भीषण गर्मी में सभी को रुलाएगा पेयजल संकट

9 May 2014
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आठ जिलों में गाजियाबाद दूसरे स्थान पर
221 नलकूपों के लिए सिर्फ छह जनरेटर


जिला मुख्यालय में सूचना विभाग कार्यालय के समीप पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने के कारण पानी की खूब बर्बादी हो रही है, मगर देखने वाला कोई नहीं है। पानी की बर्बादी की यह तो एकबानगी है, इसी तरह महानगर में ऐसे अनेक स्थान हैं जहां पाइप लाइन टूटी हुई है या सरकारी टोटियों से पानी लगातार रिस रहा है। इस तरह जलकल विभाग को देखने की फुर्सत तक नहीं है। भूजल स्तर में प्रतिवर्ष 79 सेंटीमीटर की दर से गिरावट आने के बावजूद सरकारी तंत्र गंभीर नहीं है। भूजल स्तर में कमी की दृष्टि से चिन्हित आठ संवेदनशील जिलों में से गाजियाबाद दूसरे स्थान पर है। भूजल दोहन रोकने की दिशा में प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। ऐसे में भीषण गर्मी की शुरुआत के साथ पेयजल संकट गहराने लगा है। जरूरत के अनुरूप पेयजल उपलब्ध नहीं है। नतीजन बूंद-बूंद पानी के लिए हाहाकार मचने की प्रबल संभावना है।

लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल अनुभाग-1 लखनऊ की रिपोर्ट के मुताबिक गाजियाबाद में प्रतिवर्ष 79 सेंटीमीटर की दर से भूजल स्तर में गिरावट आ रही है। इसका मुख्य कारण भूजल दोहन को माना गया है। रिपोर्ट में सूबे के आठ जिलों को भूजल स्तर में कमी की दृष्टि से संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है, जिसमें गाजियाबाद दूसरे स्थान पर है।

पहले नंबर पर मेरठ है। जहां प्रतिवर्ष 91 सेंटीमीटर की दर से भूजल स्तर खिसक रहा है। सरकारी आंकड़ों की भयावह सच्चाई के बाद भी सरकारी स्तर पर भूजल दोहन रोकने की दिशा में कड़े कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

अवैध तरीके से भूजल का दोहन कर पानी का कारोबार हो रहा है। इसके अलावा बिना अनुमति के घर-घर में सबमर्सिबल पंप स्थापित किए जा रहे हैं। बगैर सरकारी अनुमति के लगाए गए सबमर्सिबल पंप का कोई ब्यौरा किसी विभाग में उपलब्ध नहीं है। गाजियाबाद नगर निगम का सीमा क्षेत्र 210 किमी. में फैला है। इस क्षेत्र की वर्तमान आबादी 17 लाख 28 हजार से ज्यादा है।

वर्ष-2001 की जनगणना के तहत नगर निगम क्षेत्र की आबादी 9 लाख 68 हजार आंकी गई थी। आबादी का बोझ निरंतर बढ़ रहा है। इस हिसाब से पेयजल की उपलब्धता नहीं हो रही है। नगर निगम सीमा क्षेत्र में वर्तमान में कुल 221 बड़े नलकूप हैं। छोटे नलकूपों की संख्या 195 है। जलकल विभाग की ओर से 2 लाख 20 हजार पेयजल संयोजन स्वीकृत किए गए हैं। इसी क्रम में पेयजल आपूर्ति हेतु 64 अपर जलाशय और 17 भूमिगत जलाशय हैं।

सरकारी मानक के अनुसार प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 155 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इस हिसाब से रोजाना 25 करोड़ 93 लाख 40 हजार लीटर पेयजल की जरूरत है, मगर उपलब्धता कुल डिमांड के मुकाबले सिर्फ 65 फीसदी की है। काफी पानी लाइनों की लीकेज होने के कारण बर्बाद हो जाता है। साथ ही बिजली संकट की वजह से भी पेयजल आपूर्ति बाधित हो रही है।

सूत्रों के मुताबिक बिजली गुल होने की स्थिति में 221 नलकूपों के संचालन हेतु महज छह जनरेटर की व्यवस्था की गई है। यह ऊंट के मुंह में जीरा समान है। जबकि 80 वार्डों में वैकल्पिक व्यवस्था के अंतर्गत पेयजल आपूर्ति हेतु मात्र 30 टैंकर हैं।

ट्रांस हिंडन क्षेत्र की वसुंधरा, वैशाली, कौशम्बी, इंदिरापुरम, ग्राम मकनपुर, भोवापुर के अलावा सूर्यनगर, ब्रिज विहार, रामप्रस्थ, रामपुरी व चंद्रनगर कॉलोनी में गंगाजल आपूर्ति होती है। वहां रोजाना 72 एमएलडी गंगा वाटर की आपूर्ति का दावा किया जा रहा है। हालांकि इन कॉलोनियों में इन दिनों पेयजल संकट हावी है। उधर, औद्योगिक क्षेत्र साइट-4, ग्राम झंडापूर, कड़कड़ मॉडल, महाराजपुर, शहीद नगर, पप्पू कॉलोनी, जनकपूरी, अर्थला, संजय कॉलोनी आदि क्षेत्रों में पानी पीने लायक नहीं बचा है । बिजली संकट से पेयजल आपूर्ति निरंतर प्रभावित हो रही है।

पानी की बर्बादी


उधर, जिला मुख्यालय में सूचना विभाग कार्यालय के समीप पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने के कारण पानी की खूब बर्बादी हो रही है, मगर देखने वाला कोई नहीं है। पानी की बर्बादी की यह तो एकबानगी है, इसी तरह महानगर में ऐसे अनेक स्थान हैं जहां पाइप लाइन टूटी हुई है या सरकारी टोटियों से पानी लगातार रिस रहा है। इस तरह जलकल विभाग को देखने की फुर्सत तक नहीं है।

व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा


नगरनिगम के अधीशासी अभियंता (जल) आर.के. यादव का कहना है कि शहर में जरूरत के अनुरूप पेयजल आपूर्ति हो रही है। बिजली संकट की स्थिति में नलकूपों का संचालन करने को फिलहाल छह जनरेटर किराए पर लिए गए हैं। 21 बड़े नलकूपों की रिबोरिंग कराई जा रही है। शहर भर में छह हजार हैंडपंप हैं। इनमें से पांच सौ हैंडपंपों की रिबोरिंग का काम चल रहा है। आपातकाल के लिए डेढ़ सौ मीटरें स्पेयर में रखी गई हैं।

यदि किसी नलकूप की मोटर खराब हो जाती है तो उसे तुरंत बदल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि शहर में फ्लोटिंग आबादी का दबाव भी कम नहीं है। कामकाज के सिलसिले में प्रतिदिन काफी संख्या में बाहरी लोग यहां आते हैं। यह आबादी भी यहां के संसाधनों का उपभोग करती है। भू-जल दोहन रोकने हेतु जलकल विभाग पर कोई बड़ा अधिकार नहीं है।

संसाधनों का संकट


1. खराब हैंडपंप - 500
2. खराब नलकूप – 21
3. 80 वार्डों पर सिर्फ 30 टैंकर
4. पेयजल आपूर्ति के लिए 30 टैंकर

जनपद

भूजल स्तर में प्रतिवर्ष गिरावट

मेरठ

91 सेमी.

गाजियाबाद

79 सेमी.

गौतमबुद्धनगर

76 सेमी.

लखनऊ

70 सेमी.

वाराणसी

68 सेमी.

कानपुर

65 सेमी.

इलाहाबाद

62 सेमी.

आगरा

45 सेमी.

 



स्रोतः लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल अनुभाग लखनऊ की रिपोर्ट पर

आधारित आंकड़े- I
गाजियाबाद शहर में उपलब्ध पेयजल संसाधन

बड़े नलकूप

-221

छोटे नलकूप

-195

हैंडपंप

-6 हजार

अपर जलाशय

-64

भूमिगत जलाशय

-17

पेयजल टैंकर

-    30

पेयजल संयोजन

-    2 लाख 20 हजार

प्रति व्यक्ति जरूरत

-155 लीटर

 



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