जल संरक्षण: आज की जरूरत

31 Jul 2012
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जल संरक्षण विषय पर एक दिवसीय सेमीनार की विस्तृत रिपोर्ट



दिनांक: 26 जुलाई (गुरूवार), 2012
स्थान: कॉन्फ्रेंस हॉल, मेरठ विकास प्राधिकरण, मेरठ
मेरठ विकास प्राधिकरण में आयोजित की गई वर्षाजल संरक्षण पर सेमीनार
प्राधिकरण ने उठाया मेरठ में जल संरक्षण का बीड़ा
वर्षाजल संरक्षण को बढ़ावा देने हेतु उठाए जाएंगे महत्वपूर्ण कदम

वर्षाजल संरक्षण सेमीनार को संबोधित करते मेरठ के मंडलायुक्त मृत्युंजय कुमार नारायणवर्षाजल संरक्षण सेमीनार को संबोधित करते मेरठ के मंडलायुक्त मृत्युंजय कुमार नारायणमेरठ विकास प्राधिकरण द्वारा भूजल सप्ताह के तहत आज प्राधिकरण के सभागार में वर्षाजल संरक्षण: आज की जरूरत विषय पर एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन किया गया। इस सेमीनार में मुख्य अतिथि मण्डलायुक्त, मेरठ मृत्युंजय कुमार नारायण रहे। इसके अलावा मुख्य वन संरक्षक, वन संरक्षक, डीएफओ व सीइओ कैण्ट बोर्ड, ने भी भाग लिया। इसके अतिरिक्त भूगर्भ जल विभाग, सिंचाई विभाग, जेएनएनयूआरएम व आरइएस विभागों के इंजीनियर्स, आर्केटेक्ट, बिल्डर्स, समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि व रेजीडेंट वेलफेयर सोसायटी के पदाधिकारियों सहित मेरठ विकास प्राधिकरण के अभियंताओं ने भी भाग लिया।

सेमीनार का प्रारम्भ सभी आगंतुकों के परिचय से हुआ। इसके पश्चात मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष तनवीर जफर अली ने विषय की उपयोगिता व महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह सेमीनार प्राधिकरण द्वारा वर्षाजल संरक्षण के कार्य को मेरठ में बढ़ावा देने के उद्देश्य से बुलाई गई है। प्राधिकरण लगातार इस कार्य को बढ़ावा दे रहा है और इसमें और अधिक तेजी लाने का पक्षधर है। ऐसे में सभी के साथ मिल बैठकर हम यह तय करना चाहते हैं कि इस कार्य को आगे कैसे बेहतर ढंग से बढ़ाया जाए। इसमें समाज का सहयोग अतिआवश्यक है। उन्होंने बताया कि प्राधिकरण द्वारा जिन भवनों पर भी वर्षाजल संरक्षण किया गया है उनका सर्वे करा लिया गया है तथा शीघ्र ही उनको ठीक कर दिया जाएगा।

इसके पश्चात वर्षाजल संरक्षण की महत्ता व उसकी तकनीक पर 30 मिनट की एक डाक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। इस फिल्म के माध्यम से वर्षाजल संरक्षण के प्रत्येक पहलू को समझने में सभी को मदद मिली।

तत्पश्चात नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन त्यागी द्वारा वर्षाजल संरक्षण पर एक प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत किया गया। इसमें वर्षाजल संरक्षण की महत्ता, उसकी तकनीक, लागत व उसके लाभों की विस्तार से जानकारी दी गई। प्रस्तुतिकरण के अंत में वर्षाजल संरक्षण को बढ़ावा देने हेतु कुछ सुझाव भी प्राधिकरण को दिए गए। दिए गए सुझाव निम्नलिखित हैं।

• जहां भी वर्षाजल संरक्षण को अपनाया गया है उनकी वार्षिक देख-भाल की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
• वर्षाजल संरक्षण के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, इसके लिए बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स व अन्य तरीकों को इस्तेमाल में लाना चाहिए जिसमें कि स्कूलों व इंस्टीटयूटस की महती भूमिका हो सकती है।
• एक मोबाइल वैन के माध्यम से हम इसके प्रचार को अधिक लोगों तक व प्रभावी तरीके से पहुंचा सकते हैं।
• वर्षाजल संरक्षण कराने वालों को हाउस टैक्स में कमी या किसी अन्य प्रकार की सरकारी छूट देकार प्रोत्साहित किया जा सकता है।
• वर्षाजल संरक्षण कराने व इसके प्रचार-प्रसार करने वालों को प्रोत्साहित करने हेतु एक पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाना चाहिए।
• वर्षाजल संरक्षण के लिए प्राधिकरण व प्रशासन को सख्ताई भी अपनानी चाहिए।

सेमीनार में जिला वन संरक्षक अनुपम गुप्ता ने बुंदेलखण्ड के जंगलों में जल संरक्षण के लिए किए गए अपने कार्यों का एक प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत किया। इसमें उन्होंने बीहड़ के जंगल में बनाए गए छोटे-छोटे चेकडैम व तालाबों के बारे में बताया तथा उनकी उपयोगिता के चलते जंगल को हुए लाभ के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि इस कार्य को मेरठ के हस्तिनापुर के जंगल में अपनाने का कार्य किया जाएगा।

डाक्यूमेंट्री व दोनों प्रस्तुतिकरण के पश्चात सेमीनार में आए आगंतुकों ने वर्षाजल संरक्षण के संबंध में अपने मन की जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए सवाल पूछे तथा प्रस्तुतिकरण प्रस्तुत करने वाले वक्ताओं ने उनके जवाब दिए।

दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार संजीव जैन ने अपनी लेखनी द्वारा उठाए गए जल संबंधी मुद्दों पर प्रकाश डाला तथा वर्षाजल संरक्षण को एक मिशन के तौर पर अपनाने का सुझाव दिया।

प्रभागीय वनाधिकारी ललित कुमार जल संरक्षण में पेड़ों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जब अधिक पेड़ होंगे तो वर्षा भी उतनी ही अच्छी होगी।

मुख्य वन संरक्षक सुनील पाण्डे ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमें वर्षाजल संरक्षण के साथ-साथ वर्षाजल के पुर्नउपयोग पर भी कार्य करना चाहिए तथा एक ऐसी अवैतनिक कमेटी जिला स्तर पर बनानी चाहिए जोकि समय-समय पर जल संरक्षण के विषयों पर चर्चा करने तथा उसको लागू करने के लिए परियोजना पर चरणबद्व तरीके से कार्य करने में भी सहयोग करे।

सेमीनार की अध्यक्षता कर रहे मृत्युंजय कुमार नारायण ने अपने सम्बोधन में कहा कि जल ही जीवन है अर्थात जल के बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ऐसे में हमें इसके संरक्षण पर अधिक से अधिक ध्यान देना चाहिए। जब हम अपना घर बनाने में 25-30 लाख रूपये खर्च कर सकते हैं तो हमें वर्षाजल संरक्षण पर भी 25-30 हजार रूपये खर्च करने में कंजूसी नहीं बरतनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि प्राधिकरण में ऐसी व्यवस्था हो कि जहां कोई भी व्यक्ति जो कि अपने भवन या अन्य स्थान पर वर्षाजल संरक्षण कराने का इच्छुक हो, उसे निःशुल्क तकनीकि सहायता मिल पाए। उन्होंने कहा कि वर्षाजल संरक्षण के प्रशिक्षण हेतु गोष्ठियों का आयोजन किया जाना चाहिए।

तनवीर जफर अली ने अन्त में कहा कि मण्डलायुक्त के निर्देशानुसार शीघ्र ही प्राधिकरण में वर्षाजल संरक्षण तकनीकि देने हेतु एक यूनिट तैयार की जाएगी तथा वर्षाजल संरक्षण के प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सुनील पाण्डे द्वारा दिया गया सुझाव जल संरक्षण जैसे मुद्दों को हल करने के लिए एक जिला स्तर पर अवैतनिक कमेटी का गठन भी शीघ्र ही किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्राधिकरण द्वारा तीन तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा चुका है तथा दस तालाबों का कार्य भी शीघ्र ही पूरा कराया जाएगा। शहर में वर्षाजल संरक्षण के प्रचार-प्रसार हेतु होर्डिंग्स भी लगाए जा चुके हैं।

उन्होंने जल संरक्षण को बढ़ावा देने के सन्दर्भ में प्राधिकरण के आगामी कार्यक्रम के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि शीघ्र ही मेरठ शहर में जल जागरूकता के लिए एक रैली का आयोजन किया जाएगा, जिसमें कि जलपुरुष राजेन्द्र सिंह को आमंत्रित किया जाएगा।

उपाध्यक्ष महोदय ने कार्यक्रम में पधारने पर सभी को धन्यवाद प्रस्तुत किया।

सेमीनार के अंत में उपस्थित आगंतुकों ने अपने यहां वर्षाजल संरक्षण कराने की इच्छा जताई तथा अपने भवनों व कॉलोनियों में वर्षाजल संरक्षण सेवा प्रदाता को आमंत्रित किया है। कार्यक्रम का संचालन नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन त्यागी ने किया।

खास बातें


• प्राधिकरण में वर्षाजल संरक्षण तकनीकि देने हेतु एक यूनिट तैयार की जाएगी।
• वर्षाजल संरक्षण के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
• जल संरक्षण संबंधी मुददों को हल करने के लिए जिला स्तर पर अवैतनिक कमैटी का गठन किया जाएगा।
• वर्षाजल संरक्षण को मिशन के तौर पर लिया जाएगा।
• वर्षाजल संरक्षण अपनाने वालों को उसकी वार्षिक देख-रेख रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
• प्राधिकरण के क्षेत्र में आने वाले पूरी तरह से भर चुके तालाबों को पुनर्जीवित किया जाएगा।
• वर्षाजल संरक्षण के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, इसके लिए बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स व अन्य तरीकों को इस्तेमाल में लाया जाएगा।
• वर्षाजल संरक्षण कराने व इसके प्रचार-प्रसार करने वालों को प्रोत्साहित करने हेतु एक पुरूस्कार प्रतिवर्ष दिया जाना चाहिए।
• वर्षाजल संरक्षण के लिए प्राधिकरण द्वारा कुछ सख्ताई भी अपनाई जाएगी।
• वर्षाजल संरक्षण की एक्सपर्ट सेवा प्रदाता एजेंसी को प्राधिकरण में रजिस्टर्ड किया जाएगा।

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