दिल्ली : पानी सप्लाई का काम निजी हाथों में
8 September 2012

पानी के निजीकरण की कोशिश तो सालों पहले ही शुरू हो गई थी। लेकिन कांग्रेस में ही विद्रोह हो जाने से इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। पिछले दो-तीन साल से इसे फिर से अंजाम देने की तैयारी है। यह बिजली के निजीकरण की ही तर्ज पर किया जाएगा। दिल्ली सरकार जल प्रबन्धन सुधारने के नाम पर राजधानी के कई वाटर ट्रीटमेंट प्लांटों का निजीकरण करने जा रही है। निजीकरण के बाद पानी की कीमत कई गुना ज्यादा वसूलने का फैसला भी किया गया है। मुख्यमंत्री पहले ही दिल्ली में पानी के दाम बढ़ाने की वकालत कर चुकी हैं। इसे राजधानी में रहने का खामियाजा कह सकते हैं कि दिल्ली वालों को पानी के लिए मुंबई वालों से 9 गुना ज्यादा रकम चुकानी पड़ रही है। दिल्ली में जिस पानी के लिए महीने में 907 रुपये चुकाने होते हैं उतने ही पानी के लिए मुंबई में 160 रुपये का बिल आता है। अब दिल्ली में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को निजी हाथों में दिया जा रहा है लेकिन मुंबई में ऐसा नहीं है। विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय मल्होत्रा ने कहा कि सरकार जिस तरह से सभी सेवाओं को निजी हाथों में सौंप रही है ऐसे में कॉरपोरेट्स मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं।

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