ई-प्रशासन से उभर रही नई कार्य संस्कृति

21 Aug 2014
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ई-प्रशासन
ई-प्रशासन
देश के 50 जिलों में ई-प्रशासन की पहल लागू है। इनमें से 14 जिला केवल केरल की है। उल्लेखनीय है कि केरल में 2300 ई-सेवा केंद्र कार्यरत हैं। जिसमें से दो-दो केंद्र प्रत्येक पंचायत में काम कर रहे हैं। ई-प्रशासन से नागरिक सेवा और ग्रामीण विकास को लेकर नई कार्य संस्कृति विकसित हुई है। इसका स्वरूप आने वाले दिनों में और स्पष्ट एवं ठोस होगा। विकास के स्मार्ट और नए मॉडल में इसका कोई विकल्प भी नहीं है। चाहे पंचायती राज संस्थान हों या सचिवालय, सब की इस पर निर्भरता बढ़ेगी। ठीक वैसे ही जैसे आम जीवन में नई तकनीकों पर आधारित उपभोक्ता जरूरत की चीजों ने खुद की अनिवार्यता सिद्ध की है। इसलिए सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में इसे लेकर प्रयोग और कार्यान्वयन का दौर जारी है। इसमें तकनीकी बाधाएं हैं, तो उनके निराकरण के उपाय भी।

प्रशासन पर सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का व्यापक प्रभाव पड़ा है। इससे प्रशासकीय नीति निर्माण, क्रियान्यवयन प्रणाली और संरचना काफी प्रभावित हुई है।

देश में ई-प्रशासन की वर्तमान स्थिति


भारत में ई-प्रशासन के क्षेत्र में इसके शुरुआत से लेकर अब तक कई कदम उठाए गए हैं। वर्तमान में देश के 50 जिलों में ई-प्रशासन की पहल लागू है। इनमें से 14 जिला केवल केरल की है। उल्लेखनीय है कि केरल में वर्तमान में 2300 ई-सेवा केंद्र कार्यरत हैं। जिसमें से दो-दो केंद्र प्रत्येक पंचायत में काम कर रहे हैं। साथ ही ई-पोर्टल के दायरे में 10 विभागों और 503 सेवाओं को शामिल किया गया है और उम्मीद जताई गई है कि केरल 2016 तक पूर्ण रूप से डिजिटल हो जाएगा।

ग्रामीण ई-प्रशासन परियोजनाएं


ग्रामीण ई-प्रशासन परियोजनाओं के द्वारा सामाजिक और आर्थिक लाभ देने का कार्य कई राज्यों में किया जा रहा है। इनमें कुछ मुख्य हैं-

ई-चौपाल- गांवों में असंगठित खेती, कमजोर बुनियादी सुविधाओं और बिचौलियों की समस्या के समाधान के लिए इंडियन टोबैको कंपनी ने ई-प्रशासन के रूप में इसे विकसित किया। आज ई-चौपाल की चर्चा पूरी दुनिया में हैं। देश के 10 राज्यों के लगभग 40 हजार गांवों में 6500 ई-चौपाल काम कर रही है। जिससे लगभग 40 लाख किसानों को लाभ मिल रहा है।

दृष्टि- यह उपभोक्ता वस्तुओं और बुनियादी सेवाओं के नेटवर्क का एक ऐसा ग्रामीण मॉडल है जिसके जरिए उपभोक्ताओं को इंटरनेट के माध्यम से सूचना दी जाती है तथा ग्रामीणों को कम्प्यूटर, अंग्रेजी एवं बीपीओ की प्रशिक्षण भी दी जाती है। यह वर्तमान में मध्यप्रदेश, पंजाब और हरियाणा में कार्यरत है। इसके तहत आसपास के 25-30 गांवों और ग्राम पंचायत भवनों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केंद्रों की स्थापना की गई है।

ई-सेवा- सरकारी सेवाओं में आम नागरिकों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने ई-सेवा परियोजना शुरू की है। इसे राज्य के 100 मंडलों में सिलसिलेवार से लागू किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि ई-सेवा को भारत का सर्वाधिक सफल ई-प्रशासन परियोजना माना जाता है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति परिवहन विभाग की जानकारी प्राप्त कर सकता है।

भूमि- यह कर्नाटक सरकार की ई-प्रशासन परियोजना है। इसके तहत राज्य में 200 कियोस्क के जरिए 67 लाख किसानों के 2 करोड़ से अधिक ग्रामीण भूमि संबंधी दस्तावेजों को ऑनलाइन किया है।

ई-प्रशासन के समक्ष चुनौतियां


ई-प्रशासन से नागरिक सेवा और ग्रामीण विकास की नई कार्य संस्कृति विकसित हो रही है। इससे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में उम्मीदें भी अधिक हैं, लेकिन इसके सफल कार्यान्यवयन में कई चुनौतियां भी है। खासकर बिहार जैसे राज्य में अब तक अनुभव यही बताते हैं। ये चुनौतियां हैं-

1. अनुकूल वातावरण का न होना
2. परियोजनाओं की पहचान और प्राथमिकताओं का निर्धारण नहीं होना
3. लोगों में जागरूकता का आभाव, सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों में
4. नई टेक्नोलॉजी संसाधनों का आभाव तथा सूचना प्रौद्योगिकी की बुनियादी ढांचे का कम विकास होना उल्लेखनीय है कि भार में 5-6 प्रतिशत आबादी को ही कम्प्यूटर उपलब्ध है।
5. सभी भौगोलिक क्षेत्रों में एक फिक्सड लैंड लाइन नेटवर्क का उपयोग करना मुश्किल
6. कानूनी ढांचा तैयार न होना
7. डिजिटल डिवाइस की समस्या
8. स्थानीय निकायों को सुदृढ़ न होना
9. इंटरनेट का धीमा रफ्तार होना
10. तकनीकी योग्यता वाले व्यक्ति का आभाव
11. कॉमन सर्विस सेंटर का ग्रामीण क्षेत्रों में संख्या कम होना
12. आशान्वित लाभों और विकास को महसूस करने में लंबा समय लगना
13. भाषा संबंधी चुनौतियां अर्थात हिंदी और अंग्रेजी को छोड़कर अन्य स्थानीय भाषाओं में उपलबध नहीं होना।
14. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अलग-अलग प्रारूप लागू करने से आंकड़ों का दोहराव और त्रुटियों की समस्या पैदा होना
15. निजी क्षेत्र के प्रभाव के कारण दोहन उत्यधिक होना

चुनौतियों से निपटने के उपाय


ई-प्रशासन के सामने उभरे चुनौतियों से निपटने के लिए द्वितीय प्रशासनिक आयोग ने कई सुझाव दिए हैं। जिसमें मुख्य हैं-

1. प्रशासन में बदलाव की इच्छा और अनुकूल वातावरण बनाया जाए
2. परियोजनाओं को पहचान कर उसे प्राथमिकता के आधार पर अमल में लाया जाए
3. उच्च तकनीकी क्षमता को विकसित किया जाना चाहिए। इसके लिए ट्रेंनिंग संस्थानों की स्थापना की जाए
4. आम लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया जाए। साथ ही सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में इसके और अधिक प्रचार-प्रसार किया जाए।
5. राष्ट्रीय स्तर पर ई-प्रशासन को इसे धरातल पर उतारने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए। इसके लिए प्रशासनिक मनोवृति में बदलाव लाने की आवश्यकता है।

इसके अलावा और भी कई सुझाव हैं, जिससे चुनौतियों से निपटा जा सकता है। ये हैं-

1. सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में इसके और अधिक प्रचार-प्रसार किया जाए
2. ई-प्रशासन का क्रियान्वयन पंचायत स्तर पर हो
3. सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का लाभ प्रत्येक गांव को मिले
4. अधिक से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर गांवों में खोले जाएं ताकि ग्रामीण बेरोजगारों को लाभ मिल सके।

किए जा रहे सरकारी प्रयास


1. ई-प्रशासन को विस्तारित करने तथा अधिक से अधिक लोगों तक इसके लाभ पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए गए हैं।
2. सरकार इसे सफल बनाने के लिए गांव-गांव तक इंटरनेट सेवाओं के लिए राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क पहुंचाने का प्रयास कर रही है। 2017 तक 17.50 करोड़ तथा 2020 तक 60 करोड़ लोगों तक इस सुविधा को पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। उल्लेखनीय है कि ब्रॉडबैंड प्रसार की दृष्टि से विश्व में भारत का स्थान 122वां तथा इंटरनेट उपभोक्ता की दृष्टि से 145वां है।
3. वर्तमान दूरसंचार घनत्व 35 प्रतिशत 2017 तक बढ़ाकर 60 प्रतिशत तथा 2020 तक शत प्रतिशत करने का लक्ष्य है।
4. प्रत्येक गांवों में बीपीओ खोलने का प्लान है। उल्लेखनीय है कि विश्व में बीपीओ में भारत की हिस्सेदारी मात्र 34 प्रतिशत है।
5. ई-प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ई-पंचायत योजना को लागू की है। इसके तहत 2.50 लाख पंचायतों को कनेक्टिविटी के साथ कम्प्यूटिंग सुविधा उपलबध कराई जा रही है।
6. राष्ट्रीय ई-प्रशासन योजना के तहत धन राशि राज्य सरकार के माध्यम से सीधे प्रखंड एवं पंचायतों में पहुंचाए जा रहे हैं। जैसे मनरेगा, बीआरजीएफ, तेरहवीं वित्त आदि। कई योजना यथा इंदिरा आवास, डीआरडीए प्रशासन, डीपीएपी, आईडब्लूडीपी आदि का केंद्रांश सीधे जिला को प्राप्त कराया जा रहा है।
7. गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए डीआरडीए को कम्प्यूटर ग्रामीण सूचना प्रणाली का सुविधा प्रदान किया जा रहा है। इसके लिए रूरल सॉफ्ट 2000 के तहत केंद्र और राज्य सरकार द्वारा ऑनलाइन निगरानी किया जाता है।
8. प्रखंड स्तर पर कार्यालयों को जोड़ने के लिए तीव्र गति, उच्च संपर्क का नेटवर्क राज्यव्यापी नेटवर्क एरिया परियोजना के तहत प्रदान किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बिहार में इसे बिस्वान के नाम से जाना जाता है। इस प्रकार स्वान के द्वारा निचले स्तर पर ई-प्रशासन को पहुंचाने का प्रयास किया गया है।

ई-प्रशासन से मिल रहे लाभ


1. पेंशन, भविष्य निधि, जीवन बीमा आदि की राशि एवं इससे संबंधित अन्य जानकारियां लोगों को आसानी से प्राप्त हो रहे हैं।
2. ग्रामीणों को चुनाव पहचान पत्र, आधार कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड, टेलीफोन, बिजली और पानी का बिल, जमीन जायदाद से जुड़े कागजात को आसानी से हासिल किया जा रहा है।
3. टेलिफोन, बिजली एवं पानी का बिल जमा करने में भी आसानी हुई है। अब इसे ऑनलाइन भी जमा किया जा सकता है।
4. माननीय उच्च एवं उच्चतम न्यायालय में दर्ज केस की अद्यतन स्थिति को जानकारी प्राप्त करने में सहूलियत हुई है। कई थानों के कामकाज को ऑनलाइन होने से आम नागरिकों को काफी सुविधा मिली है।
5. ई-प्रशासन से कम साक्षर लोगों भी अपनी समस्याओं का हल आसानी से कर रहे हैं।
6. मौसम का पूर्वानुमान समय लगने से कृषि, आपदा प्रबंधन में सहूलियत हुई है।
7. सरकारी सेवाओं एवं कार्यकुशलताओं में वृद्धि तथा उनके गुणवत्ता में सुधार आया है।
8. सरकारी पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों के कौशल क्षमता का तेजी से विकास हुआ है।
9. विभागों, संगठनों एवं कार्यालयों में कर्मियों की संख्या में कमी आने से सरकार के ऊपर बोझ कम हुआ है।
10. विभिन्न सरकारी सेवाओं का एकीकरण हुआ है। जिसके कारण एक ही काउंटर पर कई सेवाओं का लाभ नागरिकों को मिल रहा है।
11. सरकार अपने नीतिगत लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर रही है।
12. सरकार को आसानी से फीडबैक मिलने लगा है।
13. सरकारी निर्णय प्रकिया में नागरिकों की भागीदारी बढ़ी है।
14. नौकरशाही की अद्वैतवादी प्रवृतियों में कमी आई है।
15. प्रशासनिक विनिश्चईकरण की प्रक्रिया में परिवर्तन हुआ।
16. उत्पादन की सीमा को बढ़ाना आसान हो गया है।
17. योजनाओं का क्रियान्वयन में सुविधा हुई है।
इस प्रकार।

(लेखक लेखा पदाधिकारी हैं डीआरडीए, समस्तीपुर में। मो. : 08877465445)

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