हरियाली और कैरियर का रास्ता

26 Sep 2011
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एक्सप‌र्ट्स कहते हैं कि आईटी के बाद ग्रीन जॉब्स में होगा बूम। क्या है ग्रीन जॉब्स? एक सर्वे के अनुसार, ज्यादातर एमबीए एप्लिकैंट ऐसी जॉब चाहते हैं, जिसमें न केवल खूब कमाई हो, बल्कि उनके स्किल का प्रयोग एन्वॉयरनमेंट को ग्रीन रखने में भी हो। यूनाइटेड नेशंस एन्वॉयरनमेंट प्रोग्राम, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन और इंटरनेशनल ट्रेड यूनियन कॉन्फेडरेशन और इंटरनेशनल एम्प्लॉयर्स ऑर्गेनाइजेशन ने मिलकर लॉन्च किया ग्रीन जॉब्स इनिशिएटिव। एनर्जी एफिशिएंसी और एन्वॉयरनमेंटल फ्रेंडली फील्ड, जैसे-एनर्जी, युटिलिटी, कंस्ट्रक्शन और मैन्यूफैक्चरिंग आदि को ग्रीन जॉब्स में रखा गया है।
 

क्या है ग्रीन जॉब


प्रोडक्शन और कंजम्प्शन का ऐसा काम जो ईको फ्रेंडली हो, ग्रीन जॉब कहलाता है। इसे हम कुछ उदाहरण से समझ सकते हैं। यदि कोई आर्किटेक्ट सौर ऊर्जा का प्रयोग करने वाले बिल्डिंग की डिजाइन तैयार कर रहा हो या अनाज उपजाने के काम में लगी ग्रामीण महिला या फिर वाटर री-साइक्लिंग सिस्टम से जुडा हुआ प्लंबर-ये सभी काम ग्रीन जॉब्स के अंतर्गत आते हैं। एग्रिकल्चर, रिसर्च ऐंड डेवलॅपमेंट, मैनूफैक्चरिंग, सर्विस और एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्टर, जो एन्वॉयरनमेंट को सुरक्षित रखने और ईकोसिस्टम को बैलेंस रखने का काम करते हैं ग्रीन जॉब कहते हैं।

 

 

मुख्य काम


ग्रीन सेक्टर्स के कुछ उद्देश्य होते हैं, जिनके इर्द-गिर्द ही जॉब वर्क करना होता है।

ईकोसिस्टम और जैव विविधता की रक्षा करना।

कार्बन उत्सर्जन को कम करना।

एनर्जी, वाटर और अन्य नेचुरल रिसोर्सेज को कम से कम खर्च करना।

कचरे की रिसाइक्लिंग।

पॉल्यूशन लेवल घटाना।

 

 

 

 

ग्रीन अपॉरट्युनिटी


कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां रोजगार की भरमार हैं। एक्सपर्ट की राय में वर्तमान में ग्रीन सेक्टर्स में प्रतिवर्ष 5 हजार प्रोफेशनल्स की दरकार है।

एग्रिकल्चरल सेक्टर : केमिकल फर्टिलाइजर्स की सहायता के बिना ईको फ्रेंडली फार्मिंग से फसलों का उत्पादन बड़ी तेजी से बढा है। इसलिए कंपनियां ऐसे कैंडिडेट्स की तलाश में रहती हैं, जिन्होंने एग्रिकल्चर में बीएससी/एमएससी में किया हो। साथ ही, वे सॉयल कंजर्वेशन, एनर्जी कंजर्वेशन, वाटर वेस्ट कंजर्वेशन, हॉर्टीकल्चर की जानकारी भी रखते हों। रिसर्च ऐंड डेवलॅपमेंट सेक्टर-उन्नत किस्म के बीज पैदा करने, पानी और पवन ऊर्जा के इस्तेमाल और प्लांटेशन की नई आधुनिक तकनीक पर कई रिसर्च व‌र्क्स हो रहे हैं। स्थानीय एग्रिकल्चरल यूनिट्स में भारत सरकार करोडों रुपये निवेश कर रही है। इसके अलावा, कई ग्लोबल कंपनियां भारत में अपनी आर ऐंड डी सेंटर्स स्थापित कर रही हैं। इससे रोजगार के अवसर में काफी वृद्धि हुई है। कंस्ट्रक्शन व‌र्क्स- भारत का बड़ी तेजी से शहरीकरन हो रहा है। इसलिए यहां कंसक्ट्रक्शन व‌र्क्स भी खूब हो रहे हैं। हमारे आसपास के वातावरण पर इसका प्रतिकूल प्रभाव न पडे, इसके लिए ईको फ्रेंडली बिल्डिंग्स, अपार्टमेंट्स डिजाइन पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए आर्किटेक्ट और इंजीनियर्स ईको फ्रेंडली और री-साइक्लेबल मैटीरियल्स और तकनीक का प्रयोग करते हैं। प्लंबिंग ऐंड इरिगेशन-इसके अंतर्गत मुख्य रूप से वाटर रिसाइकिलिंग सिस्टम्स, वेस्ट वाटर मैनेजमेंट आदि आता है। यदि आप भी पृथ्वी को हरा-भरा रखने में अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहते हैं, तो अपनाएं ग्रीन जॉब्स।

 

 

 

 

मुख्य बातें


बायोमास गैसिफिकेशन में 2025 तक भारत में लाख 9 लाख जॉब्स होंगे।

आईटी के बाद भारत में नया रिवॉल्यूशन ग्रीन जॉब्स लाएगा।

व्हाइट हाउस काउंसिल ऑन एन्वॉयरन्मेंटल क्वालिटी (सीईक्यू) में अमेरिकी प्रधानमंत्री बराक ओबामा ने ग्रीन जॉब्स, एंटरप्राइज और इनोवेशन के लिए वेन जॉन्स को स्पेशल एडवाइजर नियुक्त किया।

 

 

 

 

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