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चंडीगढ़

चंडीगढ़ समुद्रतट से इसकी ऊँचाई 1,200 फुट; जनसंख्या 99,262 (1961) है। 15 अगस्त, 1947 को विभाजन के पश्चात्‌ भारत स्वतंत्र हुआ। विभाजन के फलस्वरूप पंजाब का पश्चिमी भाग पाकिस्तान में चला गया। इसी भाग में पंजाब की राजधानी भी पाकिस्तान में चली गई। अब समस्या पूर्वी पंजाब के लिये राजधानी चुनने की थी। काफी विचार विमर्श के बाद जलवायु, स्थिति और सैनिक महत्व को ध्यान में रखते हुए हिमालय पूर्व की तलहटी में स्थित अंबाला जिले की खंडित तहसील में अंबाला-कालका-सड़क से पाँच मील दक्षिण-पश्चिम एवं दिल्ली से 160 मील उत्तर में स्थान चुना गया। इसके निकट ही चंडीदेवी का प्राचीन मंदिर था। अत: उस स्थान का नाम चडीगढ़ रखा गया। नगर योजना के लिये विश्वविख्यात फ्रांसीसी वास्तुविशारद श्री ली. कारबूजिए (Mons Le-Corbusier), भवन वास्तु के लिये उनके सहायक श्री पी. जैनरे (Mons. P. Jeanneret), अंग्रेज वास्तुकार श्री मैक्सवेल फ्राई (Mr. Maxwell Fry) और उनकी पत्नी श्रीमती जेन बी. ड्रयू (Jane B.Drew) को नियुक्त किया गया।

1950 ई. में इन वास्तुविशारदों ने अनेक भारतीय वास्तुकारों के सहयोग से योजना बनाई और अप्रैल, 1951 ई. में पंजाब के सार्वजनिक निर्माण विभाग के मुख्य इंजीनियर श्री परमेश्वरी लाल वर्मा की देखरेख में निर्माणकार्य का प्रारंभ हुआ। मार्च, 1962 ई. तक सभी महत्वपूर्ण कार्य पूरे हो गए और अब यह नगर उत्कृष्ट वस्तुकला का नवीनतम निदर्शन है।

इस नगर का औद्योगिक क्षेत्र रेलवे स्टेशन के पास 580 एकड़ में फैला है। इस क्षेत्र को धुएँ, धूल और शोर से बचाने के लिये वृक्षों की एक दीवार बनाई गई है। निकट भविष्य में यहाँ सीमेंट, नकली रेशम, सूती वस्त्र, टाइपराइटर से संबंधित उद्योग, आरा मशीनें एवं, आटा तथा तेल की मिलें बनाई जानेवाली हैं। विश्वविद्यालय, इंजीनियरिंग कालेज, पॉलिटेकनिक, बुनियादी प्रशिक्षण महाविद्यालय, दो हाईस्कूल, और छ: प्राथमिक और नर्सरी स्कूल हैं। एक अस्पताल और एक प्रसूतिकागृह है। नया सचिवालय, टाउनहाल, पंजाब विश्वविद्यालय और सरकिट हाउस देखने योग्य इमारतें हैं। नगर सड़क, रेल तथा वायुमार्गो द्वारा देश के अन्य भागों से जुड़ा है। (गनपत राय नांगिया)

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