हिमालयी क्षेत्र में वृक्षारोपण पर एक हजार करोड़ खर्च

हिमालय में वनीकरणसरकार ने हिमालयी क्षेत्र के दस राज्यों में पारिस्थितिकी संतुलन के लिए राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम के तहत पांच लाख 80 हजार हेक्टेयर भूमि का वनीकरण किया है, जिस पर करीब एक हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के सात राज्यों में तीन लाख 77 हजार हेक्टेयर भूमि का वनीकरण किया गया है।

जम्मू कश्मीर में 77 हजार और उत्तराखंड में 78 हजार वन क्षेत्र में वन लगाए गए। हिमाचल में करीब 51 हजार वन भूमि पर वृक्षारोपण हुआ, जबकि पूर्वोत्तर के राज्यों में 684 करोड़ रुपए व्यय किए गए। उत्तराखंड में 96 करोड़, जम्मू कश्मीर में 78 करोड़ तथा हिमाचल में 72 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय हिमालयी परिस्थिति संरक्षण को विशेष प्राथमिकता दे रहा है। हिमालय क्षेत्र में पारिस्थितिकी को बनाए रखने के लिए सरकार ने इस क्षेत्र के दस राज्यों अरुणाचल, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, सिक्किम, उत्तराखंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा तथा नागालैंड के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं। तीन वर्षों में वन्यजीव प्रभाग ने वन्यजीव संरक्षण के एकीकृत प्रयास के तहत वहां के वन्य जीवों के संरक्षण के लिए 5084 करोड़ रुपए जारी किए हैं। इस योजना के तहत 2013-14 में सर्वाधिक करीब 20 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।

तीन साल में सबसे अधिक करीब 1500 करोड़ रुपए जम्मू कश्मीर के लिए जारी किए गए हैं। त्रिपुरा को इस दौरान कोई भी राशि जमा नहीं दी गई। हिमाचल प्रदेश को करीब 1100 करोड़ रुपए और उत्तराखंड के लिए साढ़े आठ करोड़ रुपए जारी हुए हैं। हरित भारत मिशन के तहत इस अवधि में इन राज्यों को 1515 करोड़ रुपए जारी किए, जिसमें सर्वाधिक 35050 करोड़ रुपए त्रिपुरा को दिए गए। सिक्किम 300 करोड़ रुपए की राशि के साथ दूसरे स्थान पर और 224 करोड़ रुपए की धनराशि के साथ मिजोरम तीसरे स्थान पर है।

13वें वित्त आयोग ने इस क्षेत्र में वन हेतु सहायता अनुदान के तहत आवंटन किया है जिसके तहत कुल 11168 करोड़ रुपए जारी हुए हैं। इसमें सबसे अधिक 392 करोड़ रुपए अरुणाचल को दिए गए हैं। उत्तराखंड को 129 करोड़ रुपए और मणिपुर के लिए 113 करोड़ जारी किए गए। सबसे कम 27 करोड़ रुपए सिक्किम के लिए जारी हुए हैं।

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