जैविक खेती में देशी प्रजाति को बढ़ावा मिलाः मुकेश गुप्ता

30 Oct 2010
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मुकेश गुप्ता मोरारका फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक होने के साथ-साथ जैविक खेती के विशेषज्ञ भी हैं। चौथी दुनिया संवाददाता शशि शेखर ने नवलगढ़ यात्रा के दौरान मुकेश गुप्ता से जैविक खेती के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत की। मसलन, किसानों को अपनी जैविक उपज के लिए बाज़ार कैसे मिले? कृषि के लिए जैविक खेती कैसे वरदान साबित हो रहा है? पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

 

मुकेश जी, सबसे पहले तो आप जैविक उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में बताएं।


देखिए, जैविक खेती का सबसे बड़ा फायदा तो यह हुआ है कि देशी प्रजाति के अनाज की खेती को ब़ढावा मिला है। अब तक आम किसान संकर किस्म के बीजों का इस्तेमाल कर रहा था, लेकिन जैविक खेती करने वाले किसानों ने बेहतर परिणाम के लिए फिर से देशी किस्म के अनाजों का उत्पादन करना शुरु कर दिया। इसके अलावा, जैविक अनाज स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी फायदेमंद होता है। अच्छा स्वास्थ्य पाने के लिए अब लोग मोटे अनाज की ओर आकर्षित हुए हैं। जैविक अनाज की शुद्धता और स्वाद का कोई जो़ड नहीं है और यह अनाज पेट के रोगों के लिए खासा कारगर साबित हुआ है। वैसे ही मधुमेह के रोगियों के लिए भी मोटा अनाज फायदेमंद साबित हुआ है।

 

किसानों को अपनी उपज के लिए बाज़ार मिले, इसके लिए आप लोग क्या सहायता देते हैं?


राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में हमारा फाउंडेशन किसानों को जैविक खेती की ट्रेनिंग दे रहा है। जो भी किसान जैविक विधि से खेती करते हैं, पहले उनके उत्पादों का सर्टिफिकेशन किया जाता है। इसक अर्थ है कि यह उत्पाद जैविक हैं। यह काम कुछ मान्यता प्राप्त एजेंसियां करती हैं। हमारी फाउंडेशन के भी देश भर में कई जगह डाउन टू अर्थ नाम से रिटेल आउटलेट्‌स हैं, जहां जैविक उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध होता है। इन आउटलेट्‌स के ज़रिए भी हम किसानों को बाज़ार उपलब्ध करा देते हैं। इसके अलावा, किसान ख़ुद भी अपनी उपज मंडी में जा कर बेचता है। मैं आपको बता दूं कि जब किसान मंडी में जा कर यह बताता है कि उसका अनाज जैविक विधि से उगाया गया है, तो ख़रीददार उस अनाज को ज़्यादा दाम दे कर ख़रीदता है।

 

जैविक उत्पाद की जानकारी ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचे, लोगों को आसानी से उपलब्ध हो जाए, इसके बारे में बताएं।


देखिए, जैसा मैंने बताया कि देश के कई अलग-अलग जगहों पर हमारे रिटेल आउटलेट्‌स हैं, डाउन टू अर्थ नाम से। इसका पता हमारी वेबसाइट www.downtoearthorganic.com पर उपलब्ध है। इसके अलावा हम अपने आउटलेट्‌स की फ्रेंचाइजी भी देते हैं। साथ ही, हमने नेचर्स बास्केट और फूड बाज़ार से भी समझौता किया हुआ है। इनके आउटलेटस पर भी हमारे किसानों द्वारा पैदा किए गए जैविक उत्पाद उपलब्ध हैं।

 

आने वाले समय में जैविक खेती का आप क्या भविष्य देखते हैं और आगे की क्या योजना है?


देखिए, आने वाला व़क्त जैविक खेती का ही है। यह बात अब धीरे-धीरे किसानों को समझ में आ गई है। रासायनिक खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल करने का नतीजा क्या होता है, यह हमारे किसान भाई अच्छी तरह समझ चुके हैं। अब तक हमारे फाउंडेशन के साथ क़रीब 10 लाख किसान जु़ड चुके है। मतलब दस लाख किसान क़रीब 11 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर जैविक खेती कर रहे है। आने वाले कुछ सालों में हम इस संख्या को और बढ़ाएंगे। हमारी कोशिश होगी कि अगले कुछ सालों में हमारे साथ 20 से 30 लाख किसान और जुड़े।

इन योजनाओं के बारे में अधिक जानकारी और सहायता के लिए संपर्क करें

वी.बी. बापना, महा प्रबंधक, मोरारका फाउंडेशन, वाटिका रोड, जयपुर-302015 मोबाइल-09414063458, ईमेल- vbmorarka@yahoo.com

 

 

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