जल का भूमंडलीय वितरण

2 Oct 2018
0 mins read
पृथ्वी पर जल का वितरण
पृथ्वी पर जल का वितरण

पृथ्वी की सतह का तीन चौथाई से ज्यादा भाग पानी से ढका हुआ है। जल गंधरहित, स्वादरहित ऐसा पदार्थ जो प्राकृतिक रूप से गैस, द्रव और ठोस अवस्था में वायु, तापमान एवं दाब की सापेक्षिक संकीर्ण परास के अंदर पृथ्वी की सतह पर पाया जाता है। यह सभी जीवधारियों के लिये अत्यंत आवश्यक होता है। यद्यपि पानी पर्याप्त मात्रा में स्पष्ट तौर से उपलब्ध है फिर भी विश्व के एक बहुत बड़े भाग में प्रयोग में लाने योग्य जल की कमी है।

इस पाठ में हम उन उपायों के बारे में जानेंगे जिनके द्वारा पानी पर्यावरण में प्रवाहित होता है। जल के वैश्विक वितरण के बारे में, उसके विभिन्न स्रोतों के बारे में जानेंगे तथा यह भी जानेंगे कि जल वैश्विक जल-चक्र में चक्रित होता है। यद्यपि पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह नहीं है जहाँ पानी उपस्थित है, यह केवल एक ऐसा ग्रह है जहाँ परिस्थितियाँ पानी के भूमण्डलीय वितरण के अनुकूल हैं। आप जैव प्रक्रियाओं में अलवण जल के महत्व के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

उद्देश्य
इस पाठ के अध्ययन के समापन के पश्चात आपः

i. अलवण जल का क्या अर्थ है, परिभाषित कर पाएँगे;
ii. प्रकृति में अलवण जल के महत्त्व की व्याख्या कर सकेंगे;
iii. यह दोहरा पाएँगे कि जल एक नवीकरणीय संसाधन है;
iv. पानी के विभिन्न स्रोतों को पहचान सकेंगे एवं जीवन के लिये इसकी उपयोगिता बता सकेंगे;
v. अवक्षेपण एवं वाष्पन शब्दों की व्याख्या कर पाएँगे;
vi. जल चक्र में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न चरणों का चित्र द्वारा निरूपण कर पाएँगे।

27.1 जल का भूमण्डलीय वितरण
पृथ्वी पर पाए जाने वाला जल कम से कम 97%, खारा जल होता है जो महासागरों में पाया जाता है। हम खारे जल को पीने के काम में नहीं ला सकते हैं या फिर उसको फसलों की सिंचाई के काम ही में ला सकते हैं। समुद्री जल से नमक को निकालना तकनीकी रूप से संभव है, लेकिन यह विधि काफी महँगी है। केवल 2.7% पानी ही पृथ्वी पर अलवण जल के रूप में पाया जाता है और इसमें 1000 पीपीएम से भी कम किसी भी प्रकार का घुला हुआ ठोस होता है, पृथ्वी का लगभग 2% जल ठोस अवस्था में पाया जाता है। (इसका अर्थ है लगभग 66% सभी प्रकार के अलवण जल का हिस्सा है।), अंटार्कटिका हिमच्छद (हिमशिखर) और हिमनदों, जो कि ऊँचे अल्पाइन स्थानों पर पाये जाते हैं, क्योंकि ये जमे हुए हैं और काफी दूर स्थित हैं, हिमशिखरों पर पाया जाने वाला अलवण जल को उपयोग में नहीं लाया जा सकता है।

इस तरह से पृथ्वी पर पाये जाने वाले जल का कुल 1% भाग ही मनुष्यों, पौधों एवं स्थलीय जन्तुओं के लिये उपयोग करने लायक होता है। अलवण जल झीलों, नदियों, जल धाराओं, तालाबों एवं जमीन में पाया जाता है। जल का एक छोटे से छोटा भाग (0.001%) वाष्प के रूप में वायुमंडल में पाया जाता है। अलवण जल का वितरण जो भौगोलिक दृष्टि से एक समान नहीं है, इसके वितरण में यह एक देश से दूसरे देश में भी बहुत अंतर है और यहाँ तक कि किसी देश में एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भी अंतर पाया जाता है।

उदाहरण के लिये विश्व के कुछ क्षेत्र अलवण जल की आपूर्ति के मामले में काफी धनी हैं जबकि कुछ क्षेत्र सीमित आपूर्ति के कारण शुष्क अथवा अर्धशुष्क क्षेत्र होते हैं। कुछ क्षेत्रों में वर्षा जल की अधिकांश मात्रा जल संग्रहण के अपर्याप्त साधनों की कमी के कारण उपयोग में नहीं आती हैं। इस प्रकार, यह वर्षाजल काफी मात्रा में बेकार हो जाता है या फिर भयंकर बाढ़ का कारण होता है, जिसका परिणाम जीवन एवं संपत्ति की हानि होती है।

यद्यपि पानी एक नवीकरणीय संसाधन है, लेकिन अलवण जल की मात्रा निश्चित है। अलवण जल एक कमी वाला संसाधन है और भारत सहित दुनिया के बहुत से भागों में ऐसा ही है। जलस्रोतों के प्रदूषण के कारण और बढ़ती हुई जनसंख्या की मांग के कारण अलवण जल पर काफी दबाव है। दुनिया भर में जल का उपभोग लगभग 6 गुना बढ़ गया है। यह कमी जनसंख्या वृद्धि दर की तुलना में दोगुने से भी अधिक हो गयी है।

पाठगत प्रश्न 27.1
1. पृथ्वी का कितना भाग जल से ढका हुआ है?
2. अलवण जल माने जाने वाला भाग का कितना भाग ठोस रूप में है?
3. शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में उपलब्ध पानी की मात्रा के संबंध में क्या सच्चाई है?

27.2 जीवन और पर्यावास के लिये पानी का महत्त्व
1. पृथ्वी पर सभी जीवों के लिये पानी एक अनिवार्य आवश्यकता है। पानी जीवधारियों की कोशिकाओं के जीवद्रव्य का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटक है। औसतन हमारे शरीर का 70% भाग जल होता है। हाइड्रोजन के लिये पानी ही एकमात्र स्रोत है और शरीर की उपापचयी प्रक्रियाओं के लिये उपलब्ध ऑक्सीजन के विभिन्न स्रोतों में से एक है।

2. जल एक महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक कारक है जो कि पारितंत्र की संरचना एवं कार्यों को निर्धारित करता है। पृथ्वी के विभिन्न बायोम उन क्षेत्रों के विभिन्न तापमानों एवं अवक्षेपण पैटर्नों के फलस्वरूप हैं। वास्तव में दूसरे सभी तत्वों का चक्रीकरण जल पर ही निर्भर होता है। यह विभिन्न चरणों में उनके (तत्वों) परिवहन के लिये एक माध्यम की तरह कार्य करता है एवं पौधे अन्य जीवों के लिये पोषक तत्वों को ग्रहण करने हेतु एक विलायक माध्यम का कार्य करता है।

3. दुनिया के महासागरों पर वैश्विक ऊष्मण का वनों की तुलना में अधिक प्रभाव पड़ता है। जल में ऊष्मा अवशोषण की अत्यधिक क्षमता होती है, और अभी तक पृथ्वी की सतह का अधिकांश भाग जल से ढका हुआ है, वायुमंडल का तापक्रम काफी हद तक नियत रहता है। इसके साथ ही जलवायु में आने वाले परिवर्तन भी समुद्रों के प्रभाव से ही आते हैं, वे प्रकाश संश्लेषित पादप प्लवकों की एक बहुत बड़ी जनसंख्या को आश्रय देते हैं ताकि पृथ्वी पर अधिक प्रकाश संश्लेषण कर सकें। जैसा कि आपको याद होगा कि प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के बिना जीवन को आश्रय देने वाली ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में प्राप्त नहीं हो सकती है।

4. अलवण जलीय पारितंत्र के मुख्य स्रोत पेय जल, कृषि, उद्योग, सफाई के साथ-साथ अलवण जलीय मछलियाँ हैं। अलवण जल मनोरंजन के अवसर (तैराकी, राफटिंग, स्नोरकेलिंग) और परिवहन के साधन (जहाज, नाव, डोंगी इत्यादि) उपलब्ध कराता है। साथ-साथ अलवण जलीय पारितंत्र बहुत से जीवों (मछलियों, ऐम्फिबियनों) जलीय पौधे एवं अकशेरुकियों का घर भी होता है। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि पृथ्वी पर उपस्थित लगभग सभी ज्ञात मछलियों की प्रजातियों का 40% भाग अलवणीय पारितंत्र में मिलता है।

5. युगों-युगों से मानव जीविकापार्जन, मानव बस्तियों एवं अलवण जल संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर रहता आया है। बहुत सी पुरानी सभ्यताएँ नदियों के किनारे पर शुरू होकर वहीं पर समृद्ध होती चली गयी। सही समय पर अलवण जल की उपलब्धता एवं इसकी उपर्युक्त मात्रा एवं गुणवत्ता से किसी देश के साथ-साथ उसके कस्बों एवं शहरों की पारिस्थितिक स्वास्थ्य के लिये भी जैविक होता है। यह जल कृषि कार्य, घरेलू उपयोग एवं औद्योगिक कार्यों के लिये आवश्यक है। संसार भर में लगभग 70% पानी का उपयोग कृषि के लिये होता है और केवल 1.1% भाग घरेलू तथा नगरपालिका-आपूर्ति के लिये प्रयुक्त होता है एवं बाकी बचा हुआ भाग विभिन्न उद्योगों में प्रयोग किया जाता है।

चाहे हम कोई भी हों, या कहाँ पर रह रहे हैं, हम सभी किसी न किसी तरह से जल पर ही निर्भर रहते हैं। हमें स्वस्थ रहने के लिये, जल के जीवनदायी गुणों के लिये इसकी आवश्यकता है। यद्यपि, हमारे जीवन में अलवण जल संसाधनों के महत्त्व की बजाय हम इस संसाधन को स्वीकार करने की शुरूआत करें।

अप्रभावी रूप से प्रयोग करने एवं मानव प्रक्रियाओं द्वारा बहुत सारा जल व्यर्थ हो जाता है। समस्त विश्व में प्रति व्यक्ति अलवण जल की उपलब्धता कम होती जा रही है। पिछले दो दशकों से, जैसा पिछले दशक के दौरान बहुत सारे विकास कार्यों एवं अलवण जल संसाधनों के कुप्रबंधन के परिणामस्वरूप बहुत बड़ी मात्रा में पानी की कमी हुई है। जल की कमी न केवल फसल उत्पादन को बल्कि पर्यावरण की गुणवत्ता, वन्य जीवन एवं अन्य दूसरे जीवधारियों को भी प्रभावित करती है।

अलवण जल संसाधन पृथ्वी के जल चक्र का एक मूलभूत भाग है। आप वैश्विक जल चक्र के बारे में अगले भाग में जानकारी प्राप्त करेंगे।

पाठगत प्रश्न 27.2
1. पृथ्वी पर जीवन को नियमित रखने के लिये पानी के कोई दो महत्त्वपूर्ण उपयोग बताइए।
2- प्राचीन सभ्यताएँ नदियों के किनारों पर क्यों बसी होती थीं?
3. अलवण जल की कमी क्यों बढ़ती जा रही है? दो कारण लिखिए।

27.3 वैश्विक जल चक्र
अलवण जल मानव की आवश्यकताओं के लिये और प्राकृतिक पर्यावरण के रख-रखाव और पारितंत्र में एक लगातार चलने वाली प्रक्रियाओं के लिये जल की सभी प्रकार की अवस्थाओं (ठोस, द्रव एवं वाष्प) को एक तंत्र द्वारा आपूर्ति करती है जो जल चक्र (Hydrological Water Cycle) कहलाता है। यह चक्र सौर ऊर्जा के द्वारा चलाया जाता है। इस लगातार चलने वाले जल चक्र में वायुमंडल, भूमि एवं महासागरों के विभिन्न प्रक्रम चलते रहते हैं। वायुमंडल के भीतर क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाकार वायु गतियाँ जिसमें हवा, एक स्थान से दूसरे स्थान पर वाष्प का स्थानान्तरण शामिल होता है जहाँ पर बड़े पैमाने में धाराओं द्वारा महासागरों में पानी का स्थानान्तरण होता है।

जल चक्र में तीन प्रमुख प्रक्रम सम्मिलित किये गये हैं :-

i. उद्वाष्पन (Evaporation) एवं उद्वाष्पन - वाष्पोत्सर्जन (Evapotranspiration)
ii. अवक्षेपण (Precipitation) एवं
iii. सतही वाह (Surface runoff)

वायुमंडलीय जल, सतही जल एवं भूमिगत जल, ये सभी प्रकार के जल इस जल चक्र का भाग हैं। आइए इस बात को जानने की कोशिश करें कि कैसे जल इन क्षेत्रों के अंदर एवं बीच में ऊपर दिये गये प्रक्रमों के द्वारा चक्रित होता रहता है।

27.3.1 उद्वाष्पन एवं उद्वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन
पृथ्वी की सतह पर जल के सबसे बड़े भंडार के रूप में महासागर है। अध्ययनों से पता चलता है कि महासागरों, सागरों एवं अन्य जल स्रोतों जैसे झीलें, नदियाँ एवं जलधाराएँ करीबन 90% वाष्प को प्रतिदिन उद्वाष्पन के द्वारा वायुमंडल में पहुँचाती हैं। आप उद्वाष्पन शब्द से भली भांति परिचित हैं। यह गर्म करने पर द्रवीय जल का वाष्प या गैस रूप में होने वाला अवस्था परिवर्तन है। जैसा आप जानते हैं यह ऊष्मा सूर्य प्रदान करता है।

इसके साथ ही, जलवाष्प का कुछ भाग ऊर्ध्वपातन द्वारा वायुमंडल में प्रवेश करता है, एक ऐसी प्रक्रिया जिसके द्वारा पानी ठोस अवस्था अर्थात बर्फ से बिना द्रव के रूप में आये सीधे ही वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल गैस (वाष्प) में बदल जाता है। पौधे से भी वायुमंडल में पानी की लगभग 10% क्षति होती है।

वाष्पोत्सर्जन के दौरान पानी को केशिकात्व प्रक्रिया द्वारा मृदा से ले जाया जाता है और पौधे की जड़ों द्वारा मृदा से परासरण द्वारा स्थानान्तरित होता है और अंत में पत्तियों द्वारा ले लिया जाता है। जबकि वाष्पोत्सर्जन एवं उद्वाष्पन प्रक्रियाओं को अलग करना बड़ा ही मुश्किल है, सामान्यतया उद्वाष्पन-वाष्पोत्सर्जन (Evaporation-evapotranspiration) को उद्वाष्पन एवं वाष्पोत्सर्जन एवं वाष्पोत्सर्जन की संयुक्त प्रक्रिया के रूप में वर्णन किया जाता है। इन तीनों प्रक्रियाओं के साथ-साथ होने के कारण वायुमंडल में सम्पूर्ण जल प्राप्त कराती है।

27.3.2 अवक्षेपण (Precipitation)
जब पानी निम्न वायुमंडल में प्रवेश करता है, तब उठती हुई वायु धाराओं के द्वारा ऊपर की ओर ले जायी जाती हैं। वायुमंडल में ऊँचाई पर जाने के बाद यह वायु ठंडी हो जाती है और जलवाष्प का पकड़े रखने की उसकी क्षमता क्षीण हो जाती है। इसके फलस्वरूप अतिरिक्त पानी की मात्रा संघनित हो जाती है अर्थात वाष्प द्रव में बदल जाती है और बादल की बूँदे बन जाती हैं। ये बूँदें अंततः आकार में बढ़ती जाती है और अवक्षेपण का कारण बनती है। चार प्रमुख प्रकार के अवक्षेपणों के नाम बूंदाबांदी, वर्षा, बर्फ और ओले हैं। इस प्रकार अधिकतम जल समुद्र में वापस लौट आता है और भूमि पर वर्षा, बर्फ एवं ओले इत्यादि के रूप में वापिस लौट आता है।

27.3.3 सतही प्रवाह (Surface runoff)
जब अवक्षेपण भूमि पर गिरने लगता है, तब यह बहुत से मार्गों से होकर गुजरता है। उसमें से कुछ भाग वाष्प बनकर वायुमंडल में वापस चला जाता है, कुछ भाग भूमि में चला जाता है और भूमिगत जल के रूप में एकत्रित हो जाता है। भूमिगत जल मृदा में दो पर्तों के रूप में पाया जाता हैः

1. वातन क्षेत्र (Zone of aeration) जहाँ पर खाली स्थान पानी से पूरी तरह भर जाते हैं।

2. संतृप्ति क्षेत्र (Zone of Saturation) जहाँ पर खाली स्थान पानी के साथ-साथ हवा से भर जाते हैं। इन दोनों क्षेत्रों के बीच की सीमा (सतह) को जल तालिका (Water table) कहा जाता है जो कभी उठती है या गिरती है जैसे-भूमिगत जल बढ़ता या घटता रहता है।

इस जल का निकास परोक्ष या अपरोक्ष रूप में नदियों और जल धाराओं के रास्ते समुद्र में मिल जाता है। शेष जल सतही बहाव के द्वारा धाराओं और नदियों में तथा अंततः समुद्र में मिल जाता है या फिर अन्य जलस्रोतों में मिल जाती हैं जहाँ से पुनः यह चक्र शुरू हो जाता है।

जल चक्र की विभिन्न अवस्थाओं पर मनुष्य एवं अन्य जीव अवरोध उत्पन्न करते हैं और अपने उपयोग के लिये इसमें से पानी ले लेते हैं। जैसे पानी लगातार वाष्प बनता, संघनित एवं अवक्षेपित होता रहता है, वाष्पन की दर और अवक्षेपण की दर वैश्विक स्तर पर समान होती है और जलवाष्प की कुल मात्रा वायुमंडल में लगभग सभी समयों पर समान होती है लेकिन महाद्वीपों पर वाष्पन अवक्षेपण से कम होता है जबकि समुद्रों (महासागरों) के ऊपर अवक्षेपण में परिवर्तन अधिक होता है।

27.3.4 जल-संतुलन एवं जल-संग्रहण
जल चक्र में जल का अनुमानित कुल आयतन लगभग 1,384 मिलियन किमी2 है। वैश्विक जल चक्र में बहुत से जटिल पथ एवं संग्राहक होते हैं। किसी भी समय महासागरों एवं समुद्रों में अधिकतम जल एकत्र होता है। जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि अलवण जल का अधिकतम भाग बर्फ और ध्रुवीय शिखरों एवं हिमशिखरों के रूप में भंडारित रहता है। यदि सारी की सारी बर्फ पिघल जाये तो उससे निकले हुए जल से दुनिया भर की नदियाँ 1000 सालों तक लगातार बहती रहेंगी!

 

 

तालिका 27.1: जल चक्र में पानी के प्राकृतिक भंडार

भंडार

प्रतिशत (%)

महासागर

97.71

हिमच्छद (हिमशिखर)

1.9

भूमिगत जल

0.5

मृदा-वाष्प (जल)

0.01

झीलें एवं नदियाँ

0.009

वायुमंडल

0.0001


यद्यपि नदियों की जल चक्र में एक जीवंत भूमिका होती है, फिर भी ये जल भंडारण की मुख्य स्रोत नहीं होती हैं जिस तरह से समुद्र होते हैं। वे भंडार की बजाय वाहिका होती हैं। झीलें नदियों की तुलना में अधिक जल भंडारण करती हैं और काफी लंबे समय के लिये करती हैं। सभी अलवण जल का दो तिहाई भाग विश्व की 250 बड़ी झीलों की सतह पर भंडारित होता है।

जल इन्हीं भंडारों के द्वारा प्रवाहित होता रहता है और यह प्रवाह जल-चक्र में गति करता रहता है, यद्यपि विभिन्न भंडारों में विभिन्न समयों के लिये जल एकत्र रहता है। महासागर, हिम शिखर, और ग्लेशियर लंबे समय तक रहने वाले भंडार हैं जबकि नदियाँ एवं वायुमंडल कम समय तक रहने वाले भंडार हैं। सापेक्षिक रूप से जल का एक छोटा सा भाग अतिशीघ्रता से पुनःचक्रित होता है और जल का अधिकतर भाग लंबे समय तक ऐसे ही रहता है।

 

 

 

 

तालिका 27.2 : वैश्विक जल चक्र भंडारण समय

तालिका

प्रारूपिक ठहराव समय

पौधे एवं जंतु

1 सप्ताह

वायुमंडल

8-10 दिवस

नदियां

2 सप्ताह तक

मृदा

2 सप्ताह से लेकर एक वर्ष तक

झीलें, जलाशय, आर्द्रभूमि

वर्षों तक

भूमिगत जल

दिनों से लेकर हजारों वर्षों तक

बर्फ

हजारों वर्षों तक

महासागर

हजारों वर्षों तक


पाठगत प्रश्न 27.3
1. सतही प्रवाह किसे कहते हैं?
2. उन तीन भंडारों का नाम बताइए जिनमें पानी लंबी अवधि तक भंडारित रहता है।
3. किसी जीवधारी के शरीर में पानी कितने समय तक भंडारित रहता है?

24.7 जल-चक्र में होने वाले प्रभावी परिवर्तन
मानव प्रक्रियाएँ वैश्विक जल-चक्र में कई तरीकों से या तो जानबूझकर या फिर दुर्घटनावश बदलाव कर सकती हैः

1. महासागरों एवं महाद्वीपों पर जल-वाष्प की गति को वायु प्रदूषण द्वारा बदला जा सकता है। जिसका कारण वैश्विक ऊष्मन हो सकता है। अवक्षेपण के तरीकों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन अनिवार्य हैं जैसे अवक्षेपण तापमान पर निर्भर करता है।

2. उद्वाष्पन दर एवं पैटर्न (प्रारूप) में बदलाव भूमि की सतही दशाओं में परिवर्तन का कारण होता है। उदाहरण के लिये, शहरीकरण या जलाशयों के विकास से उद्वाष्पन की दर प्रभावित होती हैं।

3. नदी चैनलों की लम्बाई या घनत्व में बढ़ाव या घटाव परोक्ष रूप से नदी के प्रवाह को बदल सकती है।

4. भूमिगत जल की आधिक्य मात्रा बाहर निकालने के कारण प्रभावित हो सकता है जो कि जल तालिका को नीचे करता है या जलाशय और बांधों के निर्माण के कारण अंतःस्रवण बढ़ने के द्वारा जल-प्लावन होता है।

5. वनोन्मूलन, फसलीकरण या वनीकरण से वनस्पति पैटर्न बदलाव प्रवाह जल का बड़ा प्रभाव महत्त्वपूर्ण हो सकता है।

पाठगत प्रश्न 27.4
1. महासागर और महाद्वीपों के पार जल वाष्प की गति किस प्रकार भूमंडलीय तापन के कारण बदलती है?
2. नदी प्रवाह कैसे बदल सकता है?
3. जल तालिका में कमी का एक कारण बताइए।

आपने क्या सीखा
1. जल निश्चय ही पृथ्वी ग्रह पर एक सबसे महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक नवीकरणीय संसाधन हैं।

वैश्विक जल चक्रवैश्विक जल चक्र 2. जल का 97.41% भाग पृथ्वी पर खारे जल के रूप में महासागरों में पाया जाता है। पृथ्वी के अलवणीय जल का लगभग 2% भाग ठोस के रूप में पाया जाता है, हिमच्छद शिखर और हिमच्छद के रूप में बंद रहता है। यह अलवण जल झीलों, नदियों, जलधाराओं, तालाबों और भूमि के अंदर पाया जाता हैं।

3. जल जीवन के लिये आवश्यक है और प्राचीन काल से ही मानव ने अलवण जल पारितंत्र पर पीने के पानी, कृषि, उद्योगों, सफाई के साथ-साथ भोजन के लिये भरोसा रखते थे।

4. पानी की बहुत बड़ी मात्रा का प्रयोग अकुशलतापूर्वक और मानव की प्रक्रियाओं द्वारा प्रदूषित होता है और अलवण जल की प्रतिव्यक्ति उपलब्धता सारे विश्व में कम होती जा रही है।

6. अलवण जल संसाधन पृथ्वी के जल चक्र का एक मूलभूत भाग बनाता है।

7. जल चक्र में जल का पुनः चक्रण वायुमंडल, भूमि और महासागरों में लगातार चलता है।

8. चक्र की आधारभूत संरचना साधारण होती है। जल का उद्वाष्पन महासागरों, नदियों, झीलों एवं वनस्पति से होता है जो वायुमंडलीय वाष्प का भाग होता है। भूमंडलीय हवाएँ पृथ्वी की सतह पर इन्हें वितरित कर देती हैं। संघननता के कारण बादल बनते हैं और अवक्षेपण इसे वापस सतह पर ला देता है जहाँ पर ये उद्वाष्पित होकर पुनः भूमंडलीय जल चक्र में पुनः प्रवेश कर जाते हैं।

9. मानव प्रक्रियाओं के कारण भूमंडलीय जल चक्र में विभिन्न तरीकों से बदलाव आ सकता है।

पाठांत प्रश्न
1. जल चक्र कैसे चलता है?
2. हिमच्छद शीर्ष पर जल किस रूप में उपस्थित रहता है?
3. आदिमानव बस्ती कहाँ पर पायी जाती है?
4. जीवधारी जल के बिना जीवित नहीं रह सकते? इस तथ्य का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
5. जल चक्र में जल प्रवाह के विभिन्न गतियों का स्वच्छ चित्र बनाइये।
6. जल चक्र में प्रयुक्त विभिन्न पदों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
7. जल चक्र में महासागरों की क्या भूमिका है, बताइए।
8. अवक्षेपण क्या होता है? यह कब बनता है?
9. उन तीन तरीकों को बताइए जिनके द्वारा उपयोगी जल की कमी होती जा रही है।
10. जल के भूमण्डलीय परिवहन का क्या अर्थ है?

पाठगत प्रश्नों के उत्तर
27.1

1. 3/4 भाग से अधिक
2. 1000 पीपीएम से कम
3. सीमित

27.2
1. हाइड्रोजन की उपापचयी स्रोत/जीवद्रव्य का घटक/कृषि के लिये संसाधन/वायुमंडलीय तापमान को सीमित या नियत रखना है।
2. जल आसानी से उपयोग/सिंचाई के लिये उपलब्ध होता है।
3. जल व्यर्थ किया जाता है/अकुशलतापूर्वक उपयोग करना/प्रदूषित करना (कोई भी एक)

27.3
1. अवक्षेपण भूमि पर पहुँचता है और विभिन्न रास्तों पर यात्रा करता है।
2. महासागर, हिमच्छद शीर्ष, हिमशिखर
3. 7 दिन

27.4
1. अवक्षेपण तरीकों में बदलाव होना।
2. जल धाराओं/नदियों की धाराओं की लंबाई/ घनत्व का बढ़ना/ घटना।
3. अत्यधिक पानी का एकत्र होना।

 

 

 

 

 

TAGS

describe the distribution of water on earth in hindi, distribution of water on earth ppt in hindi, distribution of land and water on earth in hindi, distribution of earth's water worksheet answers in hindi, distribution of water on earth pie chart in hindi, how much salt water is on earth in hindi, how much of earth's water is freshwater in hindi, percentage of drinkable water on earth in hindi, Hydrological Water Cycle in hindi, hydrological cycle diagram in hindi, water cycle explanation in hindi, water cycle steps in hindi, water cycle diagram with explanation in hindi, hydrologic cycle processes in hindi, simple water cycle in hindi, hydrological cycle pdf in hindi, water cycle for kids in hindi, What is the process of evapotranspiration? in hindi, What is actual evapotranspiration? in hindi, What is plant evapotranspiration? in hindi, What factors affect evapotranspiration? in hindi, evapotranspiration calculation in hindi, why is evapotranspiration important in hindi, evapotranspiration measurement in hindi, evapotranspiration pdf in hindi, factors affecting evapotranspiration in hindi, importance of evapotranspiration in hindi, evapotranspiration significance in hindi, evapotranspiration in plants in hindi, what is precipitation in geography in hindi, precipitation definition science in hindi, types of precipitation in hindi, precipitation in hindi, precipitation definition weather in hindi, precipitation synonym in hindi, precipitation examples in hindi, precipitation meaning in urdu in hindi, What is runoff in irrigation? in hindi, What does surface runoff contribute to? in hindi, What is the difference between surface runoff and infiltration? in hindi, How do you reduce surface runoff? in hindi, subsurface runoff in hindi, types of runoff in hindi, interesting facts about surface runoff in hindi, groundwater runoff in hindi, surface runoff harvesting images in hindi, factors affecting runoff in hindi, runoff water cycle in hindi, impervious surface runoff in hindi, evapotranspiration calculation in hindi, factors affecting evapotranspiration in hindi, evaporation and evapotranspiration difference in hindi, importance of evapotranspiration in hindi, crop evapotranspiration in hindi, evapotranspiration vs evaporation in hindi, potential evapotranspiration in hindi, factors affecting evapotranspiration pdf in hindi, What does zone of saturation mean? in hindi, what is zone of saturation in groundwater? in hindi, What is the difference between saturated and unsaturated zones of groundwater? in hindi, What is aeration in water treatment process? in hindi, zone of aeration diagram in hindi, zone of aeration definition in hindi, difference between zone of aeration and zone of saturation in hindi, zone of aeration quizlet in hindi, zone of aeration synonym in hindi, vadose zone in hindi, capillary zone in hindi, zone of aeration in a sentence in hindi, What is the water in the zone of saturation called? in hindi, What is the zone of saturation and aeration? in hindi, What is the saturated zone of groundwater? in hindi, What is the zone of permanent saturation? in hindi, zone of saturation diagram in hindi, zone of saturation in a sentence in hindi, zone of saturation and aeration in hindi, zone of saturation examples in hindi, zone of saturation facts in hindi, unsaturated zone in hindi, another name for the zone of saturation is in hindi, unsaturated zone definition in hindi, What is the water table? in hindi, What is water table and water level? in hindi, What is an example of a water table? in hindi, Why is the water table important? in hindi, water table science in hindi, water table geology in hindi, water table geography in hindi, water table diagram in hindi, water table definition geography in hindi, water table example in hindi, water table depth in hindi, the water table is quizlet in hindi

 

 

 

Posted by
Get the latest news on water, straight to your inbox
Subscribe Now
Continue reading