गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने की मांग पर संघर्ष के लिए होगा समागम

18 Feb 2014
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गंगा को बचाने की मुहिम में तमाम धर्मों और विधाओं के लोगों ने मिल कर आवाज उठाने का फैसला किया है। इसके तहत वे गंगा महासभा व मिशन के साझे मंच से संघर्ष छेड़ने का एलान करेंगे। स्वामी जितेंद्र ने कहा कि गंगा मृतप्राय हो चुकी है उसे बचाने का एक ही तरीका है कि राष्ट्रीय नदी के हितों को केंद्र में रखने वाला राष्ट्रीय नदी अधिनियम बनाया जाए। राष्ट्रय ध्वज अधिनियम की तर्ज पर राष्ट्रीय नदी कानून क्यों नहीं। तमाम राजनीतिक दलों से हमारी मांग है कि वे अपने चुनावी एजेंडे में गंगा को शामिल करें।

नई दिल्ली, 17 फरवरी। लोगों की आस्था के केंद्र राष्ट्रीय नदी कहलाने वाली गंगा को बचाने के लिए राष्ट्रीय नदी कानून बने की मांग को लेकर गंगा महासभा और गंगा मिशन 22 फरवरी को जंतर-मंतर पर रैली करेगी। इसमें सभी धर्मों के धर्माचार्य, विज्ञान, पर्यावरण व समाज के विशेषज्ञ व गंगा पर काम कर रहे तमाम समाजकर्मी शरीक होंगे।

इस मौके पर सभी राजनीतिक पार्टियों से यह मांग करेंगे कि वे आगामी लोकसभा चुनावों में जारी होने वाले एजेंडे में गंगा के मुद्दे को भी शामिल करें। वे बताएं कि गंगा को लेकर उनका क्या योजना है? यह जानकारी महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने एक प्रेस काफ्रेंस में दी। उन्होंने मांग की कि नदियों के मामले को केंद्रीय सूची में डाला जाए। 23 फरवरी को वे गंगा संसद आयोजित करेंगे।

गंगा को बचाने की मुहिम में तमाम धर्मों और विधाओं के लोगों ने मिल कर आवाज उठाने का फैसला किया है। इसके तहत वे गंगा महासभा व मिशन के साझे मंच से संघर्ष छेड़ने का एलान करेंगे। स्वामी जितेंद्र ने कहा कि गंगा मृतप्राय हो चुकी है उसे बचाने का एक ही तरीका है कि राष्ट्रीय नदी के हितों को केंद्र में रखने वाला राष्ट्रीय नदी अधिनियम बनाया जाए। राष्ट्रय ध्वज अधिनियम की तर्ज पर राष्ट्रीय नदी कानून क्यों नहीं। तमाम राजनीतिक दलों से हमारी मांग है कि वे अपने चुनावी एजेंडे में गंगा को शामिल करें। खास कर वे पार्टियां जो गंगा नदी वाले राज्यों में अपने शासन चला रही हैं, वे बताएं कि गंगा को लेकर उनकी नीति क्या है?

दलों से गंगा को बचाने की योजना देने की मांग करने वाले आंदोलनकारी जनता से भी अपील करेंगे कि जो भी पार्टी गंगा के हितों व उसके पर्यावरण की रक्षा के ठोस उपाय करेंगी उन्हीं को लोकसभा में वोट दें। कार्यक्रम के सह संयोजक गोविंद शर्मा ने कहा कि गंगा महासभा ने न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय की अगुआई में बनी समिति ने नदी कानून के लिए मसविदा तैयार किया है। सरकार उसे कानून बनाए और आईआईटी कंसोररियम की रपट को लागू किया जाए। स्वामी जितेंद्रानंद ने बताया कि गंगा को निर्मल बनाने के लिए केंद्र सरकार सन् 1985 से ही प्रयास कर रही है। हजारों करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी गंगा लगातार प्रदूषित होती गई। प्रधानमंत्री की अगुआई में बनी गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण बना है पर गंगा के हित की पूर्ति नहीं हो रही है।

उन्होंने कहा कि गंगा प्राधिकरण ने पैसे तो जम कर लुटाए पर काफी समय से गंगा प्राधिकरण की बैठक तक नहीं हुई है। ठोस काम के बारे में इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है। देश की पूंजी ही नहीं विदेशों से मिले कर्ज को भी गंगा के नाम पर पानी की तरह बहाया जा रहा है। इसे समाधान नहीं होगा राजनीतिक इच्छा शक्ति से होगा। गंगा मिशन के अध्यक्ष प्रहलाद राय गोयनका कार्यक्रम के संयोजक हैं।

इस रैली में जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, माधवाचार्य, स्वामी बालकानंद सरस्वती रामानंदाचार्य, हंसदेवाचार्य, मौलाना कल्बे सादिक, मसूद मदनी, जैन मुनी, सिख धर्माचार्य, प्रो जीडी अग्रवाल और पारितोष त्यागी प्रहलाद राय गोयनका सहित तमाम बुद्धिजीवी इसमें शामिल होंगे। वे गंगा संसद में गंगा के व्यवहारिक समाधान पर चर्चा करेंगे। रैली में तमाम राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी मोदी सहित सभी पार्टियों के नेता बुलाए गए हैं।

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