजी आवास विकास के साथ मिलकर (पीपीपी मॉडल) सस्ती दर पर मकान बनाना और चौथा, खुद से मकान बनाने वालों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराना। इस योजना का लाभ लेने के इच्छुक लोग अब ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। सरकार ने 3 नवम्बर, 2016 से ऑनलाइन आवेदन स्वीकार करना शुरू कर दिया है। इस आलेख में प्रमुख आवास योजनाओं तथा उनके सम्बन्ध में वित्तपोषण की तैयारी का जायजा लिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)


इन्दिरा आवास योजना, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने वर्ष 1985 में शुरू किया था, को नए कलेवर में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के नाम से 20 नवम्बर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगरा में शुरू किया। दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर पूरे देश में इस योजना को लागू किया गया है। इसके तहत वर्ष 2019 तक ग्रामीण क्षेत्रों में 1 करोड़ पक्के मकान के निर्माण की योजना है। इस आलोक में वित्त वर्ष 2016-17 में 33 लाख मकानों का निर्माण होना है, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 और वित्त वर्ष 2018-19 में क्रमशः 33.5 व 33.50 लाख मकानों का निर्माण किया जाना है। हालांकि, वर्ष 2011 की आर्थिक, सामाजिक एवं जातीय जनगणना के अनुसार देश के ग्रामीण इलाकों में बेघरों की संख्या लगभग 2.95 करोड़ है। इस योजना का लाभ लेने के लिये लाभार्थियों को 2011 की जनगणना के मुताबिक बेघर या कच्चे मकान में रहने वाला होना चाहिए। वैसे, इस योजना के लाभार्थियों की सूची सरकार हर वर्ष खुद तैयार करेगी।

इस योजना के तहत बने मकान नेशनल बिल्डिंग कोड मानकों के तहत भूकम्प, बाढ़, भूस्खलन एवं चक्रवात रोधी होंगे, जिन पर 3 वर्षों यानि 2016 से 2019 की अवधि में 81975 करोड़ रुपए खर्च किये जाएँगे। इसमें से 60 हजार करोड़ रुपए बजट प्रावधान के जरिए और शेष 21,975 करोड़ रुपए नाबार्ड की निधि से खर्च किये जाएँगे। ग्रामीण मैदानी इलाकों में बनने वाले घरों पर 1.20 लाख रुपए और पहाड़ी क्षेत्रों में बनने वाले घरों पर 1.30 लाख रुपए सरकार की तरफ से वित्तीय सहायता के तौर पर बेघरों को उपलब्ध कराए जाएँगे। इस योजना के लाभार्थियों को मनरेगा के अन्तर्गत 90 से 95 दिनों तक रोजगार भी मुहैया कराया जाएगा, जिससे उन्हें 18000 रुपए तक हर साल आमदनी हो सकेगी। साथ ही, 12000 रुपए शौचालय बनाने के लिये भी लाभार्थियों को दिये जाएँगे।

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)


इस योजना को 25 जून 2015 को शुरू किया गया था। शहरी क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 2 करोड़ सस्ती दर पर आवास बनाने के लक्ष्य को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। प्रथम चरण की अवधि अप्रैल, 2015 से मार्च, 2017 है। इस अवधि में 100 शहरों में इस योजना को लागू किया जाएगा। दूसरा चरण, जिसकी अवधि है अप्रैल, 17 से मार्च, 19 में 200 से अधिक शहरों में इस योजना को कार्यान्वित किया जाना है। तीसरे चरण की अवधि है अप्रैल, 19 से मार्च, 22। इस कालखण्ड में देश के बचे हुए शहरों में इस योजना को लागू किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पूर्व में राजीव आवास योजना (आरएवाई), जिसका आगाज पायलट आधार पर झुग्गी-झोपड़ी रहवासियों को वर्ष 2022 तक मुफ्त घर उपलब्ध कराने के लिये वर्ष 2013 में किया गया था, लेकिन निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने में यह सफल नहीं रही।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सभी जातियों की महिलाएँ, आर्थिक रूप से कमजोर तबका (ईडब्ल्यूएस), अल्प आय वर्ग (एलआईजी), मध्य आय वर्ग (एमआईजी), जिसे दो वर्गों में विभाजित किया गया है, पहला एमआईजी-1 और दूसरा एमआईजी-2, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति आदि लाभान्वित हो सकते हैं, लेकिन इच्छुक अभ्यर्थियों की उम्र 70 साल से कम होनी चाहिए।

क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना


भले ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सस्ती दर पर घर बनाने के लिये चार उपायों का सहारा लिया गया है, लेकिन इनमें सबसे लोकप्रिय क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना है। इसके तहत 15 साल तक के गृह ऋण पर ईडब्ल्यूएस और एलआईजी के प्रत्येक लाभार्थी को 6 लाख रुपए तक के कर्ज राशि पर 6.5 प्रतिशत की दर से ब्याज प्रभारित किया जाएगा, जबकि एमआईजी-1 को एक निश्चित कर्ज राशि पर 4 प्रतिशत और एमआईजी-2 को एक निश्चित कर्ज राशि पर 3 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी दिया जाएगा। (तालिका-1)

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जबकि मकान के प्रथम तल के निर्माण के लिये कर्ज लेने पर बुजुर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी। 30 वर्ग मीटर कारपेट एरिया वाले घर के लिये ईडब्ल्यूएस के लाभार्थी की आय 3 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए, वहीं एलआईजी वर्ग के आवेदक के लिये 60 वर्ग मीटर कारपेट एरिया वाला घर हासिल करने के लिये आय 3 से 6 लाख के बीच में होनी चाहिए। आवेदक को योजना का लाभ लेने के लिये पहचान एवं आवास प्रमाण पत्र देने होंगे। आधार कार्ड होने पर उन्हें आसानी होगी।

आवास योजना में नए बदलाव


जब प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के 2 वर्ष बीत जाने के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं निकले तो इसे सफल बनाने के लिये वर्ष 2017 की पूर्व संध्या पर इसमें दो बदलाव किये गए। पहला, 18 लाख रुपए तक आय अर्जित करने वाले लोग भी अब इस योजना का फायदा उठा सकेंगे और दूसरा कर्ज की अवधि को 15 से बढ़ाकर 20 साल किया गया, जिससे लाभार्थी को प्रत्येक माह 2200 रुपए कम किस्त जमा करने होंगे। वैसे लाभार्थी, जो आयकर के 30 प्रतिशत स्लेब में आते हैं को भी हर साल 61,800 रुपए लाभ होने का अनुमान है। (तालिका-2)

ईडब्ल्यूएस और एलआईजी वर्ग वालों को कर्ज दर में 6.5 प्रतिशत की छूट दी जाएगी अर्थात यदि कोई इस योजना के तहत 12 लाख रुपए का कर्ज 9 प्रतिशत की दर पर लेगा तो 6 लाख पर ब्याज 2.5 प्रतिशत की दर से प्रभारित किया जाएगा और बचे हुए 6 लाख पर, जो अधिकतम आय की सीमा से ऊपर है पर 6.5 प्रतिशत की दर से ब्याज प्रभारित किया जाएगा। एमआईजी-1 के तहत, जिनकी आय 12 लाख रुपए से अधिक नहीं है को 4 प्रतिशत की दर से ब्याज सब्सिडी दी जाएगी अर्थात 12 लाख रुपए में से 9 लाख रुपए पर ब्याज सब्सिडी दी जाएगी और बचे हुए कर्ज राशि पर बाजार दर से ब्याज प्रभारित किया जाएगा।

 

तालिका 1 : आवास योजना के तहत दी जाने वाली क्रेडिट लिंक्ड ब्याज सब्सिडी

विवरण

ब्याज सब्सिडी (प्रतिशत में)

कर्ज की राशि (रु.)

कारपेट एरिया (वर्ग मीटर में)

ईडब्ल्यूएस वर्ग

6.50 प्रतिशत

6 लाख

30

एलआईजी

6.50 प्रतिशत

6 लाख

60

एमआईजी-1

4.00 प्रतिशत

9 लाख

90

एमआईजी-2

3.00 प्रतिशत

12 लाख

110

स्रोत : pmjandhanyojana.co.in

 

एमआईजी-2 के अन्तर्गत जिनकी आय अधिकतम 18 लाख है को 12 लाख रुपए तक के कर्ज पर ब्याज दर में सब्सिडी दी जाएगी और बचे हुए 6 लाख पर बाजार दर से ब्याज प्रभारित किया जाएगा। इन प्रावधानों को तालिका-2 से समझा जा सकता है।

रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण


रियल एस्टेट (नियमन एवं विकास) कानून, 2016 रेरा को संसद में वर्ष 2016 में पारित किया गया। इसके बाद आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय को नियामक के कामकाज के लिये नियम बनाने और उन्हें अधिसूचित करने के लिये 1 मई, 2017 तक समय दिया गया था। इसका मकसद रियल्टी कम्पनियों की गतिविधियों में पारदर्शिता लाना एवं खरीदारों के हितों का संरक्षण करना है। बिल्डरों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिये नियमों का उल्लंघन करने पर उन पर जुर्माना लगाने का प्रावधान इस कानून में किया गया है।

माना जा रहा है कि इस नए कानून से रियल एस्टेट में व्याप्त अनियमितताओं का समापन होगा। रियल एस्टेट में आम आदमी के जीवन भर की कमाई को कोई रियल एस्टेट विकास हड़प न जाये की रोकथाम हेतु ही इस कानून को अमलीजामा पहनाया गया है। लोगों के घर के सपने टूटे नहीं को सुनिश्चित करना ही इस कानून का मकसद है। आमतौर पर रियल एस्टेट के क्षेत्र में बिल्डर एक परियोजना का पैसा दूसरी परियोजना में लगा देते हैं, जिससे ग्राहकों को घर मिलने में देरी होती है और बैंकों से कर्ज लिये रहने पर फ्लैट/मकान पर बिना कब्जे के ही उन्हें कर्ज की किस्त व ब्याज दोनों अदा करना पड़ता है।

 

तालिका 2 : प्रधानमंत्री आवास योजना की मुख्य विशेषताएँ (संशोधित)

विवरण

ईडब्ल्यूएस

एलआईजी

एमआईजी-1

एमआईजी-2

वार्षिक आय

3 लाख रु.

6 लाख रु.

12 लाख रु.

18 लाख रु.

अधिकतम कर्ज की अवधि

20 वर्ष

20 वर्ष

20 वर्ष

20 वर्ष

योजना के तहत कर्ज पाने की योग्यता

6 लाख रु.

6 लाख रु.

9 लाख रु.

12 लाख रु.

मौजूदा औसत ब्याज दर

9 प्रतिशत

9 प्रतिशत

9 प्रतिशत

9 प्रतिशत

ब्याज सब्सिडी दर

6.5 प्रतिशत

6.5 प्रतिशत

4 प्रतिशत

3 प्रतिशत

कारपेट एरिया (वर्ग मीटर)

30

60

90

110

मासिक किस्त (सब्सिडी)

5398 रु.

5398 रु.

8098 रु.

10797 रु.

सब्सिडी किस्त पर

3179 रु.

3179 रु.

5940 रु.

8597 रु.

किस्त में मासिक बचत

2219 रु.

2219 रु.

2158 रु.

2200 रु.

किस्त में वार्षिक बचत

26628 रु.

26628 रु.

25896 रु.

26400 रु.

स्रोत : pmjandhanyojana.co.in

 

बिल्डर को रेरा में पंजीकरण कराने के लिये प्रत्येक परियोजना के लिये बैंक में अलग से खाता खुलवाना पड़ेगा और उक्त खाते में परियोजना की 70 प्रतिशत अनुमानित राशि जमा करनी होगी। बिल्डर परियोजना से जुड़े कार्यों से इतर उद्देश्य के लिये इस राशि का उपयोग नहीं कर सकेंगे, जिससे रियल एस्टेट में व्याप्त विसंगतियों की पुनरावृत्ति पर लगाम लगेगा और आवासीय परियोजनाओं को निर्धारित समय पर पूरा करना भी सम्भव हो सकेगा। रेरा के तहत बिल्डर को अपने 5 सालों के रिकॉर्ड को भी दर्ज कराने होंगे, जिससे ग्राहक बिल्डर के प्रोफाइल को एक्सेस करके उसके पिछले प्रदर्शन के अनुसार बिल्डर का चयन कर सकेंगे। रेरा से बिल्डरों को भी फायदा होगा। परियोजना के रेरा में पंजीकृत होने से बिल्डर की ब्रांड इमेज बनेगी और उन्हें बैंकों से कर्ज लेने में आसानी होगी। ग्राहक पंजीकृत बिल्डर के पास बिना हिचक के मकान या फ्लैट लेने के लिये जा सकेंगे। रेरा में बिल्डरों की पूरी जानकारी होने से बैंकों को भी उन्हें कर्ज देने में आसानी होगी।

बैंकों की भूमिका


प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ सभी बैंकों से कर्ज लेने पर मिलेगा। अगर किसी व्यक्ति ने एक जनवरी के बाद मकान खरीद लिया है और वह इस योजना की शर्तों को पूरा करता है तो उसे इस योजना का फायदा मिलेगा। इसके लिये उसे सिर्फ अपने बैंक को इस सुविधा को लेने के सम्बन्ध में अपनी रजामन्दी बतानी होगी। तदुपरान्त, बैंक दस्तावेजों की जाँच करके उसके किस्त की गणना करेगा। इस क्रम में सरकार ने राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) और हुडको को नोडल एजेंसी बनाया है। चूँकि, प्रधानमंत्री आवास योजना का सार क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी है इसलिये, इसकी सफलता बिना बैंकों की सकारात्मक भूमिका के सम्भव नहीं हो सकती है। ऐसे में सवाल का उठना लाजिमी है कि क्या बैंक इस योजना का लाभ इच्छुक लोगों को देने के लिये तैयार हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2 करोड़ शहरी और 1 करोड़ ग्रामीण क्षेत्र में आवास का निर्माण होना है। लिहाजा, बैंक इस बिजनेस को खोना नहीं चाहेंगे, लेकिन अभी तक सभी बैंक कर्मचारियों को इस योजना की जानकारी नहीं है, जिसके कारण यह योजना अभी भी अपनी रफ्तार में नहीं आ सकी है।

निष्कर्ष


प्रधानमंत्री आवास योजना निश्चित रूप से एक महत्त्वाकांक्षी योजना है। पूर्व में राजीव गाँधी द्वारा वर्ष 1985 में शुरू की गई इन्दिरा आवास योजना, जो गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले ग्रामीणों के लिये शुरू की गई थी, लेकिन लक्षित उद्देश्य को प्राप्त करने में असफल रही। पुनश्चः वर्ष 2013 में शुरू की गई राजीव आवास योजना भी निर्धारित मुकाम तक पहुँचने में असफल रही। देखा जाये तो प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण व शहरी) दोनों ही स्वरूप एवं व्यापकता में इन्दिरा आवास योजना एवं राजीव आवाय योजना से बेहतर हैं, लेकिन इसके सन्दर्भ में भी समस्या योजना को सफलतापूर्वक लागू करने से जुड़ी है। 1 मई, 2017 तक प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत देश भर में महज 4365 आवास परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसके अन्तर्गत 18,76,286 मकानों का निर्माण किया जाना है। इस योजना में 1,00,465.73 करोड़ रुपए निवेश किये गए हैं एवं सरकार ने इसके लिये वित्तीय सहायता के तौर पर 29,426.34 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है, जिसमें से 9,256.04 करोड़ रुपए जारी की जा चुकी है। इसके तहत अब तक महज 1,02,676 मकानों का निर्माण किया जा सका है और बने मकानों में से केवल 78,808 लोगों ने रहना शुरू किया है।

आजादी के बाद से देश में बहुत सारी कल्याणकारी योजनाएँ बनाई गईं और सब्सिडी या कर्ज ब्याज दर में रियायत देने का भी प्रावधान किया गया। बावजूद इसके, योजना व व्यवस्था में व्याप्त खामियों की वजह से वे सफल नहीं हो सकीं। इस नजरिए से मोदी सरकार की इस योजना को भी त्रुटिहीन नहीं माना जा सकता है। साफ है कि इस योजना को लागू करने की रफ्तार बहुत ही धीमी है। हालांकि, रेरा कानून 2016, जिसे हाल ही में लागू किया गया है का सकारात्मक असर इस योजना पर पड़ेगा कि उम्मीद की जा सकती है। इससे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले मकानों की निर्माण गति में कुछ तेजी ने की सम्भावना जरूर है। बावजूद इसके निर्धारित समय में इस योजना को पूरा करने की राह में अनेक अड़चनें हैं, जिनसे निजात पाना सरकार के लिये आसान नहीं होगा।

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