गंगा के लिए पांच संत देंगे जान

16 Jan 2012
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कोलकाता : गंगा को स्वच्छ बनाने के संकल्प के साथ रविवार से गंगा तपस्या शुरू हुई। सागरद्वीप से श्री शंकराचार्य गंगा सेवा न्यास के तत्वावधान में पांच संतों ने तपस्या का शंखनाद किया। जगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिष पीठाधीश्वर व द्वारका शारदा पीठाधीश्वर स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के निर्देश पर देशभर में यह अभियान चलाया जा रहा है। उक्त अभियान के सार्वभौम संयोजक अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती सहित स्वामी ज्ञानस्वरूप ‘सानंद’ (प्रो. गुरूदास अग्रवाल परिवर्तित नाम), गंगा नदी घाटी प्राधिकरण कमेटी के सदस्य राजेंद्र सिंह, श्याम ब्रह्मचारी कृष्ण प्रियानंद, गंगा प्रेमी भिक्षु स्वामी ने सागरद्वीप में गंगा अराधना के बाद संकल्प लिया। सर्वप्रथम स्वामी ज्ञानस्वरूप तपस्या करेंगे। आमरण। उनके बाद दूसरे संत तपस्या शुरू करेंगे। यह प्रक्रिया ऐसे ही जारी रहेगी। पर, संतों की संख्या पांच ही रहेगी।

स्वामी सानंद 15 जनवरी से सात फरवरी तक प्रयागराज के माघ मेला प्रांगण में अन्न त्याग करेंगे। गंगा के स्वच्छ होने तक यह तपस्या जारी रहेगी। आठ फरवरी से आठ मार्च तक मातृ सदन (हरिद्वार) में फल त्याग व नौ मार्च से श्री विद्यामठ (काशी) में जल त्याग करते हुये गंगा तपस्या करेंगे। स्वामी ज्ञानस्वरूप ने बताया वर्ष 2008 में शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आश्वासन दिया था कि केंद्र गंगा को स्वच्छ बनाने में सकरात्मक कदम उठायेगा।

उन्होंने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित कर गंगा नदी घाटी प्राधिकरण का भी गठन किया। पर, गंगा की सफाई पर कोई काम नहीं हुआ। प्राधिकरण के गठन के बाद अभी तक मात्र तीन संक्षिप्त बैठकें बुलायी गयीं, तो विफल रहीं। राजनीतिक पार्टियों के एजेंडे में भी गंगा नहीं है। गंगा दूषित हो रही है। बचाना होगा।

जान चली जाये, तो जीवन धन्य हो जायेगा


स्वामी ज्ञानस्वरूप (प्रो.गुरूदास अग्रवाल) ने कहा कि‍ माता गंगा के लिए कुछ करने का मुझे मौका मिला, यह मेरे जीवन का सबसे स्वर्णिम पल है। अपनी मां को बचाने के लिए यदि मेरे प्राण चली जाये, तो मेरा जीवन धन्य हो जायेगा। जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने राज्य के पूर्व राज्यपाल श्यामल सेन को गंगा सेवा तपस्या अभियान का प्रदेश अध्यक्ष व सज्जन कुमार सराफ को प्रदेश संयोजक बनाया है।

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