जल स्वराज अभियान में भागीदारी करें

30 Jun 2011
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यमुना, गए एक हजार वर्षों में नौ विभिन्न राजवंशो की राजधानी रही दिल्ली की जीवनदायिनी बनी रही है, किन्तु बेपरवाही और अनियंत्रित विकास के कुछ ही दशकों में अब यह गन्दे नाले में तब्दील हो गई है। अब ऐसे हजारों तालाबों, झीलों, और जोहड़ों का अस्तित्व नहीं रहा, जिनमें बरसात का पानी जमा होता था। भूमि के ऊपरी तल का पानी गायब हो गया या प्रदूषित होकर रह गया है। अब स्थिति यह है कि निचली सतह का पानी निकालने की होड़ सी लग गई है। इससे भूजलस्तर तेजी से घट रहा है; जिससे राजधानी में गंभीर जलसंकट उपस्थित हो गया है।

दिल्ली की प्यास बुझाने के दो रास्ते हैं: एक आधार है, जल का संरक्षण और उसका पुनर्नियोजन करना और दूसरा अस्थाई अल्पावधिक समाधान है, दूसरे नदी तटबंधो से धारा मोड़कर पानी ले आना। इसमें हजारों लोग अपने रोजगार और जीवन की आवश्यक सुविधाओं से वंचित हो जाएंगे। बाहर से लम्बी दूरी से मोड़कर धारा लाने की सोच- जल के निजीकरण पर आधारित है। इसका उदाहरण सोनिया विहार स्थित स्वेज-डिग्रोमेंट प्लांट है; जिसके तहत गंगा का पानी दिल्ली लाकर लोगों को दस गुने दाम पर बेचा जाएगा।

''कैसे स्वयं बुझाए दिल्ली अपनी प्यास” (यमुना को प्राणवान करने से ही स्थानीय जलस्रोंतों को नवजीवन मिलेगा) जनता के सामने रखने में हमें प्रसन्नता हो रही है। इस उपक्रम में हमारे जल स्वराज अभियान को पानी मोर्चा का सहयोग रहा है। पानी मोर्चा जल संरक्षण, सरकारी जलनीति और आयोजन में जनता की भागीदारी और सभी के लिए पर्याप्त जल की उपलब्धता हो; इन मुद्दों पर जनता में जागरूकता लाने के प्रति समर्पित रहा है।

जल स्वराज अभियान का आरम्भ रिसर्च फाउंडेशन फॉर साईंस टैक्नॉलोजी एण्ड इकॉलोजी तथा नवधान्य द्वारा किया गया था। उसका उद्देश्य जल अवक्षय, जल प्रदूषण और निजीकरण जैसे कार्यों को आम जनता के सहयोग से बदलना और जल को प्राणदायी आवश्यकता के रूप में स्थापित करना है। जल स्वराज में भागीदारी कीजिए और जल लोकतंत्र स्थापित करने में अपना सहयोग दीजिए।

वन्दना शिवा
संस्थापक और प्रबन्ध निदेशक, रिसर्च फाउंडेशन फार साईंस टैक्नालोजी एण्ड इकॉलोजी नवदान्य

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