जलसंग्रह में मनरेगा का है योगदान

बोकारो जिले के एक गांव में मनरेगा के तहत बना तालाब
बोकारो जिले के एक गांव में मनरेगा के तहत बना तालाब
जल संग्रह में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की योजनाओं का भरपूर योगदान है। पूरे झारखंड में मनरेगा के जरिये एक लाख से ज्यादा तालाब एवं बांध बनाये गये हैं। लगभग 79 हजार सिंचाई कूपों का निर्माण हुआ है। चूंकि मनरेगा मजदूर के हित पर आधारित है, इसलिए इसके निर्माण कार्य बिना मशीन के किया जाता है। ऐसे में तालाबों या बांधों की संरचना भी बहुत छोटी होती है। निर्माण के दौरान तालाब के मानकों पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इससे इसकी जल संचयन क्षमता कम होती है। साल भर पानी नहीं रहता है। लेकिन मानसून के चार महीनों में जल को रोकने का काम ये तालाब जरूर करते हैं। जल को रोकने का भी अच्छा फायदा होता है। इससे भूमिगत जलस्तर में वृद्धि होती है।

मनरेगा के तालाबों का सिंचाई में उतना योगदान नहीं हैं, लेकिन कुओं ने तो पूरा परिदृश्य ही बदल दिया है। सिर्फ मनरेगा के कुएं से एक लाख हेक्टेयर भू-भाग पर सिंचाई की सुविधा पिछले दो सालों में बहाल हुई है। इन कुओं ने रबी फसलों के आच्छादन को बढ़ा दिया है। इन कुओं से सब्जियों की खेती भी अच्छी हो रही है। पूरे राज्य में सबसे ज्यादा कुएं गढ़वा, देवघर एवं चतरा में बने हैं। जबकि कुआं निर्माण में साहिबगंज, कोडरमा एवं जामताड़ा पिछड़ गये हैं।

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