दिल्ली की लाइफलाइन यमुना की दुर्गति

18 Sep 2010
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यमुना नदी के उफान को देखने के लिए पिछले दिनों पूरी दिल्ली उमड़ पड़ी। इसके आईटीओ, निजामुद्दीन, सरिता विहार और लोहे के पुल पर तमाशबीनों की भीड़ जुट गई।

देखने वालों की आखें आश्चर्यचकित थीं। इसलिए कि यमुना अपने पूरे वेग से प्रवाहित हो रही थी। इसलिए कि अब दिल्ली वाले यमुना को एक नाले के रूप में देखने के लिए अभिशप्त हैं। हरियाणा से बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण और बारिश के कारण नाले का आवरण छोड़ यमुना ने अपना मूल और संपूर्ण रूप धारण किया था।


यमुना के इस उफान से दिल्ली के कई इलाके हलकान हुए। घरों में पानी घुसा, यातायात ठप हुआ, ट्रेनों की आवाजाही रुकी। पुलिस-प्रशासन की नींद उड़ी। हालांकि यह दहलाने वाली बाढ़ नहीं थी। लेकिन थोड़ा सा पानी चढ़ा और कई कालोनियां, अति महत्वपूर्ण सड़कें आदि जलमग्न हो गये। रंग-विरंगी नावों पर बैठकर बाढ़ की रिपोर्टिंग करते मीडिया प्रतिनिधि हाहाकार की स्थिति उत्पन्न करने में लगे थे। राजनीतिक श्रृंखलाएं अपने-अपने स्तर से बाढ़ का मूल्यांकन कर रही थीं। विभिन्न विचारधाराओं में बाढ़ को लेकर टकराहट भी थी। कोई अपने लिए अवसर देख रहा था तो कोई अवसर देखने वाले लोगों के निशाने पर थे। इस प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण बात पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया कि आखिर यमुना का पानी रिहायशी इलाकों में घुसा क्यों? इस मामले में यमुना को नाले के रूप में तब्दील करने वाली दिल्ली की जनता और सरकार पर कोई चर्चा क्यों नहीं होनी चाहिए।

यमुना में पुराने समय में भी भयंकर बाढ़ आती थी पर तब उसका पानी रिहायशी इलाकों में नहीं घुसता था। इसका सबसे बड़ा कारण था कि तब वह पर्याप्त गहरी थी। उसका बहाव बाधित नहीं था। वह बेरोक टोक और स्वच्छंद ढंग से बहते हुए आगे बढ़ने का अपना रास्ता खोज लेती थी। लेकिन दिल्लीवासियों ने अपने स्वार्थ के चलते उसके प्रति कितना अन्याय किया है उसकी गवाह आज की यमुना है। आज उसकी गोद दिल्ली वासियों के मल-मूत्र से अपवित्र हो रही है। प्रतिदिन जिस बेहिसाब मात्रा में मल-मूत्र और कचरा यमुना में गिरता है, उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।

कई अन्य योजनाएं भी यमुना की धारा को प्रभावित कर रही हैं। यमुना के बेसिन पर माफिया कब्जा कर बैठा है। उसका बहाव क्षेत्र जो अब जमीन के रूप में दिखता है को अवैध तरीके से बेचा जाता रहा है। आज दिल्ली की कई कालोनियां यमुना के बहाव क्षेत्र में बसी हुई हैं। नदी का बहाव क्षेत्र जो सूखा दिखता है यदि वहां ही कालोनियां बसेंगी तो यमुना का पानी उनमें घुसेगा ही। अगर बाटला हाउस, उस्मानाबाद आदि जगहों पर पानी घुसा वह तो स्वाभाविक ही माना जाएगा। इन क्षेत्रों में कालोनियां किस आधार पर बसाई गई, इसका जवाब कौन देगा! क्या कालोनियों को बसने से रोकने की जिम्मेदारी सरकार की नही थी? यमुना बेसिन में सिर्फ कालोनियां ही नहीं बसी हैं बल्कि कई ऐसे काम भी हो रहे हैं जो सीधे तौर पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं और यमुना भी व्यापक पैमाने पर गंदी हो रही है।

यमुना की सफाई को लेकर लंबे अरसे से राजनीति होती रही है। कांग्रेस-भाजपा की सरकारों ने अकेन योजनाएं बनायीं और लागू भी कीं। सफाई पर अध्ययन के लिए अधिकारियों और विधायकों की कई कमेटियां ने विदेशी दौरे तक किये। ताकि वहां अनुभवों के अनुरूप यमुना की सफाई सुनिश्चित हो सके। इस पर अरबों रूपये खर्च कर दिये गये। पर सभी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट गयीं। यमुना गंदी की गंदी रह गयी।

बहरहाल, दिल्ली की गंदगी ढोते-ढोते आज यमुना बदबूदार हो गयी है। इसका पानी जहरीला हो गया है। जबकि दिल्ली की आधी आबादी आज भी यमुना के पानी पर निर्भर है। यमुना स्वच्छ रहेगी और इसका किनारा हरा-भरा रहेगा, तभी दिल्लीवासी सुरक्षित रहेंगे। लेकिन दुखद है कि पानी का स्तर लगातार नीचे जा रहा है और यमुना की धारा पतली होती जा रही है। इस साल वर्षा अच्छी हुई। बाढ़ की की आशंका भी बनी। लेकिन दिल्ली में उतनी वर्षा नहीं हुई जिससे यमुना का पानी बाढ़ की स्थितियां पैदा करे। बाढ़ पंजाब और हरियाणा में आयी और हरियाणा ने अपने बैराज से पानी छोड़ा। इसलिए यमुना का जलस्तर बढ़ा। अगर हरियाणा पानी नही छोड़ता तो दिल्ली में यमुना किनारे की बस्तियों में पानी नहीं भरता।

सच यह है कि यमुना नदी के लिए हरियाणा से छोड़ा पानी किसी वरदान से कम नहीं है। इसके चलते यमुना ने गंदगी और गाद के भार से कुछ न कुछ मुक्ति अवश्य पाई होगी। यानी बाढ़ की बदौलत यमुना अस्थायी तौर पर ही सही पर कुछ हद तक स्वच्छ हो गयी है। जो हो, दिल्लीवासियों का कर्तव्य है कि वह यमुना को स्वच्छ रखें। पर जनता और सरकार के रवैये से तो अब तक यही लगता रहा है कि किसी को यमुना नदी के महत्व का भान नहीं है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर हम यमुना को गंदगी के प्रतीक के रूप में ही देखने के लिए अभिशप्त होंगे। यमुना हमारी लाइफलाइन है। इसे स्वच्छ और सुंदर रखना सभी की अनिवार्य जिम्मेदारी है।
 
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