अतिक्रमणकारियों ने पाट दिया राजपुर का नाला

15 May 2019
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2009 में रिस्पना कुछ यूँ दिखती थी
2009 में रिस्पना कुछ यूँ दिखती थी

(अमर उजाला, दून 16 मई 2019)

अतिक्रमणकारियों ने राजपुर क्षेत्र के सबसे बड़े नाले को पाटकर बड़े हिस्से पर निर्माण कर दिया है। इसके चलते राजपुर क्षेत्र से निकलकर रिस्पना नदी में गिरने वाले पानी का रास्ता बंद हो गया है। पार्षद उर्मिला थापा ने इसके खिलाफ ही हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सरकार से जवाब तलब किया गया है।

याचिकाकर्ता राजपुर पार्षद उर्मिला थापा के अनुसार राजपुर क्षेत्र की नालियों, घरों और बरसात का पानी एक नाले के जरिये रिस्पना नदीं में जाता है। दूसरी तरफ से बिंदाल नदी में पानी गिरता है। भूमाफियाओं ने रिस्पना की ओर जाने वाले नाले के बड़े हिस्से पर अतिक्रमण कर लिया है। यहां प्लाटिंग करने के लिए बड़े पैमाने पर साल, शीशम और खैर के पेड़ काटे गए हैं। उन्होंने अपनी याचिका के साथ पेड़ों के कटान, अतिक्रमण और प्लाटिंग की तस्वीरें व अन्य साक्ष्य भी हाईकोर्ट में दिए हैं। उर्मिला के अनुसार, उन्होंने कई बार नगर निगम, वन विभाग और पुलिस से शिकायत की लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने कोर्ट की शरण ली। 

मलिन बस्तियों का विरोध नहीं 

उर्मिला थापा ने कहा कि रिस्पना और बिंदाल नदियों किनारे बसी बस्तियों को लेकर उनका कोई विरोध नहीं है। वह केवल राजपुर क्षेत्र की निकासी व्यवस्था को बचाने का प्रयास कर रही हैं। भूमाफियाओं के अतिक्रमण के कारण अगर नाला पूरी तरह बंद हो गया और निकासी रुक गई तो राजपुर क्षेत्र को भी खतरा हो सकता है।

नालों को साफ करने से क्‍या होगा?

नगर निगम की ओर से पान रोड क्षेत्र में नालों की सफाई करवाई जा रही है। उर्मिला थापा ने कहा कि नालों की सफाई से पूरे राजपुर रोड क्षेत्र का पानी आसानी से बाहर निकल जाएगा। इससे जलभराव की समस्या नहीं होगी। लेकिन आगे जाकर यह पानी इसी नाले में आएगा। अब अगर यहां अतिक्रमण के कारण चोक रहा तो खतरा बढ़ जाएगा।

 

देहरादून की रिस्पना और बिंदाल नदी में बढ़ते अतिक्रमण और प्रदूषण मामले में दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रदेश और केंद्र सरकार के साथ केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। मंगलवार को मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति एनएस धानिक की संयुक्त खंडपीठ ने की।

पार्षद उर्मिला थापा की दोनों नदियों की बदहाली पर लगाई गई जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने तीन हफ्ते में मांगा जवाब 

राजपुर वार्ड की पार्षद उर्मिला थापा ने हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में कहा है कि रिस्पना और बिंदाल नदी परिक्षेत्र में लोगों ने अतिक्रमण कर पक्के मकान बना लिये हैं। यही नहीं, नदी में कूड़ा डाला जा रहा है। इससे लगे नालों का मार्ग भी रोक दिया है। इससे बारिश के दौरान घरों में पानी भर जा रहा है। याचिका में दोनों नदियों को प्रदूषण मुक्त करने और नालों और खालों में चल रहे अतिक्रमण पर भी पूरी तरह पाबंदी लगाने के लिए राज्य सरकार और संबंधित एजेंसियों को निर्देश जारी करने की मांग की है।

'रिवर डेवलपमेंट फ्रंट' योजना का असर कहीं नहीं दिख रहा

सरकार की रिवर डेवलपमेंट फ्रंट योजना में भी कुछ खास नहीं हुआ। इस योजना के तहत रिस्पना नदी और बिंदाल नदी की सूरत बदली जानी थी। इसके लिए रिस्पना नदी में दोनों तरफ तारबाड़ कर जमीन भी निकाली गई। पुस्ते तक बनाए गए, लेकिन योजना का फायदा अभी तक नहीं मिल पाया है। ऐसे ही बिंदाल नदी क्षेत्र में पुस्ते बनाए गए। पर रिवर डेवलपमेंट फ्रंट योजना का असर कहीं भी दिखायी नहीं दे रहा है। नदी किनारे अभी भी कब्जे हैं। लोग नदी के किनारे बस्ती बनाकर रह रहे हैं।

रिस्पना क्यों गंदी हुई, यूसर्क बताएगा

रिस्पना में शिखर फॉल तक पानी साफ है, जबकि उसके बाद पानी दूषित है। इसके बाद यह गंदे नाले में तब्दील हो जाती है। स्वच्छ और साफ पानी कुछ ही किलोमीटर में एक गंदे नाले में क्यों बदल जाता है और कौन इसका कारण है, इस पर उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसेक) ने सैटेलाइट मैपिंग के जरिये रिपोर्ट तैयार की है। इस पर डाक्यूमेंट्री भी बनाई है। इसे जल्द ही सरकार को सौंपा जाएगा।

सीएम त्रिवेंद्र रावत के आदेश पर यूसेक इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। असल में, शिखर फाल तक रिस्पना में काफी पानी है। लेकिन उसके बाद अचानक पानी गायब सा हो जाता है। प्रोजेक्ट के पता लगाना है कि आखिरकार पानी के गायब होने के जियोलॉजिकल कारण क्या हैं। यूसेक निदेशक प्रो. एमपीएस बिष्ट बताते हैं कि हमने रिपोर्ट तैयार कर ली है। साथ ही एक डाक्यूमेंट्री भी इस विषय पर बनाई है। इसे सरकार को सौंप दिया जाएगा।

रिस्पना से ऋषिपर्णा अभियान

प्रदेश सरकार ने रिस्पना से ऋषिपर्णा अभियान भी चलाया है। लेकिन जिस कदर रिस्पना नदी क्षेत्र के दोनों तरफ हजारों की संख्या में भवन बने हैं, उससे इस योजना की राह आसान नहीं है। हालांकि सरकार ने रिस्पना नदी की सूरत बदलने के लिए शिखर फॉल से राजपुर की पहाड़ियों के बीच पौधरोपण भी किया है।

राजपुर क्षेत्र में हरियाली खत्म होने और नदी क्षेत्र में निर्माण को लेकर पार्षद उर्मिला थापा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। वर्ष 2010, 2016 और 2019 में गूगल मैप से राजपुर में रिस्पना नदी क्षेत्र की ईमेज हाईकोर्ट के समक्ष रखी। हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह में केंद्र, राज्य सरकार, जिला प्रशासन, नगर निगम व एमडीडीए से जवाब मांगा है। - अभिजय नेगी, अधिवक्ता

हरीश रावत सरकार में मलिन बस्तियों के नियमितीकरण को लेकर नियमावली बनी थी। लेकिन भाजपा सरकार ने उस नियमावली पर काम नहीं किया। भाजपा ने बस्तियों के लोगों को गुमराह करने का काम किया है। यह ठीक है कि अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। - राजकुमार, पूर्व विधायक राजपुर रोड

राजपुर क्षेत्र में खाले पर अतिक्रमण करने से ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त हो गया था। जिस कारण बरसात में पानी कालोनियों में आता था। इसकी शिकायत नगर निगम से लेकर पुलिस से की थी, लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद जाकर नैनीताल हाईकोर्ट की शरण ली। मैं चाहती हूं कि सरकारी खाले सुरक्षित रहें और ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त बना रहे।
उर्मिला थापा, पार्षद कांग्रेस राजपुर वार्ड

नदी, नालों और खालों पर हुए निर्माण को लेकर हाईकोर्ट का आदेश अभी तक हमें नहीं मिल पाया है। हाईकोर्ट का आदेश आने पर उसका अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद ही मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।
- सुनील उनियाल गामा, मेयर

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