जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति-2018

28 Jul 2018
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जैव ईंधन
जैव ईंधन

जैव ईंधनप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल समिति ने जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति-2018 को मंजूरी दे दी है।

मुख्य विशेषताएँ

1. नीति में जैव ईंधनों को ‘आधारभूत जैव ईंधनों’ यानी पहली पीढ़ी (1जी) जैव इथेनॉल और जैव डीजल तथा ‘विकसित जैव ईंधनों’-दूसरी पीढ़ी (2जी) इथेनॉल, निगम के ठोस कचरे (एमएसडब्ल्यू) से लेकर ड्रॉप इन ईंधन, तीसरी पीढ़ी (3जी) के जैव ईंधन, जैव सीएनजी आदि को श्रेणीबद्ध किया गया है ताकि प्रत्येक श्रेणी में उचित वित्तीय और आर्थिक प्रोत्साहन बढ़ाया जा सके।

2. नीति में गन्ने का रस, चीनी वाली वस्तुओं जैसे चुकन्दर, स्वीट सौरगम, स्टार्च वाली वस्तुएँ जैसे-भुट्टा, कसावा, मनुष्य के उपभोग के लिये अनुपयुक्त बेकार अनाज जैसे गेहूँ, टूटा चावल, सड़े हुए आलू के इस्तेमाल की अनुमति देकर इथनॉल उत्पादन के लिये कच्चे माल का दायरा बढ़ाया गया है।

3. अतिरिक्त उत्पादन के चरण के दौरान किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिलने का खतरा होता है। इसे ध्यान में रखते हुए इस नीति में राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति की मंजूरी से इथेनॉल उत्पादन के लिये पेट्रोल के साथ उसे मिलाने के लिये अतिरिक्त अनाजों के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है।

4. जैव ईंधनों के लिये, नीति में 2जी इथेनॉल जैव रिफाइनरी के लिये 1जी जैव ईंधनों की तुलना में अतिरिक्त कर प्रोत्साहनों, उच्च खरीद मूल्य के अलावा 6 वर्षों में 5000 करोड़ रुपए की निधियन योजना के लिये व्यावहारिकता अन्तर का संकेत दिया गया है।

5. नीति गैर-खाद्य तिलहनों, इस्तेमाल किये जा चुके खाना पकाने के तेल, लघु गाभ फसलों से जैव डीजल उत्पादन के लिये आपूर्ति शृंखला तंत्र स्थापित करने को प्रोत्साहन दिया गया।

6. इन प्रयासों के लिये नीति दस्तावेज में जैव ईंधनों के सम्बन्ध में सभी मंत्रालयों/विभागों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का अधिग्रहण किया गया है।

सम्भावित लाभ

आयात निर्भरता कम होगी- एक करोड़ लीटर ई-10 वर्तमान दरों पर 28 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत करेगा। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2017-18 में करीब 150 करोड़ लीटर इथनॉल की आपूर्ति दिखाई देने की उम्मीद है जिससे 4000 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत होगी।

स्वच्छ पर्यावरण

एक करोड़ लीटर ई-10 से करीब 20,000 हजार टन कार्बन डाइअॉक्साइड 30 लाख टन उत्सर्जन कम होगा। वर्ष 2017-18 इथेनॉल आपूर्ति के लिये कार्बन डाइऑक्साइड तीस लाख टन उत्सर्जन कम होगा। फसल जलाने में कमी लाने और कृषि सम्बन्धी अवशिष्ट/कचरे को जैव ईंधनों में बदलकर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में और कमी आएगी।

स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभ

खाना पकाने के लिये तेल खासतौर से तलने के लिये लम्बे समय तक उसका दोबारा इस्तेमाल करने से स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा हो सकता है और अनेक बीमारियाँ हो सकती हैं। इस्तेमाल हो चुका खाना पकाने का तेल जैव ईंधन के लिये सम्भावित फीडस्टॉक हो सकता है और जैव ईंधन बनाने के लिये इसके इस्तेमाल से खाद्य उद्योगों में खाना पकाने के तेल के दोबारा इस्तेमाल से बचा जा सकता है।

एमएसडब्ल्यू प्रबन्ध

एक अनुमान के अनुसार भारत में हर वर्ष 62 एमएमटी निगम का ठोस कचरा निकलता है। ऐसी प्रौद्योगिकियाँ उपलब्ध हैं जो कचरा/प्लास्टिक, एमएसडब्ल्यू को ईंधन में परिवर्तित कर सकती हैं। ऐसे एक टन कचरे में ईंधनों के लिये करीब 20 प्रतिशत बूँदें प्रदान करने की सम्भावना है।

ग्रामीण इलाकों में आधारभूत संरचना निवेश

एक अनुमान के अनुसार 100 केएलपीडी जैव रिफाइनरी के लिये करीब 800 करोड़ रुपए के पूँजी निवेश की आवश्यकता होती है। वर्तमान में तेल विपणन कम्पनियाँ करीब 10,000 करोड़ रुपए के निवेश से बारह 2जी रिफाइनरियाँ स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं। साथ ही देश में 2जी जैव रिफाइनरियों से ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत संरचना में निवेश के लिये प्रोत्साहित किया जा सकेगा।

रोजगार सृजन

एक 100 केएलपीडी 2 जी जैव रिफाइनरी संयंत्र परिचालनों, ग्रामीण-स्तर के उद्यमों और आपूर्ति शृंखला प्रबन्धन में 1200 नौकरियाँ देने में योगदान दे सकती हैं।

किसानों की अतिरिक्त आय

2जी प्रौद्योगिकियों को अपना कर कृषि सम्बन्धी अवशिष्टों/कचरे को इथेनॉल में बदला जा सकता है और यदि इसके लिये बाजार विकसित किया जाय तो कचरे का मूल्य मिल सकता है जिसे अन्यथा किसान जला देते हैं। साथ ही, अतिरिक्त उत्पादन चरण के दौरान उनके उत्पादों के लिये उचित मूल्य नहीं मिलने का खतरा रहता है। अतः अतिरिक्त अनाजों को परिवर्तित करने और कृषि बॉयोमास मूल्य स्थिरता में मदद कर सकते हैं।

 

 

 

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