दामोदर की सफाई के लिए केन्द्र देगा विशेष राशि : उमा भारती

31 May 2015
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Uma Bharti and Rajendra Singh
Uma Bharti and Rajendra Singh

केन्द्रीय जल संसाधन मन्त्री उमा भारती ने कहा कि केन्द्र ने स्वर्ण रेखा परियोजना के लिए 400 करोड़ रुपए दिए हैं। दामोदर की सफाई के लिए भी विशेष राशि दी जाएगी। दामोदर को साफ करने की योजना में और तेजी लाई जाएगी। वे शुक्रवार को युगांतर भारती, सिदरौल द्वारा आयोजित ‘पर्यावरण संरक्षा में लोक संगठनों की भूमिका’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन को सम्बोधित कर रही थीं। यह आयोजन इस संस्था के दस वर्ष पूरे होने पर किया गया था उन्होंने कहा की झारखण्ड दो सालों में गंगा का मॉडल राज्य बनेगा। गंगा किनारे बसे शहर व गाँवों को इस प्रकार विकसित किया जाएगा कि वह दूसरे राज्यों के लिए मॉडल बन सके। गंगा से हो रहे कटाव और अन्य नदियों को प्रदूषण मुक्त करने में केन्द्र से पूरा सहयोग मिलेगा।

उन्होंने कहा कि गंगा नदी को सबसे अधिक नुकसान औद्योगिक प्रदूषण के कारण हो रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण फैलाने वाली 764 औद्योगिक इकाईयों को चिहिन्त कर लिया गया है, जबकि 118 नगर निकायों और 1619 गाँवों द्वारा भी प्रदूषित जल को गंगा में बहाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण सन्तुलन और नदियों को स्वच्छ रखने के लिए औद्योगिक घरानों के साथ-साथ आम लोगों को भी आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि नदियों के किनारे सभ्यता बसती रही है और नदियों को साफ रखना बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। गंगा के साथ दामोदर को भी स्वच्छ करने की योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया कि गंगा सफाई परियोजना में कोई फिजूल खर्ची नहीं होगी। उन्होंने बताया कि पिछले 29 वर्षाें में गंगा सफाई पर चार हजार करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन पूरी कार्य योजना के अभाव के कारण गंगा आज तक साफ नहीं हो सकी। उन्होंने बताया कि चार वर्षाें में गंगा को स्वच्छ करने पर 30 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जाएँगे और पहले चरण में दो वर्षाें में गंगा नदी सफाई का काम पूरा हो जाएगा। उन्होंने बताया कि गंगा को स्वच्छ करने के लिए जीआईएस सर्वे के अलावा अन्य मन्त्रालयों से भी पूरी रिपोर्ट माँगी गई है, ताकि यह पता चल सके कि नदियों की जमीन कितनी है और इन क्षेत्रों में किन पेड़-पौधों को लगाने से अच्छा रहेगा।

जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि देश भर की जल संरचनाओं को चिन्हित करने, सीमांकन और पंजीकरण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि यह सम्भव हो सका तो भारत दोबारा नदियों का देश बन सकेगा। राजेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत में दो तिहाई नदियाँ सूख गई हैं। आज देश में कोई भी ऐसी नदी नहीं है जिसका जल आचमन करने योग्य हो। भू-गर्भ भण्डार दो तिहाई तक खाली हो रहे हैं। यदि परम्परागत जल प्रबन्धन नहीं किया गया तो परिणाम भयानक होंगे।

पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था युगांतर भारती से संबद्ध दामोदर बचाओ आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता सह खाद्य आपूर्ति मन्त्री सरयू राय ने यह कहा कि एक ओर नदियों को प्रदूषण रहित करने का काम चल रहा है, दूसरी ओर लोक उपक्रम नदियों को गन्दा कर रहे हैं। जिस नदी के तट पर आप पानी पी सकते हैं, हाथ-पैर धो सकते हैं तथा आचमन कर सकते हैं, वही नदी साफ कही जा सकती है। नीति नियंता व बड़े लोग ध्यान देंगे, तो नदियाँ साफ होंगी।

उन्होंने कहा कि दामोदर को सबसे अधिक प्रदूषित केन्द्र और राज्य सरकार के उपक्रम कर रहे हैं। राय ने कहा कि उन्होंने इस मसले को केन्द्रीय मन्त्री पीयूष गोयल के समक्ष भी उठाया था, उन्हें केन्द्रीय उपक्रमों को स्थिति में सुधार के लिए तीन माह का वक्त दिया है। दामोदर के उद्गम स्थल चूल्हा-पानी से लेकर पंचेत तक युगांतर भारती के सहयोग से 22 समितियाँ बनी हैं, जो तीन माह के दौरान लोक उपक्रमों के प्रयास की मॉनिटरिंग करेगी। कार्य संतोषजनक न रहा, तो हम सुप्रीम कोर्ट जायेंगे। हालाँकि इससे सरकार की भद्द पिटेगी, पर यह अन्तिम उपाय होगा।

सरयू राय ने दामोदर की महत्ता पर बोलते हुए कहा कि यह नदी झारखण्ड की जीवन-रेखा है। उद्गम स्थल के बाद 35 किमी तक इसका नाम देवनद ही है। बाद में यह दामोदर हो जाता है। रजरप्पा सहित अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर दामोदर में समाहित हैं।

हम दामोदर को बचाने के अलावा सुवर्णरेखा, सोन व सारण्डा पर भी काम कर रहे हैं। दलमा व म्यूराक्षी पर भी हम काम करेंगे। श्री राय ने कहा कि दामोदर गन्दगी के बीच जी-मर रही है। उन्होंने केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा सफाई मन्त्री उमा भारती से आग्रह किया कि वह गंगा सफाई अभियान में इसकी सहायक दामोदर नदी को भी शामिल करें। बाद में उमा भारती ने कहा कि गंगा के साथ-साथ इसकी सहायक नदियों की भी सफाई होनी है। इस नाते केन्द्रीय मद से दामोदर को भी उसका हिस्सा मिलेगा। श्री राय ने पर्यावरण संरक्षण के लिए समाज के सभी वर्ग से आगे आने की अपील की।

पद्मश्री एसइ हसनैन ने कहा कि विकास जरूरत आधारित होना चाहिए न कि लालच आधारित। उन्होंने क्लाइमेंट चेंज से उत्पन्न हो रहे खतरों के प्रति आगाह करते हुए बताया कि जिस तरह से ग्लोबल वार्मिंग से धरती तप रही है और ग्लेशियर पिघल रहे हैं उससे आने वाले समय में समुद्र का जलस्तर एक मीटर तक बढ़ जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो भारी तबाही मचेगी। उन्होंने युगांतर भारती को क्लाइमेट चेंज पर भी काम करने की सलाह दी।

केन्द्रीय मन्त्री उमा भारती ने इस अवसर पर युगांतर भारती की प्रयोगशाला और प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में युगांतर भारती द्वारा पर्यावरण के क्षेत्र में पिछले एक दशक में किए गए कार्यों को दर्शाया गया है। युगांतर भारती की मधु ने सबका औपचारिक स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन रतन जोशी व धन्यवाद ज्ञापन डॉ एमके जमुआर ने किया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव, विधायक अनंत ओझा व विकास भारती के सचिव अशोक भगत सहित जल, नदी व पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोग तथा नेशनल लॉ कॉलेज के छात्रों ने भी हिस्सा लिया।

इससे पूर्व दो दिवसीय आयोजन की शृंखला में गंगा दशहरा महोत्सव के अवसर पर दामोदर बचाओ आन्दोलन के तहत पंचेत डैम एवं मैथन डैम में दामोदर नदी की पूजा व आरती की गई। आन्दोलन से जुड़े सदस्यों ने कहा की दामोदर नदी का अस्तित्व पर खतरा मण्डरा रहा है। दामोदर नदी कुप्रबन्धन और प्रदूषण के कारण ही संकट में है। दामोदर 290 किलोमीटर झारखण्ड सीमा से और 240 किमी बंगाल क्षेत्र में प्रवाहित होकर हुगली नदी में मिलती है।

कोल इण्डिया के सहायक कम्पनियाँ सीसीएल, ईसीएल, बीसीसीएल व डीवीसी के इकाइयाँ बोकारो थर्मल, चन्द्रपुरा थर्मल, दुर्गापुर थर्मल पॉवर प्लांट, बोकारो स्टील प्लांट, अशोका प्रोजेक्ट व झारखण्ड सरकार का पतरातू थर्मल पॉवर प्लांट द्वारा दामोदर के पानी को प्रदूषित किया जा रहा है। अब तो नदी का पानी आज पीने लायक नही है। नदी में मछलियाँ कम हो रही है तथा पानी में ऑक्सीजन की मात्रा घट रही है। नदी के माध्यम से जीविका उपार्जन करने वालों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सदस्यों ने कहा कि जल्द और अभियान चलाकर दामोदर नदी को स्वच्छ रखने की पहल करेंगे।
 

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