गंगा : गोमुख से गंगासागर तक
26 June 2012

स्वर्ग से उतरकर राजा भगीरथ के पुरखों का उद्धार करने की गंगा-कथा सिर्फ मिथ नहीं है। वह अब तक हमें तारती आई है। गोमुख से गंगा सागर तक गंगा हमारे देश की लगभग आधी आबादी को पालती है। विश्व की कोई भी नदी ऐसी नहीं, जो इतनी बड़ी जनसंख्या की पालनहार हो। गंगा के प्रति हिंदुओं की आस्था एक विषय है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि गंगा पर सिर्फ हिंदुओं का ही एकाधिकार हो। वह हम सभी भारतवंशियों के लिए प्रेरक भी है और प्रेरणा भी। शहनाई के शहंशाह उस्ताद बिस्मिलाह खां का वह प्रसंग अनेक लोगों को विदित होगा कि जब उन्हें अमेरिका में बसने का प्रस्ताव दिया गया, तो उस्ताद का जवाब था कि यहां गंगा को ले आओ, तो मैं भी आ जाऊंगा। गंगा के बगैर इस देश का समूचा वैभव व्यर्थ है। अबुल फजल ने आईने अकबरी में लिखा है कि बादशाह अकबर अपने घर या यात्रा में सदैव गंगा जल ही पीता था। गंगा गोमुख से लेकर गंगा सागर तक भारतीय संस्कृति, कृषि तथा लोगों के पाप धोती आ रही है।

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