बौद्ध साहित्य में उल्लिखित नदी जो कसिया या प्राचीन कुशीनगर के निकट बहती थी।
बुद्ध का दाहसंस्कार इसी नदी के तट पर हुआ था।
यह गंडक की सहायक नदी है जो अब प्राय: सूखी रहती है।
बौद्ध साहित्य में इस नदी को हरिण्या भी कहा गया है।
संभव है अतितवती और अचिरवती में केवल नाम-भेद हो।
अन्य स्रोतों से:
गुगल मैप (Google Map):
बाहरी कड़ियाँ:
विकिपीडिया से (Meaning from Wikipedia):
संदर्भ:
1-http://hi.bharatdiscovery.org