जीआईएस में करियर

जरा आप सोचिए! दिल्ली की सड़कों पर आप भटक रहे हैं, क्योंकि आपको मालूम नहीं कि राष्टपति भवन जाने का रास्ता कौन-सा है? पर बिना किसी परेशानी के क्षण भर में ही इस समस्या का निदान हो जाए, तो शायद इसे आप विज्ञान का कमाल ही कहेंगे। जी हां, यह सब संभव हुआ है जिओग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम यानी जीआईएस की वजह से। जिसकी नजर टारगेट एरिया यानी जिस क्षेत्र के बारे में जानकारी हासिल करनी होती है, उस क्षेत्र के चप्पे-चप्पे पर होती है। बहरहाल, यदि आप जीआईएस से संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो तकनीक के इस बढ़ते बाजार में करियर की बुलंदियों को छू सकते हैं।

क्या है जीआईएस?


यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसकी मदद से टारगेट एरिया की मैपिंग की जाती है। इसके बाद प्राप्त डाटा के माध्यम से ऑफिस में बैठे ही उस पूरे क्षेत्र की सटीक जानकारी हासिल की कर ली जाती है। खासकर इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल अर्थ साइंस, एग्रिकल्चर, डिफेंस, न्यूक्लियर साइंस, आर्किटेक्चर, टाउन प्लानर, मैपिंग, मोबाइल आदि क्षेत्र में खूब हो रहा है।

जीआईएस सॉफ्टवेयर्स


जीआईएस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने वाली कंपनियां अपने कार्य-प्रणाली के हिसाब से कुछ खास तरह के जीआईएस टेक्निक्स, जैसे: आर्कइंफो, ऑटोकैड मैप, मैपइंफो, जिओमीडिया, सीएआरआईएस जीआईएस, सीआईसी एडी और आर्कव्यू इस्तेमाल कर रही हैं।

विशेषज्ञता वाले क्षेत्र


यदि आप इस कोर्स में दाखिला लेने का मन बना चुके हैं, तो आपके मन में यह बातें भी आ रही होंगी कि किस क्षेत्र विशेषज्ञता हासिल करने के बाद करियर बेहतर हो सकता है। यदि नीचे दिए गए क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर लेते हैं, तो करियर में चार-चांद लगा सकते हैं।

-जिओग्रॅफिक इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी -फोटोग्रामैट्री
-जीआईएस ऐप्लिकेशन
-जीआईए डेवलॅपमेंट
-जिओस्टेटिस्टीक
-जीआईएस प्रोजेक्ट डेवलॅपमेंट
-वेबजीआईएस आदि।

अमूमन इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए आप दो से छह माह अवधि वाले कोर्स में दाखिला ले सकते हैं।

कैसी हो योग्यता


यदि आप तकनीक की दुनिया में उभर रहे जीआईएस तकनीक में करियर को एक अलग मुकाम देने का मन बना चुके हैं, तो जीआईएस में पोस्ट ग्रेजुएशन, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट आदि कोर्स कर सकते हैं। आमतौर पर जिओलॉजी, अप्लायड जिओलॉजी, अर्थ साइंस, जिओग्राफी, जिओसाइंस बीएससी, बीई, बीटेक आदि में स्नातक की डिग्री रखने वाले स्टूडेंट्स इस कोर्स में दाखिला ले सकते हैं।

उपलब्ध कोर्सेज


देश के तमाम प्रमुख शिक्षण संस्थानों में जीआईएस से संबंधित कोर्सेज उपलब्ध हैं। इस क्षेत्र की प्रमुख शिक्षण संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ जिओ-इन्फॉर्मेटिक्स ऐंड रिमोट सेंसिंग के अंतर्गत आने वाले इंस्टीट्यूट से लांग और शॉर्ट टर्म कोर्सेज कर सकते हैं। यहां मुख्य रूप से पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट इन जीआईएस ऐंड आरएस (अवधि : छह माह), पोस्ट ग्रेजुएट सर्टिफिकेट इन जीआईएस प्रोग्रामिंग कोर्स (अवधि : चार माह) आदि कोर्सेज उपलब्ध हैं। आईआईटी रुड़की और आईआईटी कानपुर से रिमोट सेंसिंग और जिओ-इन्फॉर्मेटिक का कोर्स कर सकते हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (देहरादून) में जीआईएस से संबंधित एमटेक, एमएससी, पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा, सर्टिफिकेट आदि कोर्सेज उपलब्ध हैं। बुंदेलखण्ड यूनिवर्सिटी में भी आप एमएसएसी जीआईएस ऐंड रिमोट सेंसिंग कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। इसकी अवधि दो वर्ष है। जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली से भी रिमोट सेंसिंग और जीआईएस ऐप्लिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कर सकते हैं। इसके अलावा, सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ जिओ-इन्फॉर्मेटिक्स पुणे से जिओइन्फॉर्मेटिक्स में मास्टर डिग्री कर सकते हैं। इसकी अवधि दो वर्ष हैं।

क्या हैं संभावनाएं


आज पब्लिक सेक्टर के साथ-साथ निजी सेक्टर की कंपनियों में भी जीआईएस कोर्स कर चुके छात्रों के लिए करियर के भरपूर मौके हैं। यदि पब्लिक सेक्टर की बात करें, तो इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो), नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी (एनआरएसए), नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर (एनआईसी), स्पेस ऐप्लिकेशन सेंटर, अर्बन डेवलॅपमेंट ऑथोरिटी, म्यूनिसिपल बॉडिज आदि में करियर की बेहतर संभावनाएं हैं। इसके अलावा, नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट, इमर्जेंसी मैनेजमेंट, मिलिट्री कमांड, ट्रांसर्पोटेशन मैनेजमेंट, सोशियो-इकोनॉमिक डेवलॅपमेंट, अर्बन डेवलॅपमेंट, बिजनेस ऐप्लिकेशन आदि क्षेत्र में भी करियर के विकल्प तलाश सकते हैं।

प्रमुख शिक्षण संस्थान


-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून (जीआईएस कोर्स: एमटेक, एमएससी, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और रिमोट सेंसिंग)

-इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, यूपी
( पीजी डिप्लोमा कोर्स इन जीआईएस)

-बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची
(एमएससी जिओ-इन्फॉर्मेटिक्स, एमटेक)

-एमडीएस यूनिवर्सिटी, अजमेर, राजस्थान
(एमएससी रिमोट सेंसिंग)

-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रुड़की
(टे्रनिंग ऐंड पीएचडी कोर्स इन रिमोट सेंसिंग और जिओ-इन्फॉर्मेटिक)

-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर
(टे्रनिंग ऐंड पीएचडी कोर्स इन रिमोट सेंसिंग और जिओ-इन्फॉर्मेटिक)

-जीआईएस इंस्टीट्यूट, नेएडा
(ट्रेनिंग प्रोग्राम जीआईएस)

-ईएसआरआई इंडिया, दिल्ली
(ट्रेनिंग प्रोग्राम इन जीआईएस)

-इंस्टीट्यूट ऑफ जिओइन्फॉर्मेटिक्स ऐंड रिमोट सेंसिंग

भरपूर हैं मौके


जीआईएस के क्षेत्र में करियर के उभरते संभावनाओं पर प्रकाश डाल रहे हैं जीआईएस इंस्टीट्यूट, नोएडा के डायरेक्टर डॉ. सत्य प्रकाश...

जीआईएस के फील्ड में लोग कहां करियर बना सकते हैं?
देखा जाए, तो जीआईएस मुख्य रूप से जिओग्रफी, कम्प्यूटर और बेसिक साइंस विषयों से मिलकर बना है। यहां आप तीन अलग-अलग एरिया में करियर बना सकते हैं, जैसे: जीआईएस ऐप्लिकेशन, सॉफ्टवेयर डेवलॅपमेंट और बिजनेस डेवलपॅमेंट।

इसमें किस तरह की क्वालिटी रखने वाले लोग कामयाबी हासिल कर सकते हैं?
यदि किसी के पास जिओग्राफी, प्रोग्रॉमिंग लैंग्वेज और संबंधित क्षेत्र का नॉलेज है, तो वे इस क्षेत्र में कामयाब हो सकते हैं।

किस तरह के कोर्स इस फील्ड में उपलब्ध हैं?
सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में शॉर्ट और लांग टर्म कोर्सज उपलब्ध हैं। आमतौर पर सरकारी संस्थानों में डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा और मास्टर डिग्री कोर्सेज होते हैं। अमूमन इन कोर्सेज की अवधि एक से दो साल होती है, जबकि प्राइवेट संस्थान में भी इस तरह के कोर्सेज मौजूद हैं। एक महीने से तीन महीने तक का ट्रेनिंग प्रोग्राम, एक सप्ताह से एक महीने का सॉफ्टवेयर टे्रनिंग प्रोग्राम और छह महीने से एक वर्ष तक का डिप्लोमा/ पीजी डिप्लोमा कोर्सेज उपलब्ध हैं।

जीआईएस इंस्टीट्यूट में किस तरह के कोर्स मौजूद हैं?
हम एक महीने का सर्टिफिकेट कोर्स ऑफर करते हैं, इसके अलावा, तीन महीने का एडवांस्ड सर्टिफिकेट कोर्स भी उपलब्ध है। साथ ही, पीजी कोर्स यूएनआईजीआईएस से सर्टिफाइड है। खासकर वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए भी इवनिंग और पार्टटाइम बैच भी हम ऑफर कर रहे हैं।

अमूमन कोर्स की फीस कितनी होती है?
दरअसल, हमारे यहां कोर्स एक सप्ताह से लेकर एक वर्ष तक का है। इसलिए कोर्स की फीस भी भिन्न है। एक महीने के कोर्स की फीस 30 हजार रुपये है, जबकि एक वर्ष के कोर्स की फीस 1,35,000 रुपये तक है।

भारत और विदेश में किस तरह की संभावनाएं हैं?
देखिए, आने वाले दिनों जीआईएस का उपयोग तकरीबन हर क्षेत्र में होने लगेगा, जैसे: डिजास्टर मैनेजमेंट, डेवलॅमेंट ऑथोरिटी आदि। यदि भारत की बात करें, तो यहां पूरे देश का डिजिटल मैप उपलब्ध नहीं है। इस लिहाज से देखें, तो इस क्षेत्र में करियर की बेहतरीन संभावनाएं देखी जा रही हैं। वहीं विकसित देशों में जहां यह टेक्नोलॉजी पहले से ही इस्तेमाल में लाई जा रही हैं। वहां डाटा एनालिसिस के लिए इस क्षेत्र से जुड़े स्किल्ड लोगों की खूब जरूरत है।

इस फील्ड में फे्रशर को कितनी सैलॅरी मिल जाती है?
फ्रेशर की सालाना सैलॅरी तकरीबन एक लाख से एक लाख बीस हजार रुपये के बीच होती है। आठ से दस वर्ष के कार्य-अनुभव के बाद आप सीईओ लेवॅल तक पहुंच सकते हैं।

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading