एल नीनो का असर

24 Jan 2012
0 mins read
el-nino
el-nino

‘एल नीनो’ स्पेनी भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है मानव शिशु यानी बालक। बहुत समय पहले उत्तर पश्चिमी दक्षिण अमेरिका के निवासियों द्वारा इस शब्द का प्रयोग एक ऐसी क्षण समुद्री धारा को संबोधित करने के लिए किया जाता था जो समुद्र के सतही जल के अनायास गर्म होने से संबंधित होती थी।

कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत का कृषि मुख्यतः मानसूनी बारिश पर ही अधिक है। करीब पैंसठ फीसदी खरीफ की फसल मानसूनी बारिश पर ही निर्भर करती है। एक तरह से हमारी पूरी अर्थव्यवस्था ही मानसून पर निर्भर है। देश में होने वाली सालाना बारिश का लगभग अस्सी फीसदी भाग हमें मानसून से ही प्राप्त होता है। मौसम के व्यवहार, तापमान, दबाव और हवाओं के मिजाज पर ही मौसम का पूर्वानुमान किया जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग मानसूनी वर्षा का पूर्वानुमान जारी रहता है। 1988 से सोलह सूचकों या कारकों पर आधारित मॉडल द्वारा ही वर्षा का पूर्वानुमान जारी किया जाता रहा है। लेकिन 2003 से मौसम विभाग ने दस कारकों पर आधारित नए मॉडल का विकास किया। इन कारकों में ‘एल नीनो’ भी शामिल है।

‘एल नीनो’ स्पेनी भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है मानव शिशु यानी बालक। बहुत समय पहले उत्तर पश्चिमी दक्षिण अमेरिका के निवासियों द्वारा इस शब्द का प्रयोग एक ऐसी क्षण समुद्री धारा को संबोधित करने के लिए किया जाता था जो समुद्र के सतही जल के अनायास गर्म होने से संबंधित होती थी। यह समुद्री धारा क्रिसमस के दौरान पेरू के तटों के साथ-साथ दक्षिण की ओर बहती थी। समुद्र के सतही जल के अनायास गर्म हो जाने से मछलियां मर जाती थीं। पानी के साथ बहकर ये मछलियां पेरू के समुद्र तट पर आकर इकट्ठा हो जाती थीं। क्रिसमस के मौके पर यीशु का वरदान मानकर इन मरी हुई मछलियों को गेरु के मछवारे बड़े आदर और उत्साह के साथ ग्रहण करते और फिर बड़े जोश के साथ अपना जश्न मनाते। लेकिन इससे हटकर अगर एक वैज्ञानिक दृष्टि से हम देखें तो मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार एल नीनो चार-पांच साल के अंतराल से होने वाली एक जलवायुविक परिघटना है जब प्रशांत महासागर का सतही जल गर्म हो उठता है। नतीजतन दक्षिण अमेरिका से दक्षिण पूर्व और दक्षिण एशिया को चलने वाली हवाओं की गति धीमी पड़ जाती है। इससे होने वाले जलवायुविक परिवर्तन को एल नीनो प्रभाव या दक्षिण दोलनों (सदर्न ऑस्सिलेशंस) की संज्ञा दी जाती है।

ऐसा पाया गया है कि जिस साल एल नीनो प्रभाव देखने को मिलता है उस साल भारतीय मानसून प्रभावित हो सकता है। इस साल को एल नीनो वर्ष भी कहते हैं। इससे पहले 2004 एल नीनो वर्ष था जब सामान्य से दस फीसद कम वर्षा रिकार्ड की गई थी। 1875 से लेकर 2008 तक छत्तीस एल नीनो वर्ष देखने को मिले थे। लेकिन इनमें से केवल पंद्रह बार ही हमारा मानसून प्रभावित हुआ।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading