ग्रहण मिथक और यथार्थ

सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण
सूर्यग्रहण उन प्राकृतिक घटनाओं में से हैं जिन्हें सबसे पहले समझा गया और अंधविश्वास की परिधि से बाहर निकालकर विज्ञान के परिक्षेत्र में लाया गया फिर भी यह आश्चर्यजनक है कि गहणों से जुड़े कुछ अंधविश्वास आज भी मौजूद हैं। जिन लोगों ने ग्रहण को ठीक से देखा है, उनमें निश्चय ही ग्रहण के प्रति भय या बेचैनी अब कम हो गई होगी। ग्रहण संबंधी मिथकों और अंधविश्वासों पर उनकी ‘विश्वसनीयता’ भी कम हुई होगी, भले ही यह पूरी तरह खत्म न हुई हो। ये लोग अपने निकटवर्ती को भयमुक्त करने में काफी मदद कर सकते हैं।

अक्टूबर 1995 के पूर्ण सूर्यग्रहण पर विज्ञान प्रसार ने जितनी सामग्री प्रकाशित की है, यह पुस्तिका उनमें से एक है। इस सूर्यग्रहण को भारत के कई भागों में देखा गया था। इस पुस्तिका में प्रोफेसर रामा में विभिन्न संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं में ग्रहणों से जुड़े अंधविश्वास, मिथक और यथार्थ को समेटने का प्रयास किया है। उन्होंने इनसे संबंधित ‘तर्कों’ को भी ढूंढ़ने की कोशिश की है। उन्होंने यह भी बताया है कि कब और किन परिस्थितियों में इनका जन्म हुआ लेकिन इन सबका मकसद अंधविश्वासों को उचित ठहराना कतई नहीं है। निश्चय ही लेखक की ऐसी कोई मंशा नहीं है।

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