जानिये कौन हैं भारतीय मौसम विज्ञान के महानिदेशक डाॅ. मृत्युंजय महापात्र

डॉ. मृत्युंजय महापात्र।
डॉ. मृत्युंजय महापात्र।

इसी वर्ष मई में ओडिशा के तट पर चक्रवाती तूफान ‘फानी’ के दस्तक की समय रहते सूचना देने से लेकर राहत और बचाव कार्य शुरू करने के लिए दुनियाभर में भारत के एहतियाती प्रयासों की खूब तारीफ हुई थी। इन कोशिशों का ही परिणाम था कि फानी के कारण जान-माल के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सका। 

आपदाओं की भविष्यवाणी और उनके बारे में पूर्व चेतावनी जारी करने में मौसम वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ‘साइक्लोन मैन‘ के नाम से मशहूर ऐसे ही एक मशहूर मौसम वैज्ञानिक डॉ. मृत्युंजय महापात्र को भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) का महानिदेशक नियुक्त किया गया है। पिछले दो दशकों में आईएमडी द्वारा फैलिन, हुदहुद, वरदा, तितली, सागर, मेकूनू और फानी जैसे कई चक्रवातों की सटीक भविष्यवाणियों में अहम योगदान देने वाले डॉ. महापात्र ने आज कार्यभार संभाल लिया है। 

डॉ. मृत्युंजय महापात्र उड़ीसा के भद्रक जिले के एक छोटे-से गाँव में जन्मे। उन्होंने चक्रवातों के कारण होने वाले जान-माल के नुकसान को करीब से देखा है। शायद यही प्रमुख वजह थी, जिसने उन्हें मौसम विज्ञानी बनने के लिए प्रेरित किया। उत्कल विश्वविद्यालय से भौतिकी में पीएचडी करने के बाद उन्होंने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन से करियर शुरू किया और फिर 1990 के दशक से मौसम विज्ञान विभाग से जुड़ गए।  इंडिया साइंस वायर से एक बातचीत में डॉ. महापात्र ने बताया कि “पिछले दस वर्षों में आईएमडी द्वारा मौसम और जलवायु पूर्वानुमान में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। मौसम संवेदी गतिविधियों के अवलोकन और पूर्वानुमान से जुड़ी प्रणाली को उन्नत बनाया गया है। आधुनिक मॉडलों और उच्च तकनीकों की मदद से चक्रवात, भारी बारिश, कोहरा, शीत लहर, वज्रपात और लू जैसी आपदाओं का सटीक पूर्वानुमान आपदा प्रबंधकों के लिए मददगार साबित हुआ है, जिससे जन-धन की हानि कम करने में भी मदद मिली है। आईएमडी 27 डॉप्लर मौसम रडार, 711 स्वचालित मौसम केंद्रों, स्वचालित 1350 रेंज गेज स्टेशनों, इन्सैट एवं अन्य उपग्रहों के अलावा कई अन्य उन्नत प्रौद्योगिकियों एवं उपकरणों के माध्यम से पूर्वानुमान प्रणाली पर कार्य कर रहा है।”

मौसम पूर्वानुमान में मॉडलों की उपयोगिता के बारे में बताते हुए डॉ. महापात्र ने कहा कि “पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सात वैश्विक एवं श्रेत्रीय मॉडलों ने पूर्वानुमान प्रणाली को सटीक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आईएमडी में विभिन्न वेधशालाओं के माध्यम से मौसम संबंधी आंकडों को एकत्र किया जाता है। सतही वेधशालाओं, पायलट बैलून वेधशालाओं, तटीय उत्प्लावकों, ओजोन केंद्रों, जलवायु संदर्भ केंद्रों, तड़ित संवेदकों सहित 21 परंपरागत वेधशालाओं द्वारा आंकडें एकत्र किए जाते हैं। इसके अलावा, गैर परंपरागत वेधशालाओं में उपग्रह, शोध केंद्र आदि शामिल हैं।” डॉ. महापात्र ने बताया कि आईएमडी के विश्लेषण और पूर्वानुमान केंद्र त्रिस्तरीय नेटवर्क प्रणाली पर आधारित हैं। मुख्यालय में स्थित राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के अलावा छह क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र और 23 राज्य स्तरीय मौसम विज्ञान केंद्र कार्यरत हैं। इन सभी केंद्रों से प्रत्येक एक घंटे, तीन घंटों और दैनिक आधार पर ई-मेल के माध्यम से आंकडे प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, वैश्विक दूरसंचार प्रणाली के माध्यम से भी आंकडे प्राप्त होते हैं। इस प्रकार, भारत सहित दुनिया के अन्य हिस्सों से भी आंकडे प्राप्त होते रहते हैं। ये आंकडे दस मिनट की अवधि में पूर्वानुमानकों को उपलब्ध हो जाते हैं। उच्च क्षमता की कम्प्यूटिंग प्रणाली से मॉडलों द्वारा 4 घंटों में आंकडों पर आधारित पूर्वानुमान संबंधी सूचना प्राप्त होने लगती है। आईएमडी 21 देशों से वैश्विक आंकडों का आदान-प्रदान करता है और यह विश्व मौसम संगठन सूचना प्रणाली के वैश्विक सूचना केंद्रों से भी जुड़ा हुआ है। इसके अलावा, आईएमडी पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अन्य संस्थानों से भी जुड़ा है। मौसम विभाग भीषण मौसमी घटनाओं संबंधी दिशानिर्देशों के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थानों एवं आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संस्थानों को सहयोग करता है। ब्लॉक स्तर पर एग्रोमैट सूचना सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए भी कार्य किया जा रहा है। पायलट परियोजना के रूप में फिलहाल 200 ब्लॉकों के लिए पूर्वानुमान जारी किया जा रहा है। 

चक्रवात, भारी बारिश, झंझवात, लू और शीत लहर जैसी विपरीत मौसमी घटनाओं के लिए रंग आधारित कोडों में पूर्वानुमान जारी किया जाता है। डॉ. महापात्र के अनुसार चेन्नई और मुम्बई जैसे नगरों में शहरी बाढ़ के पूर्वानुमान के लिए मौसम विभाग राज्यों के निकायों के साथ कार्य कर रहा है। भविष्य में अन्य शहरों के लिए भी इसी प्रकार की पूर्वानुमान सेवाएं विकसित की जा सकती हैं। अचानक आने वाली बाढ़ के पूर्वानुमान के लिए आईएमडी विश्व मौसम संगठन के साथ एक परियोजना पर कार्य कर रहा है। मौसम विभाग ने अगामी पांच वर्षों में सटीक पूर्वानुमान में 20 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य रखा है, जिसे अगले दस वर्षों में 40 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। डाॅ. महापात्र ने 75 से अधिक शोधपत्रों के प्रकाशन के अलावा उन्होंने तीन पुस्तकों और पाँच पत्रिकाओं का संपादन भी किया है। मौसम विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों और प्रशंसा पत्रों से उन्हें सम्मानित किया गया है। डॉ. महापात्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हैं और उन्हें 2019-2023 के लिए इस संस्था की कार्यकारी परिषद के सदस्य के रूप में भी चुना गया है।

TAGS

IMD, Weather Forecast, Cyclones, Rainfall, Hudhud, Titli, Fani, dr mrutyunjay mohapatra, who is mrutyunjay mohapatra, life of mrutyunjay mohapatra, IMD chief mrutyunjay mohapatra, imd satellite, imd weather, imd monsoon, imd pune, imd weather forecast, imd gujarat, imd cyclone, imd bhopal, work of imd, how does imd work.

 

Posted by
Attachment
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading