जल चक्र

25 Oct 2008
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water cycle
water cycle

दौड़ें और एक गिलास पानी लें तथा इसे अपने सामने वाले मेज़ के ऊपर रखें। पानी को अच्छी तरह देर तक देखें। अब-क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि पानी कितना पुराना है?



शायद आपके गिलास का पानी ठीक पिछले सप्ताह का आसमान से गिरा वारिश का पानी हो लेकिन पानी स्वयं उतना ही सुकुमार है जितनी की पृथ्वी!
जब पहली मछली समुन्द्र से बाहर ज़मीन पर आई थी, तो आपके गिलास का पानी उस ..
समुन्द्र का हिस्सा था। जब ब्रन्टोसोरस झील से बाहर पौधों को खाने के लिए निकला तब आपके गिलास का पानी उन झीलों का हिस्सा था।

जब राजा और रानियां, शूरवीर और महानुभाव अपने कुओं से पानी पिया करते थे तो आपके गिलास का पानी उन कुओं का हिस्सा था।

और आप सोचते हैं कि आपके माता पिता बूढ़े हो चुके हैं।



जल चक्रजल चक्रपृथ्वी पर पानी सीमित मात्रा में है। पानी चारों तरफ घूमता रहता है, चलता रहता है, जिसे हम लोग जल चक्र कहते हैं।

चक्र कुछ महत्त्वपूर्ण हिस्सों से बनता है।
वाष्पीकरण(वाष्पोत्सर्जन)
संघनीकरण
अवक्षेपण
संकलन

वाष्पीकरण


..


जब नदियों, झील और समुन्द्र के पानी को सूरज की किरणें गरम करती है और वाष्प में परिवर्तित होता है। तो जल- वाष्प नदी, झील और समुन्द्र को छोड़कर हवा में मिल जाता है।



..

क्या पौधों को पसीना आता हैं?

जैसे लोगों को पसीना आता है वैसे ही पौधे वाष्प छोड़ते हैं। वाष्पोत्सर्जन प्रक्रिया में पौधे अपनी पत्तियों के माध्यम से पानी छोड़ते हैं।

संघनीकरण


..जलवाष्प वायु में ठंडा होता है और पुन: द्रव के रूप में परिवर्तित होता है जो बादल का रूप धारण करता है। इसे संघनीकरण कहते हैं।

इस तरह की बातें आप घर पर भी देख सकते हैं.... कोई गरम दिन में आप एक गिलास ठंडा पानी उडेलें और देखिये, होता है क्या? पानी गिलास के बाहर दिखाई देता है। पानी का किसी भी तरह गिलास से रिसाव नहीं हुआ! वस्तुत: यह हवा से आया था। जलवाष्प गरम हवा में ठंडे गिलास के संपर्क में आने से पुन: द्रव में बदल जाता है।

अवक्षेपण


अवक्षेपणअवक्षेपण अवक्षेपण उस स्थिति में होता है जब बहुत सारा जल संघनीभूत हो जाता है और वायु इसे लम्बे समय तक पकड़कर नहीं रख सकती है। बादल भारी हो जाता है और पृथ्वी पर पुन: पानी वर्षा, ओला और बर्फ के रूप में गिरता है।..

संकलन


..जब पानी पृथ्वी पर पुन: अवक्षेपण के रूप में गिरता है तो यह समुन्द्र, झील-झरने, नदियों में पुन: गिरता है या पृथ्वी पर पहुंचता है। जब यह ज़मीन पर पहुंचता है तो इसे ज़मीन सोख लेती है या 'भूतल जल' का हिस्सा बन जाता है, जिसे पौधे और जीवजन्तु पीने में इस्तेमाल करते हैं या यह धरती के उपर बहता है और समुन्द्र, झील, झरने या नदियों में जमा होता है जहां से फिर जल चक्र प्रारंभ होता है।

 

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