बेलोही जलप्रपात

यह प्रपात हनुमना तहसील में गोरमा नदी पर है तथा हनुमना कस्बा से 15 किलोमीटर की दूरी पर बिल्कुल मैदानी भूमि में स्थित है। इसकी ऊँचाई 334 फुट है। गोरमा नदी, गोयला, नामक काया की एक गली से जन्म लेती है जो आगे चलकर 40 किलोमीटर की दूरी तय कर बैलोही जल प्रपात में परिवर्तित हो जाती है। इस प्रपात को स्थानीय बघेली बोली में छोड़ का कूड़ा भी कहते हैं।

बैलोही जलप्रपात देखने में हरा प्रतीत होता है। जो डरावना भी लगता है। इस प्रपात को चारों दिशाओं में घूमकर एवं परिवर्तित की परिक्रमा कर देखा जा सकता है। जब गोरमा नदी में बाढ़ आ जाती है तो यहाँ का दृश्य बड़ा मनोरम लगता है। यहाँ प्रतिवर्ष जनवरी में मकर संक्रांति पर एक मेला भी लगता है।

केवटी जलप्रपात


सुरम्य, मनोरम एवं प्राकृतिक सौन्दर्य भरे जलप्रपातों के लिए सिरमौर एशिया महाद्वीप में प्रसिद्ध है। क्योटी जलप्रपात रीवा से 37 किलोमीटर उत्तर पूर्व की ओर सिरमौर तहसील में स्थित है। के का अर्थ है पानी और वटी कहते हैं धारा को। इस तरह पानी और धारा से मिलकर केवटी शब्द बना है। वैदिक शब्दों में इसका अर्थ हुआ तपस्या का वह स्थल जहाँ जल की अजस्र धारा प्रवाहित हो।
केवट प्रपात दर्शनीय एवं मनोरम है। यह प्रपात टमस की सहायक महाना नदी द्वारा बनाया गया है। सतत जल धार गिरते रहने से उसके आघात से नीचे एक कुण्ड बन गया है। महाना नदी रीवा से लगभग 15 किलोमीटर दूर ईशान कोण में पुरान ग्राम के मतइन तालाब से निकलती है। यहाँ से 70 किलोमीटर दूर चलकर केवटी प्रपात बनाती है। केवटी की ऊँचाई 331 फुट है। महाना नदी प्रपात के एक किलोमीटर पहले से चट्टानों को अपने प्रबल वेग से काट देती है। प्रपात के बनने के पहले यह 30 फुट गहरी है तथा इसका पाट भी बहुत चौड़ा हो जाता है। बाढ़ आने से पूर्व पश्चिमी प्रपातों में पानी गिरता है। लेकिन सामान्य स्थिति में मुख्य धारा पश्चिम प्रपात से ही गिरती है। केवटी प्रपात की ऊंचाई 200 मीटर है। प्रपात के पूर्वी तट पर प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ठाकुर रणमत सिंह की इतिहास प्रसिद्ध गढ़ी है। इनके नाम पर रीवा के भूतपूर्व दरबार कालेज का नाम रखा गया है। गढ़ी से नीचे प्रपात के कुण्ड तक जाने का रास्ता बना है।

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