जल के बिना है सूना है जलमहल

Jal mahal
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धार जिले के सादलपुर में स्थित है अद्भुत जलमहल

. धार। धार जिले के सादलपुर स्थित जलमहल आज भी उसके नाम को लेकर सार्थक है। वजह यह है कि जब बारिश में बागेड़ी नदी उफान पर आती है तो उसमें पानी भरता है। इस मनोरम दृश्य को देखने के लिये हजारों लोग जमा हो जाते हैं। कहा यह भी जा सकता है कि पानी के बिना यह इमारत अधूरी है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित यह धरोहर साल भर सूनी रहती है। लेकिन जैसे ही बारिश के दिनों में इसमें जल भरता है वैसे ही वह सार्थक हो उठती है। इसे पानी की उपलब्धता के दौर में बनाया गया था। जबकि नदियों में 12 माह पानी रहा करता था। अब हालात बदल चुके हैं। कहीं-न-कहीं जल महल से पानी की चिन्ता भी सामने आती है।

धार जिले की छोटी-छोटी नदियों में बागेड़ी नदी भी शामिल है। बागेड़ी नदी पर कभी मुगलकाल में जलमहल बनाया गया था। लाल पाशाओं से बना हुआ यह जलमहल कभी लोगों के लिये सराय के तौर पर इस्तेमाल होता था। महू-नीमच राष्ट्रीय राजमार्ग के फोरलेन पर स्थित यह जलमहल दो छावनियों के बीच का पड़ाव माना जाता है।

.नीमच और महू छावनी के बीच स्थित ग्राम सादलपुर में अंग्रेजों के समय से लेकर अन्य कालों में लोगों के ठहरने के लिये तथा सुकून के पल के लिये यह जगह महत्त्वपूर्ण थी। हालांकि प्रमाणिक तौर पर इसके इतिहास को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं है। बताया जाता है कि ईसा पूर्व 1500 से 511 के बीच इसे मांडू के सुल्तान नसीरुद्दीन खिलजी ने बनवाया था।

इसके एक स्तम्भ पर लिखा है कि 1589 में दक्षिण की ओर जाते समय अकबर बादशाह ने भी विश्राम किया था। माना जाता है कि इसमें 12 माह जल होने से जलमहल की सार्थकता और उसके सौन्दर्य के प्रति यहाँ से गुजरने वाले महान लोगों के लिये यह जगह आकर्षण का केन्द्र होती थी।

पानी के बिना सूना है सबकुछ


धीरे-धीरे नदियों की दशा बदली है। इसी कारण से बागेड़ी नदी भी अब बमुश्किल बारिश के 30-40 दिनों में ही जिन्दा रहती है। हालांकि बागेड़ी नदी आगे जाकर एक बड़ा स्वरूप ले लेती है। लेकिन जलमहल क्षेत्र की ये बागेड़ी नदी अब विशेष महत्त्व तभी रखती है जब उसमें पानी हो। लगातार तेज बारिश के बाद इस नदी में बाढ़ का पानी आता है।

अधिक मात्रा में पानी आने पर ही जलमहल में पानी प्रवेश करता है। जलमहल को लेकर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग ने विशेष रूप से पर्यटन को बढ़ावा देने के प्रयास किये हैं किन्तु पानी के बिना यहाँ सबकुछ सूना है। मानसून होते ही पर्यटक आते हैं और उसके बाद सबकुछ सूनसान हो जाता है।

जल महल

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