बिहार बाढ़ः बिहार हुआ पानी-पानी

किशनगंज में कटाव से खतरे में गाँव
किशनगंज में कटाव से खतरे में गाँव

पिछले दो दिनों से बिहार में बारिश की रफ्तार कुछ थमी हुई है, लेकिन इसके बावजूद नदियों के जलस्तर में इजाफा बरकरार है। आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, बूढ़ी गंडक का जलस्तर खगड़िया, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर के सिकंदरपुर गॉज स्टेशन में बढ़ रहा है। वहीं, कमला बालान नदी का जलस्तर मधुबनी के झंझारपुर और जयनगर तथा घाघरा नदी सिवान के दरौली में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। 

इसी तरह खिरोई नदी दरभंगा के कमतौल में खतरे के निशान से 0.72 मीटर ऊपर बह रही है और जलस्तर में लगातार इजाफा हो रहा है। महानंदा नदी पूर्णिया के धंगराघाट में और बागमती नदी सीतामढ़ी के डुब्बाधर में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। अधवारा नदी सीतामढ़ी के सुंदरपुर और पुपरी गॉज स्टेशन में खतरे के निशान से 1 से 2 मीटर बह रही है और स्थानीय प्रशासन के अनुसार इसके जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है। 

वहीं, गंगा नदी अभी खतरे के निशान से ऊपर नहीं पहुंची है, लेकिन विभिन्न गॉज स्टेशनों में इसके जलस्तर में वृद्धि देखी जा रही है। जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा,

“पटना के दीघा और हथीदह, मुंगेर, भागलपुर के भागलपुर और कहलगांव गॉज स्टेशन में गंगा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।”

भारतीय मौसमविज्ञान विभाग की तरफ से जारी वेदर बुलेटिन के मुताबिक, 19 जुलाई तक बिहार के विभिन्न जिलों में बारिश हो सकती है। पहले से ही उफान पर बह रही नदियों के जलस्तर में इस बारिश से और वृद्धि हो सकती है। हालांकि, राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा है कि विभाग के इंजीनियर तटबंधों की लगातार निगरानी कर रहे हैं।

नए इलाकों में घुसा बाढ़ का पानी

भागलपुर के आधा दर्जन प्रखंडों में बाढ़ का पानी घुस गया था, लेकिन अब यहां से पानी उतरने लगा है। ये प्रखंड निचले इलाके में स्थित हैं। घनश्यामपुर ब्लॉक के गांवों में भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया था। सर्किल अफसर दीनानाथ कुमार ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों से अब पानी उतर रहा है। प्रभावित गांवों में मेडिकल टीम भेजी गई थी, जिन्होंने लोगों की जांच की है। उनके मुताबिक, प्रभावित इलाकों में 20 नावें भेजी गई हैं।

घनश्यामपुर के अलावा कुशेश्वर स्थान, किरतपुर ब्लॉक, हनुमाननगर आदि ब्लॉक के गांवों में भी पानी घुसा हुआ था, लेकिन अब हालात में सुधार हो रहा है। जिले के अधिकारियों ने बताया कि जिले में कुल 89 नावें तैनात की गई हैं।

इधर, खगड़िया के बेलदौर प्रखंड के कई गांव कोसी नदी में जलस्तर बढ़ने से बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। कुछ गांवों में तेजी से कटाव भी हो रहा है, जिससे लोग दहशत में हैं। 

खगड़िया के लघु सिंचाई विभाग के एक्जिक्यूटिव इंजीनियर नवल किशोर ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया,

कुछ इलाकों से कटाव की खबरें आ रही हैं और नदियों का जलस्तर भी बढ़ रहा है, लेकिन ये हर साल होता है.”

नहीं मिल रही सरकारी मदद

उधर, कटिहार के भी आधा दर्जन ब्लॉक के गांवों में बाढ़ का पानी फैला हुआ है। कई जगह पुलिया क्षतिग्रस्त हो जाने से लोगों को आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 

कटिहार के अमदाबाद ब्लॉक की जंगलाटाल पंचायत के 4 गांवों में एक हफ्ते से बाढ़ का पानी फैला हुआ है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं पहुंची है।

पंचायत की मुखिया सनफली खातुन ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया,

“महानंदा का पानी एक हफ्ते से गांवों में है। इस पंचायत में लगभग 750 परिवार रहते हैं, लेकिन राहत सामग्री अभी तक नहीं पहुंची है। जिन लोगों के पक्के मकान हैं, वे छतों पर रहे हैं और जिनके कच्चे घर हैं वे बांध पर शरण लिए हुए हैं" 

उंहोंने यह भी बताया कि हम लोगों ने सीओ व बीडीओ को इसकी सूचना दे दी है, लेकिन अभी तक राहत सामग्री उपलब्ध नहीं कराई गई है।”

मधेपुरा के आलमनगर प्रखंड के कई गांव हफ्ते भर से बाढ़ की चपेट में हैं। बताया जा रहा है कि फिलहाल प्रखंड की आठ पचायतों में बाढ़ का कहर बढ़ता जा रहा है। प्रखंड की खापुर पंचायत के कुछ टोलों में बाढ़ का पानी घुस जान से लोगों ने बाढ़ आश्रय केंद्र में शरण ली है, लेकिन वहां लोगों के खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं है। 

आलमनगर प्रखंड की आलमनगर दक्षिण पंचायत में भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है जिससे 1000 परिवारों पर विस्थापन का खतरा मंडराने लगा है। पंचायत के मुखिया सुबोध ऋषिदेव ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया, “कई घरों के आंगन में बाढ़ का पानी घुस चुका है और अगर जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो दो-तीन दिनों में सभी घरों में पानी प्रवेश कर जाएगा।”

बाढ़ के पानी से धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है।

“इस पंचायत में लगभग एक हजार एकड़ में धान की फसल लगी हुई है। बाढ़ के पानी से पूरी फसल बर्बाद हो गई है”, मुखिया ने बताया।

जिले के मुरलीगंज प्रखंड के कुछ गांवों में भी बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। 

नाव उपलब्ध नहीं

नाव से सुरक्षित स्थानों पर जाते लोग

सुपौल के भी कई गांवों में बाढ़ का पानी फैला हुआ है, जिससे लोग परेशान हैं। जिले के मरौना ब्लॉक की गनौरा पंचायत के आधा दर्जन वार्ड पानी से घिर गए हैं। मुखिया कपलेश्वर प्रसाद यादव ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया,

“अभी हालांकि जलस्तर घट रहा है, लेकिन अगर पानी बढ़ता है, तो मुश्किलें बढ़ेंगी। आधा दर्जन वार्डों के पानी से घिरे होने के बावजूद अभी तक एक भी नाव सरकार की तरफ से उपलब्ध नहीं कराई गई है कि आपातकालीन स्थिति में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके।”

मधुबनी जिले के बेनीपट्टी, खजौली व अन्य प्रखंडों के गांवों में भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है, जो लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इसी तरह मुजफ्फरपुर के कम से कम तीन ब्लॉक कटरा, औराई और साहेबगंज के गांव आंशिक रूप से बाढ़ से प्रभावित हैं। 

किशनगंज के डेढ़ागाछ प्रखंड के टोला देवरी गांव में नदी के कटाव में आदिवासियों के 9 घर बह गए हैं। वहीं, रक्सौल में दुधौरा नदी का तटबंध टूट जाने से नरकटिया, विसुनपुरवा समेत अन्य गांवों में पानी के प्रवेश कर जाने का खतरा मंडरा रहा है।

नरकटिया पंचायत की मुखिया गिरिजा कुंवर ने इंडिया वाटर पोर्टल को बताया,

“तटबंध दो दिन पहले ही टूटा है, जिससे बाढ़ का पानी गांव के करीब पहुंच गया है। लेकिन जलस्तर कम हो जाने से अभी स्थिति नियंत्रण में है।”

दुधौरा नदी नेपाल से आती है और रास्ते में दो और नदियां इसमें मिल जाती हैं। गिरिजा  ने कहा,

“अगर जलस्तर बढ़ता है, तो घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाएगा। लोग दहशत में हैं। सर्किल अफसर को घटना की जानकारी दी गई है, लेकिन अभी तक तटबंध की मरम्मत नहीं की गई है।”

इंडिया वाटर पोर्टल ने बीडीओ को कॉल किया, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के चलते उनसे बात नहीं हो पाई।  

तटबंधों की मरम्मत के लिए नायलन क्रेट, शीट पाइल्स, बोल्डर

राज्य के जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय झा ने कहा है कि बाढ़ के दौरान तटबंधों के टूटने पर उनकी त्वरित मरम्मत के लिए जरूरी सामान बाहर से मंगवाए गए हैं।

उन्होंने कहा, “हम लोग 2 करोड़ ईसी बैग, एक करोड़ जियो बैग, 9 लाख नॉयलॉन क्रेट, 2.5 लाख पीपी रोप गैबियन, 26000 जीआई वायर क्रेट, 66000 घन मीटर बोल्डर, 3000 मीट्रिक टन शीट पाइल्स और 70 हजार यूक्लिप्ट्स बल्ला मंगवा चुके हैं।”

लॉकडाउन के दौरान ये सब दूसरे राज्यों से मंगवा पाना बेहद मुश्किल काम था। लेकिन, विभाग के सचिव ने छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, गुजरात और बंगाल की बंद फैक्टरियों को खुलवा कर ये सामान मंगवाया 

 

आपका सहयोग

हम निरंतर इस बात की अपील कर रहे हैं कि आप भी अपने इलाके में तटबंधों में किसी भी प्रकार की दरार या अन्य कोई समस्या देखें तो तुरंत हेल्पलाइन नं 18003456145 पर कॉल कर जानकारी  साझा करें।

ट्विटर पर @WRD_Bihar (जल संसाधान विभाग) को टैग करते हुए #HelloWRD के साथ लोग तटबंधों की जानकारी दे सकते हैं। सूचना मिलने पर विभाग तुरंत संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों को सूचित करेगा और त्वरित कार्रवाई की जाएगी।

आप इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी) पर भी जानकारी साझा कर सकते हैं। जानकारी देते समय आप अपना नाम, स्थान, मोबाइल नं., ईमेल और फोटो भी साझा करें। आपकी व्यक्तिगत जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी। 

हमसे संपर्क करें- ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ई-मेल  

मूल आलेख हिंदी में उमेश कुमार राय 

हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद स्वाति बंसल

अंग्रेजी अनुवाद पढ़ने के लिये क्लिक करेंं

 

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