ग्लोबल वार्मिंग के शिकंजे में वैश्विक जलवायु

चैन उड़ाती रिपोर्टें


4 दिस्म्बर, 2006 को केंद्र सरकार के विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री कपिल सिब्बल ने राज्यसभा में यह जानकारी दी थी कि भारतीय वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के तापमान में हो रही वृद्धि के कारण भारतीय जलवायु पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों का मूल्यांकन किया है। भारतीय वैज्ञानिकों ने यह मूल्यांकन जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतर्राष्ट्रीय पैनल द्वारा स्वीकृत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन की विभिन्न वैश्विक प्रवृतियों पर आधारित जलवायु के पूर्वानुमानों के पूर्वानुमानों के आधार पर किया है। कपिल सिब्बल ने इस मूल्यांकन के आधार पर यह भी बताया कि समूचे देश के लिए औसत वार्षिक तापमान का जो मॉडल तैयार किया गया है उसके अनुसार इस शताब्दी के अंत तक समूचे भारत में तापमान 2 से 5 डिग्री से. तक बढ़ जाएगा। इस मॉडल में वार्षिक तापमान परिवर्तनों की जो प्रवृत्तियां पाई गई हैं उनसे पता चलता है कि भारत उत्तरी राज्यों तथा प्रायद्वीप क्षेत्र के पूर्वी हिस्सों में तापमान में अधिक वृद्धि होगी। वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया है कि शेष वर्ष की तुलना में शीतऋतु तथा मानसून के बाद की ऋतुओं के दौरान तापमान अधिक बढ़ेगा।

उपरोक्त तथ्यों की जानकारी देने के साथ-साथ कपिल सिब्बल का यह भी मानना था कि वर्षा में होने वाले परिवर्तनों का पूर्वानुमान तापमान में होने वाले परिवर्तनों के पूर्वानुमान की तुलना में कम विश्वसनीय है। आज तक तापमान के संबंध में देखी गई प्रवृत्तियां मॉडल के पूर्वानुमानित परिणामों से गुणात्मक रुप में समानता रखती हैं लेकिन वर्षा के आंकड़ों से किसी महत्वूपर्ण प्रवृत्ति का पता नहीं चलता है। सिवाय इसके कि देश के मध्य और पश्चिमि हिस्सों में वर्तमान शताब्दी के मध्य तक आंशिक रूप से कम वर्षा हुई है।

कपिल सिब्बल के इस बयान को आम भारतीय किस रूप में लें। क्या यह माना जाए कि पृथ्वी के बढ़ते तापमान का भारतीय जलवायु पर बहुत प्रभाव पड़ने जा रहा है? क्या आने वाले वर्षों में समुद्री चक्रवातों की प्रबलता और बढ़ेगी? क्या हिमालय के ग्लेशियर और तेजी से पिघलेंगे? क्या पूरे देश में वर्षा की प्रवृत्ति पर अत्यधिक प्रभाव पड़ने जा रहा है और इससे देश के कई हिस्सों में सूखे की स्थितियां पैदा होंगी? क्या पृथ्वी के बढ़ते तापमान के कारण सूरज की अवरक्त किरणों का प्रभाव और अधिक बढ़ जाएगा, जिससे लोगों में तरह-तरह की बिमारियां फैलेंगी? क्या सागर जल का स्तर और अधिक बढ़ने जा रहा है जिसके कारण तटीय भूमि और सागर के छोटे-छोटे द्वीप डूब जाएंगे? क्या इससे पशु-पक्षियों, वन्य जीव, वनस्पतियों तथा जैव-विविधता पर बुरा प्रभाव पड़ने जा रहा है? ये कुछ ऐसे प्रश्न है जो कपिल सिब्बल के इस बयान के भीतर छुपे हुए हैं, जिन्होंने आम भारतीयों की चिंताऐं और अधिक बढ़ा दी हैं।

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