गंगा के लिये गंगाभक्त ने त्यागे प्राण

स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद
स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद

गंगा भक्त और प्रसिद्ध पर्यावरणविद स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद (प्रोफेसर जी.डी. अग्रवाल) ने गुरूवार को एम्स, ऋषिकेश में अपने प्राण त्याग दिए। वे 87 वर्ष के थे। गंगा की अविरलता और निर्मलता को कायम रखने के उद्देश्य से गंगा एक्ट लागू करने सहित अन्य कई माँगों को लेकर स्वामी सानंद 22 जून से आमरण अनशन पर थे। गुरूवार को उनके अनशन का 112 वाँ दिन था।

उनकी मौत की पुष्टि एम्स ऋषिकेश के हरीश थपलियाल ने की। अस्पताल के डॉक्टरों के अनुसार स्वामी सानंद की मौत का कारण हृदय गति का रुक जाना बताया जा रहा है। उन्हें हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा बुधवार को जबरन एम्स में दाखिल कराया गया था।

मिली जानकारी के मुताबिक मंगलवार को कनखल सीओ के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम अनशन स्थल मातृ सदन पहुँची और वहाँ धारा 144 लगाए जाने की बात कही। इसके बाद स्वामी सानंद की इच्छा के विरुद्ध पुलिस ने उन्हें जबरन उठाकर एम्स में भर्ती करा दिया था। स्वामी सानंद के निधन पर दुःख व्यक्त करते हुए स्वामी शिवानंद ने यह कहा कि उनकी मृत्यु नहीं हुई है उन्हें मारा गया है।

स्वामी सानंद से उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के साथ मंगलवार को हुई वार्ता के विफल हो जाने के बाद जल का भी त्याग कर दिया था। इससे पूर्व भी स्वामी सानंद को दो बार एम्स में प्रशासन द्वारा जबरन भर्ती कराया जा चुका था। बीते 11 जुलाई को पुलिस द्वारा जबरन मातृ सदन से उन्हें उठाकर देहरादून के दून हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद नैनीताल हाईकोर्ट में स्वामी सानंद द्वारा दायर की गयी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराने का आदेश दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को भी यह आदेश दिया था कि मुख्य सचिव उनसे वार्ता कर उनके पक्ष को समझें और उचित कदम उठाएँ। लेकिन राज्य सरकार ने बॉल केन्द्र के पाले में डाल दिया और मुख्य सचिव एवं स्वामी सानंद के बीच कोई वार्ता नहीं हो सकी।

गंगा भक्त स्वामी सानंद ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी गंगा एक्ट पास कराने सहित अन्य माँगों को लेकर कई बार पत्र लिखा लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा उनकी माँगों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने अनशन शुरू करने के पहले 13 जून को भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अपनी माँगों को उनके समक्ष रखा था और उनके न पूरा होने पर 22 जून से अनशन शुरू करने की बात भी बताई थी। उनकी तपस्या के पूरे कार्यकाल में केन्द्र सरकार की तरफ से केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी की तरफ से दो पत्र आये थे जिनमें नमामि गंगे के तहत गंगा की सफाई के लिये किये जा रहे कार्यों का ब्यौरा दिया गया था। इसके अलावा एक बार केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती उनसे मिलने मातृ सदन गईं थीं और अनशन तोड़ने का आग्रह किया था।

स्वामी सानंद ने अपना शरीर ऋषिकेश एम्स को दान कर दिया था। इसके लिये उन्होंने सारी प्रक्रियाएं अपनी मृत्यु से पूर्व ही पूरी कर दी थी। उनकी मृत्यु पर शोक जताते हुए सेंट्रल वाटर कमीशन के निदेशक सुधीर कुमार ने टवीट द्वारा यह कहा कि नितिन गडकरी, गंगा एक्ट को पास कराने के लिये कृतसंकल्प है और इसे जल्द ही पास कराया जायेगा। हालांकि, मिली जानकारी के अनुसार खबर लिखे जाने तक सरकार की तरफ कोई भी व्यक्ति स्वामी सानंद के अंतिम दर्शन के लिये नहीं पहुंचा था।

 

 

 

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