141 एमएम बारिश में ही डूब गए पटना के कई इलाके

भारी बारिश अब न्यू-नार्मल है।
भारी बारिश अब न्यू-नार्मल है।

इस साल 14 जून को जब बिहार में मॉनसून ने दस्तक दी, तो बिहार की राजधानी पटना के लोगों के दिल में खौफ समा गया। उन्हें ये डर सताने लगा कि इस साल भी पिछले साल की तरह पटना डूब न जाए। उनका ये डर सही साबित हुआ। 

पिछले दो दिन में पटना में 141 मिलीमीटर बारिश हुई और पटना के कई इलाके जलमग्न हो गए। हालांकि पिछले एक दशक में संभवतः पहली बार है कि जून में मॉनसून की दस्तक के साथ ही 24 घंटे में इतनी ज्यादा बारिश हुई है। लेकिन, इतनी बारिश में पटना के कई इलाकों का जलमग्न होना सरकार की तैयारियों पर सवाल खड़े करता है, क्योंकि सरकार ने दावा किया था कि उसने एडवांस में तैयारियां कर ली है और अब पटना नहीं डूबेगा। 

इन इलाकों में जलजमाव

गुरुवार की रात से रह-रहकर हो रही बारिश से अशोक नगर, राजेंद्र नगर, राजीव नगर, पुनाइचक, सैदपुर, खेतान मार्केट, नवरत्नपुर, विग्रहपुर, संजय नगर जैसे इलाकों में पानी जम जाने से लोगों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पटना नगर निगम ने जलजमाव की समस्या के निबटारे के लिए कॉल सेंटर भी स्थापित किया है, जहां लोग कॉल कर जलजमाव की शिकायत कर सकते है। जलजमाव के चलते फंसे लोगों ने इस कॉल सेंटर में फोन भी लगाया, लेकिन उनका आरोप है कि कोई कार्रवाई नहीं हुई। राजेंद्र नगर के एक व्यक्ति ने नाम नहीं बताने शर्त पर कहा कि पटना नगर निगम के कॉल सेंटर में कॉल करने पर समाधान का आश्वासन तो मिला, लेकिन देर तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

क्यों डूबा पटना

गौरतलब हो कि पिछले साल सितंबर के आखिर में ज़ोरदार बारिश हुई थी, जिससे पटना एक हफ्ते से ज्यादा समय तक जलमग्न था। पानी निकलने के बाद बिहार सरकार ने एक जांच कमेटी का गठन किया था। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कुछ अधूरी योजनाओं और कुछ अफसरों को इसके लिए जिम्मेवार माना था और कुछ सुझाव भी दिए थे ताकि पटना में दोबारा ऐसा जलजमाव न हो। 

इसके अलावा सेंटर फॉर रिसर्च एंड डायलॉग नामक एनजीओ की तरफ से भी एक रिपोर्ट तैयार की गई थी, जिसमें सम्प हाउसों के काम नहीं करने, नालियों को लेकर कई परियोजनाओं का अधूरा काम, पटना नगर निगम और बिहार अरबन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन की तरफ से तैयार किए गए स्ट्रैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) का पालन नहीं करना आदि को जलजमाव के लिए जिम्मेवार माना गया था। जानकारों का कहना है कि जांच रिपोर्टों में कई तरह की खामियां उजागर किए जाने के बावजूद पटना को जलमग्न होने से बचाने के लिए जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है। पटना नगर निगम की डिप्टी मेयर मीरा देवी ने कहा, “जलजमाव की जांच के लिए गठित उच्चस्तरीय कमेटी पार्षदों ने जलजमाव से मुक्ति के लिए कई सुझाव दिए थे, लेकिन उन सुझावों पर समय रहते कोई काम नहीं किया गया। इसके अलावा नाली-गली का काम भी नहीं हुआ है।”

पटना नगर निगम के एक अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि लॉकडाउन के कारण बहुत सारे काम अधूरे पड़े रह गए और लॉकडाउन खत्म हुआ, तो काम में तेजी लाई गई, लेकिन अब मॉनसून की बारिश शुरू हो गई है, जिस कारण अब काम हो नहीं पाएगा। 

हालांकि, राज्य के शहरी विकास मत्री सुरेश शर्मा ने आश्वस्त किया है कि इस बार पटना को जलमग्न नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पटना को जलजमाव से बचाने के लिए हर स्तर पर सरकार प्रयास कर रही है। 

बिहार में बारिश की स्थिति

इधर, बीते गुरुवार से रह-रहकर हो रही बारिश से बिहार में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। मौसम विज्ञान केंद्र, पटना  मिली जानकारी के अनुसार पूरे बिहार में 131 मिलीमीटर बारिश हुई है। बाढ़ प्रवण उत्तरी बिहार के जिलों में बारिश 200 मिलीमीटर से ज्यादा दर्ज की गई है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। मौसमविज्ञान केंद्र की तरफ से मिले आंकड़ों के मुताबिक, किशनगंज में 298 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो बिहार में होने वाली मॉनसून की कुल बारिश का 25 प्रतिशत है। इसी तरह अररिया में 221 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। किशनगज के एसडीएम शाहनवाज अहमद नियाजी ने कहा है कि बाढ़ के मद्देनजर राहत शिविरों का भी चयन कर लिया है। मुज़फ़्फ़रपुर में 155 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। मुज़फ़्फ़रपुर में बागमती नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही कटाव शुरू हो गया है। कटाव के कारण कुछ गाँवों का संपर्क भी टूट गया है। 

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