जल पर मिल्कियत देशी-विदेशी कम्पनियों की

‘वीवेंडी वाटर’ 23 करोड़ रु. लगाकर 10 एमजीडी क्षमता बढ़ाएगी। बदले में 10 साल तक के लिए संयंत्र की मालिक होगी। दिल्ली जल बोर्ड ‘वीवेंडी वाटर’ से पानी खरीदकर लोगों को सप्लाई करेगा। विश्व में पानी के बाजार पर 10 बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का एकाधिकार हैं। इनमें प्रमुख हैं- फ्रांस की विवेंडी एनवायरमेंट, स्वेज लियोनेज और सौर, जर्मनी/इंग्लैण्ड की आईडब्ल्यू.ई/टेम्स वाटर, इंग्लैण्ड की स्वेर्न ट्रेन्ट, अमरीका की एंग्लेकन वाटर, बैश्टेल, मोनसांटो और एनरॉन।

भारत में पानी के व्यापार में लगी बहुराष्ट्रीय म्पनियाँ


1. वीवेंडी एनवायरनमेंटः भारत में विवेंडी वाटर और विवेंडी यूनिवर्सल के नाम से कार्यरत हैं। विवेंडी यूनिवर्सल फार्चून ग्लोबल पत्रिका की 500 कम्पनियों की सूची में 91वें स्थान पर है। विवेंडी ने बंगलौर में स्वेज के साथ मिलकर बेंगलौर वाटर सप्लाई एण्ड सीवरेंज बोर्ड के साथ 2000 में पानी सप्लाई का समझौता किया जो अब तमाम भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा है। जमशेदपुर में टाटा स्टील के स्वर्णरेखा और खारकई नदियों को जोड़कर जमशेदपुर के लिये पानी आपूर्ति और प्रदूषित जल की सफाई का ठेका लिया। आगरा में विश्वबैंक द्वारा वित्त पोषित जल शुद्धीकरण प्लांट बनाने का ठेका लिया। कोलकाता में कोलकाता महापालिका के साथ जल आपूर्ति सुधारने का ठेका लिया। चेन्नई में चेन्नई वाटर बोर्ड की सलाहकार बनकर जल आपूर्ति और गन्दे जल के ट्रीटमेंट का ठेका। दिल्ली में वजीराबाद प्लांट लिया, विशाखापट्टनम में स्टील प्लांट से 184 एमएलडी पानी के ट्रीटमेंट का ठेका लिया।

वजीराबाद जल संयंत्र फ्रांसीसी कम्पनी ‘वीवेंडी वाटर’ को


दिल्ली स्थित वजीराबाद जल संयंत्र को ‘वीवेंडी’ वाटर को दिया गया है। वजीराबाद जल शोधन संयंत्र की कुल क्षमता 120 एम.जी.डी. है। ‘वीवेंडी वाटर’ 23 करोड़ रु. लगाकर 10 एमजीडी क्षमता बढ़ाएगी। बदले में 10 साल तक के लिए संयंत्र की मालिक होगी। दिल्ली जल बोर्ड ‘वीवेंडी वाटर’ से पानी खरीदकर लोगों को सप्लाई करेगा।

मजे की बात यह है कि जल बोर्ड के अधिकारियों ने 10 एमजीडी क्षमता बढ़ाने के लिए कीमत 7 करोड़ रु. आँकी थी। यह बात पिछले वर्ष की है। जो काम हमारे अधिकारी 7 करोड़ रु. में करने को तैयार थे उसके लिए ‘वीवेंडी’ 23 करोड़ रु. खर्च करेगी।

वजीराबाद जल संयंत्र के वरिष्ठ इंजीनियरों ने जल संयंत्र को निजी हाथों में सौंपने पर आपत्ति की। वरिष्ठ इंजीनियरों का कहना है कि संयंत्र के संचालन के लिए जब हमारे पास योग्य कर्मचारी और सक्षम अधिकारी मौजूद हैं तो फिर निजीकरण की क्या जरूरत है?

पर सरकारी अधिकारियों ने वरिष्ठ इंजीनियरों के दावों की उपेक्षा करते हुए मंजूरी दे दी। बल्कि ‘वीवेंडी’ को मंजूरी निश्चित मिले, इसके लिए कई झूठ भी बोले गए। दिल्ली कैबिनेट को भी गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए। वजीराबाद जल संयंत्र की क्षमता 120 एम.जी.डी. है, इंजीनियरों का दावा है कि संयंत्र पूरी क्षमता से काम कर रहा है जबकि ‘वीवेंडी’ का कहना है कि नहीं, संयंत्र में मात्रा 102 एम.जी.डी. पानी का शोधन हो रहा है। अधिकारियों ने ‘वीवेंडी’ की बात सच मान ली। अधिकारियों का तर्क है कि संयंत्र में फ्लोमीटर नहीं लगा है, जिससे पानी की सही माप संभव नहीं है। इसलिए इंजीनियरों के दावों को अधिकारी गलत ठहराते हैं। पर जब फ्लोमीटर नहीं लगता है ‘वीवेंडी’ के दावे को कैसे सच माना जा सकता है? इसका अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं है।

जिस कम्पनी को यह संयंत्र सौंपा गया है वह कम्पनी है ‘वीवेंडी वाटर’ जो ‘वीवेंडी’ ग्रुप की शाखा कम्पनी है। लेकिन कैबिनेट को भेजे गए नोट में कम्पनी की विशालता को दिखाने के लिए पूरी ‘वीवेंडी’ ग्रुप का आंकड़ा जोड़ा गया है। आंकड़े के हिसाब से ‘वीवेंडी’ ग्रुप के कुल कर्मचारियों की संख्या दो लाख 80 हजार है और सालाना कारोबार 40 अरब डॉलर बताया गया है जबकि ‘वीवेंडी वाटर’ के वेबसाइट पर कर्मचारियों की संख्या मात्रा 70 हजार और सालाना कारोबार 6 अरब डॉलर का आंकड़ा दर्ज है।

तिरुपति वाटर सप्लाई एण्ड सीवरेज प्रोजेक्टः- इसको पाने के लिए कई विदेशी कम्पनियाँ दौड़ में शामिल हैं।
1. कुदांग इंजीनियरिंग एवं कन्सट्रक्सन कम्पनी-कोरिया,
2. मलेशिया की ह्यूम इंडस्ट्रीज
3. यूके. की बिवेटर इंटरनेशनल
4. भारत का महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा, यू.के. की नार्थ वेस्ट और अमरीकन वीचेल कारपोरेशन के साथ है।

बंगलौर वाटर सप्लाई प्रोजेक्टः- इस परियोजना के द्वारा कर्नाटक सरकार 500 एमएलडी पानी की व्यवस्था करेगी। इस परियोजना को प्राप्त करने के लिए मॉट मैकडोनेल्ड और के. वाटनर जैसी कम्पनियाँ लगी हुई हैं।

2. स्वेज लियोनेजः- स्वेज का जल उपक्रम ONDEO तथा सफाई सेवा उपक्रम SITA के नाम से है। अप्रैल 2001 के बाद से स्वेज के सभी जल उपक्रम ONDEO के नाम से है। इसके विभिé उपक्रमों में शामिल है- ONDEO Services, ONDEO Nalco, ONDEO Degremont, और ONDEO Industrial Solutions.

स्वेज डेग्रोमो का दिल्ली में सोनिया विहार प्लांट - दिल्ली के 30 लाख नागरिकों के लिए प्रतिदिन 630 करोड़ लीटर पेयजल की आपूर्ति करने के लिये 2 अरब रुपए के ठेके पर सोनिया विहार जल संयंत्र स्वेज डेग्रेमो (ONDEO Degremont) को दिया गया है। कम्पनी इस संयंत्र का डिजाइन निर्माण करेगी और 10 वर्षों तक चलायेगी। मुम्बई के बाद, स्वेज को दिल्ली में पहली बार इतना बड़ा प्लांट मिला है।

इस प्लांट के लिये पानी 30 किमी. दूर मुरादनगर से 3.25 व्यास के पाइप लाइनों द्वारा आयेगा। मुराद नगर में अपर गंगा कैनाल से यह पानी लिया जायेगा। यह कैनाल दिल्ली जल बोर्ड बनायेगा। अपर गंगा कैनाल के पानी से अभी तक आसपास किसान खेती के लिये पानी लेते आये हैं अब प्रतिदिन 630 करोड़ लीटर सोनिया विहार संयंत्र के लिये ले लिया जायेगा। अपर गंगा कैनाल को भी सीमेन्ट से बनाने का कार्यक्रम है जिससे पानी जमीन में न छीजे और सोनिया विहार को पूरा पानी मिले।

दिल्ली जल बोर्ड ने सोनिया विहार प्लांट के लिये जमीन उपलब्ध कराई है। बिजली भी दिल्ली जल बोर्ड देगा। पानी अपर गंगा कैनाल से मिलेगा जिसकी कोई कीमत कम्पनी को नहीं देनी पड़ेगी। कम्पनी केवल पानी का शुद्धीकरण करेगी और फिर इसे दिल्ली जल बोर्ड को बेच देगी जो ऊँची दरों पर नागरिकों को यह जल उपलब्ध करायेगा। पाइपलाइन बिछाना, बिजली देना, संयंत्र के लिये जमीन उपलब्ध कराना, ये सारे खर्च सरकारी पैसे से होंगे और मुनाफा कमायेगी स्वेज डेग्रोमो।

पानी उपलब्ध न कराने पर दिल्ली जल बोर्ड को फ्रांसीसी कंपनी को रु. 50,000 रोज हर्जाना भरना होगा


दिल्ली के बहुचर्चित सोनिया विहार में जलापूर्ति की अनिश्चितता बनी रहने से दिल्ली जल बोर्ड को हर महीने कई लाख रुपए हर्जाने के रूप में स्वेज डेग्रोमो को देने पड़ेंगे।

दिल्ली जल बोर्ड की खबर के अनुसार सोनिया विहार परियोजना जून 2004 तक पूरी हो भी जाय, पर टेहरी बांध से पानी की उपलब्धता संभव नहीं लगती जिससे प्रतिदिन 140 मिलियन गैलन वाला संयंत्र चालू हो सके।

यदि सोनिया विहार में पानी शुद्धिकरण संयंत्र पूरा हो जाय और उसे चालू करने के लिए पानी उपलब्ध न कराया गया तो बतौर हर्जाने के दिल्ली जल बोर्ड को रोज 50,000 रुपए फ्रांसीसी कंपनी स्वेज देग्रेमो को भरने पड़ेंगे।

केन्द्र सरकार के अधिकारियों ने डेग्रेमो से समझौते में हर्जाने के प्रावधान पर अपनी आपत्ति जताते हुए कहा है कि दिल्ली जल बोर्ड ने ठीक से होमवर्क नहीं किया है। जब पानी और बिजली डेग्रोमों को मुफ्त दी जा रही है, यहां तक कि इंजीनियरी और रखरखाव की कीमत भी दिल्ली जल बोर्ड वहन करेगा तब हर्जाने की गुंजाइश कहां रहती है। अगर डेग्रोमों कंपनी पूरी क्षमता पर संयंत्र में पानी का शुद्धीकरण न कर पाये तो उसको जो हर्जाना भरना पड़ेगा, वह बहुत कम है।

इस बीच उत्तरांचल सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि उनके प्रदेश पर सोनिया विहार परियोजना को इस साल के जून महीने तक पानी देने की कोई बंदिश नहीं है। अभी बांध पूरा नहीं हुआ है इसलिए पानी देना मुश्किल होगा। यदि उत्तरांचल पानी देता भी है तो वह अपने लोगों की कीमत पर देगा।

बैश्टेलः बैकटेल एण्टर प्राइजेज दुनिया की सबसे बड़ी निर्माण कम्पनियों में एक है। 140 देशों में इसकी लगभग 19,000 परियोजनाएं चल रही हैं। पूरी दुनिया में 200 जल शोधन परियोजना इस कम्पनी के हाथ में है। ये परियोजनाएं संयुक्त उपक्रमों (Joint Ventures) के रूप में चल रही है। इस कम्पनी की सबसे बदनाम परियोजना बोलिविया में पानी के निजीकरण को लेकर थी जिसे व्यापक जन विरोध के कारण छोड़ना पड़ा। भारत में बैश्टेल इण्डिया लि. के नाम से इस कम्पनी ने तमाम संयुक्त उपक्रम लगाये हैं। डाभोल बिजलीघर, टाट बिजलीघर, औरैया का गैल प्लांट, बरौनी में इण्डियन आयल कम्पनी, रिलायंस पेट्रोकेमिकल्स, गुना का गैल प्लांट, मुम्बई के नेवल डाकयार्ड, मंगलौर रिफाइनरी, इफको आवला, हिन्दुस्तान फर्टिलाइजर्स नामरूप, भेल ओ.एन.जी.सी. और एन.डी.डी.बी. जैसे प्रतिष्ठानों में विभिन्न किस्म के जल आधारित कार्य बेश्टेल इण्डिया लि. के पास है।

कोकाकोला एवं पेप्सी कोला - इन दो कम्पनियों के लगभग 87 बाटलिंग प्लांट देश भर में हैं जो प्रतिदिन 15 करोड़ लीटर के लगभग पानी भूमि के नीचे से दोहन कर रहे हैं। केरल के पलक्कड़ जिले में प्लाचीमाड़ा में स्थित कोकाकोला का बाटलिंग प्लांट ही लगभग 1.5 करोड़ लीटर पानी खींच रहा था जिससे भूमिगत जल का सफाया हो गया था और क्षेत्रा भयंकर सूखे की चपेट में आ गया। व्यापक जन विरोध को देखते हुए अब केरल सरकार ने इसका प्लांट बन्द करवा दिया है।

पेप्सीकोकोला और कोकाकोला के एक्वाफिना और किनले ब्रांड से बोतल बन्द पानी देश भर में बिक रहा है। कितना बिक रहा है इसका अन्दाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है। कि केवल वर्ष 2000 में इन्दौर शहर में इन दो कम्पनियों की 33 लाख बोतल और 14 लाख जार बिके। 1 लीटर की बोतल 10 रुपये में और 20 लीटर का जार 50 रुपये में बिका। यानि वर्ष भर में 33 करोड़ की बोतल और 7 करोड़ रुपये के जार बिके। कुल 10.3 करोड़ रुपये का कारोबार एक शहर इन्दौर में हुआ, देश में कितना होगा अनुमान लगाया जा सकता है। 5 महानगरों और छोटे शहरों और कस्बों को छोड़ दें तो 56 शहर इन्दौर के आकार के हैं देश भर में। इन कम्पनियों द्वारा पानी के नाम पर की जा रही लूट का एक अन्दाजा लगाया जा सकता है।

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