जलाभिषेक अभियान

जलाभिषेक क्या है?

1. भविष्य के लिए जल संचय।

2. पानी की हर बूंद को सहेजने का नया आंदोलन।

3. धरती माता की प्यास बुझाने का अभिनव आन्दोलन।

4. प्रदेश एवं गांव में जल संवर्धन का नूतन आंदोलन।

5. रेन वाटर हार्वेस्टिंग।

6. मध्य प्रदेश के समाज और शासन का नया प्रकल्प।

पानी कैसे खो गया?


1. हम धरती की ऊपरी सतह को कृत्रिम तरीके से सख्त व कठोर बनाते चले गये।

2. हमने जानवरों व जंगलों को समाप्त कर धरती की ऊपरी सतह को रिसावदार बने रहने की प्रक्रिया को बाधित किया।

3. हमने संकट के समय काम आने वाले भू-गर्भ जल को नलकूपों के माध्यम से दोहन किया ।

4. हमने अपने ज्ञान का उपयोग केवल जल के दोहन में लगाया पुनर्भरण की ओर हमने सोचा ही नहीं।

एक प्यासे कौवे की समझदारी-

कौवा प्यासा था, अपनी समझदारी से उसने घड़े में कंकड़ डाल-डाल कर पानी ऊपर लाया और पानी पीकर उड़ गया हमने कौए की तरह समझदारी दिखाकर हर बार धरती के अंदर छिपे भू-गर्भीय जल के घड़े को खाली ही किया, बल्कि उसे भरने का प्रयास नहीं किया। हम कौवे की तरह उड़ नहीं सकते, इसलिए समूची मानवता की प्यास बुझाने के लिए धरती में छिपे भू-गर्भीय जल के घड़े को बरसात के पानी को सहेजकर भरना होगा तो हम आने वाले कल के लिए जल को सुरक्षित कर पाएंगे।जन-जन के सहयोग से लिखी जायेगी।

जल संरक्षण - संवर्धन की अभिनय इबारत -

हर गांव के हर खेतों में, गांव का पानी रूकेगा गांव में और जन- जन की भागीदारी तथा शासन के सहयोग से जल संरक्षण की लिखी जायेगी एक जीवंत कहानी।एक करे से होत नहिं, सकल जब कोय। ग्राम एकता कीजिये, जल संरक्षण होय।।

जीवन की तीन जरूरतें-



1. एक रोटी, कपड़ा और मकान।

2. जरा सोचें क्या उक्त तीनों जरूरतें पानी के बिना पूरी हो सकती है। यदि नही तो फिर पानी के साथ एक सौतेली परिभाषा क्यों? जल तो मौलिक, संवैधानिक अधिकार के साथ-साथ हम सबका मानवाधिकार भी है- ‘’पानी है अनमोल रतन, इसे सहेजें, करे जनत’’ ।

3. पुराने कुओं, बावडियों, तालाबों की मरम्मत, नवीन कूपों, खेत तालाबों एवं अभिनय संरचनाओं में हम सबको सहेजनी होगी वर्षा की एक-एक रजत बूंदें।

जरा ध्यान दें-

प्रदेश में एक साल में मात्र 100 घंटे वर्षा होती है, अगर 100 घंटे के दौड़ने वाले बरसाती पानी को हम चलना सिखाएं, चलने वाले पानी को रेंगना सिखाएं और ज ब वह धीमी गति से रेंगने लगे तो उसे हम सहेजकर अभिनव संरचनाओं में संबर्धन कर लें तो इस जल का इस्तेमाल हम 8680 घंटे कर सकते है।

संकलन/टायपिंग- नीलम श्रीवास्तव, महोबा

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