भारत में रीसाइकिल्ड पानी से बनेगी बिजली

12 Jan 2015
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माइक्रोसॉफ्ट के सह संस्थापक बिल गेट्स लगाएँगे प्लांट

नई दिल्ली। आपने रीसाइकिल्ड प्लास्टिक के सामान देखे होंगे जो बाजार में ‘सेकेण्ड प्लास्टिक’ के नाम से मिलते हैं। यह प्लास्टिक को गलाकर दोबारा तैयार किए जाते हैं। ठीक इसी प्रकार देश में गन्दे पानी को रीसाइकिल्ड कर बिजली बनाने की तैयारी की जा रही है। सुनने में जरूर अटपटा लगेगा पर यह सच है।

अब जल्द ही देश में मल-मूत्र जैसे गन्दे पानी को रीसाइकिल्ड कर बिजली तैयार की जाएगी। इसकी रूपरेखा भी तैयार की जाने लगी है और यह कारनामा माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउण्डर बिल गेट्स ने कर दिखाया है। सिएटल की कम्पनी ने (ओमनीप्रोसेसर) नाम के इस प्लांट की संरचना तैयार कर निर्माण किया है।

बिल गेट्स और मेलिण्डा गेट्स का फाउंडेशन संयुक्त रूप से इस प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहना रहे हैं। देश में इस प्रोजेक्ट के लगने से मल-मूत्र जैसा गन्दा पानी फिल्टर कर शुद्ध किया जा सकेगा। वहीं इस प्रक्रिया में 250 किलोवॉट बिजली भी उत्पन्न होगी जो कि कई गाँवों को रोशन करेगी।

भारत में प्लांट निर्माण और उसकी लागत का अनुमान लगाने के लिए जैनेकी बॉयोएनर्जी के संस्थापक पीटर जैनेकी देश के कई राज्यों का दौरा भी कर चुके हैं। जैनेकी ने भारत के साथ ही अफ्रीका जैसे देशों को भी प्लांट निर्माण के लिए चुना है। वहीं बिल गेट्स का कहना है कि उनका उद्देश्य प्लांट की लागत कम करने का है ताकि भारत जैसे देश में कम निवेश के साथ इसे वेस्ट ट्रीटमेंट बिजनेस के रूप में भी शुरू किया जा सके।

उन्होंने एक खास प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए सिएटल की कम्पनी जैनेकी बायोएनर्जी के साथ हाथ मिलाया है। कम्पनी के साथ गेट्स ने ऐसा प्लांट डेवलप किया है जो मानव के मल-मूत्र से पानी और बिजली बना सकेगा।

ऐसे बनेगा पीने का पानी


1. गन्दगी मशीन से कन्वेयर बेल्ट के जरिए ड्रायर में जाती है। यहाँ ऊँचे तापमान पर पानी को गन्दगी से अलग करते हैं।
2. ड्रायर में मल-मूत्र का पानी भाप में बदलकर पाइप के जरिए कूलिंग ट्यूब में चला जाता है। बाकी गन्दगी सूख जाती है।
3. सूखी हुई गन्दगी भट्टी में ऊँचे तापमान पर जलाते हैं। इससे टेम्प्रेचर-हाई स्पीड भाप बनती है जो सीधे स्टीम इंजन में जाती है।
4. स्टीम इंजन से जुड़ा जेनरेटर चालू हो जाता है और बिजली बनाता है। बची राख कहीं भी इस्तेमाल हो सकती है।

क्या है खास


1. एक लाख लोगों के मल-मूत्र से रोज बन सकेगा 86000 लीटर पीने योग्य पानी।
2. 250 किलो वॉट बिजली उत्पन्न होगी इस प्रक्रिया में।
3. 1000 डिग्री सेल्सियस के ऊँचे तापमान पर जलाते हैं अपशिष्ट ताकि बदबू निकल जाए।

क्यों है ऐसे प्लांट की जरूरत


1. हर साल गन्दे पानी और अन्य गन्दगी से होने वाली बीमारियों से सात लाख बच्चों की मौत होती है।
2. दुनिया में करीब दो अरब लोगों (पूरे विश्व की कुल जनसंख्या के 35 प्रतिशत) को साफ-सफाई की बेहतर सुविधा न होने से गन्दा पानी पीना पड़ता है।
3. भूगर्भ जल का स्तर पूरी दुनिया में गिर रहा है। पूरी दुनिया में जल संरक्षण के तरीकों पर बड़े शोध हो रहे हैं।
4. कहा तो जा रहा है कि अगर हालात काबू में न आए तो तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए होगा।

गेट्स ने पिया और बताया ‘शुद्ध


दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार बिल गेट्स ने इंसानी मल-मूत्र से बना पानी पीकर दिखाया है। इसके बाद उन्होंने इसे पूरी तरह से ‘शुद्ध’ बताया। अपने ब्लॉग पोस्ट में उन्होंने कहा कि इसका स्वाद ठीक उस तरह है, जैसे किसी बोतलबन्द पानी का होता है। यह कैसे बड़ी सफाई और मानकों का पालन करके बन रहा है, यह जानने के बाद इसे खुशी-खुशी रोज पीने को तैयार हूँ। यह सुरक्षित है।

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