हाइकोर्ट के आदेश पर रोक

27 Oct 2018
0 mins read
स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद
स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद

नैनीताल। 11 अक्टूबर, 2018 को देह त्यागने वाले स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद (रिटायर्ड प्रोफेसर गुरूदास अग्रवाल) का पार्थिव शरीर दर्शनार्थ 76 घंटे के लिये हरिद्वार स्थित मातृ सदन आश्रम में पहुँचाने के हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अन्तरिम रोक लगा दी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने हाईकोर्ट के 26 अक्टूबर, 2016 सुबह दिये फैसले को चुनौती दी थी। इसके लिये एम्स प्रबन्धन ने चिकित्सकीय परिस्थितियों का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अन्तरिम आदेश में इसी को आधार बनाया है। स्वामी सानंद के अपने जीवन काल में की गई घोषणा के अनुरूप उनका पार्थिव शरीर एम्स ने अपने पास सुरक्षित रखा हुआ है।

हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद एम्स प्रबन्धन ने दोपहर सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने का अनुरोध किया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई व न्यायाधीश मदन बी. लोकुर की खंडपीठ ने एम्स की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर फौरी रोक लगा दी। साथ ही याचिकाकर्ता को सात दिन के भीतर इस सम्बन्ध में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने के आदेश दिये।

इससे पहले सुबह नैनीताल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने स्वामी सानंद के अनुयायी डॉ. विजय वर्मा की याचिका पर सुनावाई की। हाईकोर्ट ने स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर आठ घंटे के भीतर मातृ सदन पहुँचाने के आदेश दिये थे। इसकी जिम्मेदारी भी तय कर दी गई थी। याची का तर्क था कि देह त्यागने से पहले सानंद ने पार्थिव शरीर एम्स ऋषिकेश में रखने की इच्छा प्रकट की थी, लेकिन एम्स प्रबन्धन ने किसी को भी उनेक अन्तिम दर्शन की अनुमति नहीं दी। याचिका में हिन्दू रीति-रीवाज के साथ उनका अन्तिम संस्कार की अनुमति प्रदान करने की फरियाद भी की गई थी।

11 अक्टूबर को त्यागा था देह

गंगा की अविरलता और पवित्रता के लिये 112 दिनों के उपवास के बाद बीती 11 अक्टूबर को स्वामी सानंद का शरीर शान्त हो गया था। आखिरी क्षणों में वह ऋषिकेश एम्स में भर्ती थे। उनकी देह दान की इच्छा के अनुरूप परिजनों ने भी एम्स को इस पर अपनी सहमति दे दी थी। हरिद्वार स्थित मातृ सदन आश्रम ने उसी दिन एम्स को प्रार्थना पत्र देकर स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर तीन दिन दर्शनार्थ रखने के लिये देने की माँग की थी, लेकिन एम्स प्रशासन ने इससे इन्कार कर दिया था।

ये दलीलें बनी आधार

सुप्रीम कोर्ट में एम्स ने अपने अधिवक्ता एसके मिश्रा के माध्यम से दलील दी कि यदि नैनीताल हाईकोर्ट का आदेश क्रियान्वित किया जाता है तो पार्थिव शरीर के अंग प्रत्यारोपण के लिये अनफिट हो जाएँगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में बाकायदा इसका जिक्र किया है। अधिवक्ता ने बताया कि इस फैसले से हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को अवगत करा दिया गया है। तय अवधि में मामले में औपचारिक रूप से एसएलपी दाखिल कर दी जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट

1. एम्स ऋषिकेश ने 26 अक्टूबर की सुबह हुए इस फैसले को दी थी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
2. देहदान की घोषणा के चलते एम्स के पास है सानंद का पार्थिव शरीर।

स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर सौंपे जाने सम्बन्धी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार ने उत्तराखण्ड हाईकोर्ट को सूचित कर दिया है। न्यायालय के आदेशों का पालन किया जाएगा -प्रो. रविकांत, निदेशक एम्स ऋषिकेश

सरकार और एम्स प्रशासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया गया है। कोर्ट को गलत जानकारी दी गई। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सत्यता से अवगत कराएँगे। उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा और स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर को मातृ सदन लाने की अनुमति मिलेगी। चिकित्सक होने के नाते मैं बखूबी जानता हूँ कि फार्मालिन देने के बाद पार्थिव शरीर को फ्रीजर में निश्चित तापमन पर रखने से उसमें कोई खराबी नहीं आती -डॉ. विजय वर्मा, याचिकाकर्ता

हाईकोर्ट का फैसला गंगा भक्तों की भावनाओं के अनुरूप आया था। अब सुप्रीम कोर्ट में भी लड़कर स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर को मातृ सदन लाकर गंगा भक्तों को उनके अन्तिम दर्शन कराए जाएँगे। हमें उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट भी गंगा भक्तों की इच्छा को पूरा करेगा -स्वामी शिवानंद सरस्वती, परमाध्यक्ष मातृ सदन अाश्रम


TAGS

swami sanand in Hindi, GD agrawal in Hindi, AIIMS Rishikesh in Hindi, Matri sadan in Hindi, High Court Nainital in Hindi, Supreme court in Hindi, Swami sanand dead body in Hindi, GD Agrawal ansan in Hindi


Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading