जलवायु परिवर्तन : पहले लम्बी खींच फिर एकमुश्त पानी

Monsoon
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पिछले कई सालों से बदल रहा है मानसून का ट्रेंड

धार। किसान से लेकर आम आदमी मानसून के मिजाज से परेशान है। एक तरफ 24 जून से लेकर 17 जुलाई तक पानी ही नहीं बरसा। करीब 23 दिन तक लगातार पानी की खींच हो जाना इस बात का संकेत है कि जलवायु परिवर्तन की कठिन चुनौतियों का दौर शुरू हो चुका है।

कृषि वैज्ञानिक भी मान रहे हैं कि 23 दिन की खींच के बाद एकमुश्त पानी बरसना भी इसी परिवर्तन के लक्षण हैं। 36 घंटे में कहीं 7 इंच कहीं 10 इंच बारिश होने से फसलों पर बुरा असर पड़ता है। वहीं जनजीवन भी बुरी तरह से प्रभावित होता है। माना जा रहा है कि इस दिशा में आगामी दिनों में अध्ययन किया जाएगा और इसी के हिसाब से किसानों को तैयार रहने के लिये कहा जाएगा।

वर्ष 2014 में मानसून की सक्रियता ही नहीं बन पाई थी। जून माह के दूसरे पखवाड़े से लेकर जुलाई के तीसरे सप्ताह तक पानी नहीं बरसा। इस तरह के हालात में किसानों को बोवनी करना भी चिन्ताजनक लग रहा था। यह अलग विषय है कि बोवनी हुई और सोयाबीन का उत्पादन कुछ हद तक बेहतर भी रहा।

लेकिन वर्ष 2015 में फिर मानसून का ट्रेंड बदला और हालात भी बदले हैं। जून माह में सही समय पर मानसून का आगमन तो हो गया किन्तु उसकी सक्रियता खत्म हो गई। किसानों ने समय पर बोवनी कर दी लेकिन लगातार 23 दिन तक पानी नहीं बरसा।

 

सोयाबीन ही लड़ सकती है विषम हालात में


खरीफ फसलों में मुख्य रूप से सोयाबीन व मक्का की बोवनी की जाती है। इसमें सोयाबीन ही एक ऐसी फसल है जो कि करीब 20 से 25 दिन पानी नहीं बरसने पर भी ज़मीन की नमी और वातावरण की नमी से संघर्ष कर पाती है। तेजी से किसानों ने सोयाबीन की वैरायटी को बदला है। आने वाले समय में सोयाबीन खेती की प्रकृति और भी बदलेगी।

इसकी वजह यह है कि जिस तरह से मानसून का ट्रेंड बदल रहा है उससे सोयाबीन एक ऐसी फसल है जो कि विषम हालात में लड़ पाती है। इसलिये इसी को किसानों के लिये वरदान के तौर पर देखा जा रहा है।

 

 

 

बारिश का हाल


नगर सहित जिले में सोमवार को भी बारिश का क्रम जारी रहा। जिले में अब तक कुल 292.8 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। जबकि गत वर्ष इस अवधि तक 145.5 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष अब तक 147.3 मिमी औसत वर्षा अधिक दर्ज की गई है।

सर्वाधिक वर्षा बदनावर में 520.4 मिमी तथा सबसे कम वर्षा बाग में 198 मिमी दर्ज हुई है। सतत बारिश से तालाबों में पानी की आवक होने लगी है। शहर के पेयजल आपूर्ति के प्रमुख स्रोत सीतापाट सहित नयापुरा आदि तालाबों में भी पानी की आवक हुई है। इधर सतत बारिश के कारण जनजीवन भी प्रभावित हुआ है। स्कूल के पुराने भवनों में पानी घुसने से परेशानी हुई।

जलवायु परिवर्तन का असर तेजी से देखने को मिल रहा है। एक समय यह था कि समय-समय पर बारिश हुआ करती थी। लेकिन अब लम्बी खींच और एकमुश्त बारिश का दौर शुरू हो गया है। इसने फसलों को लेकर कहीं-न-कहीं परेशानी खड़ी की है। फिलहाल फसलों की स्थिति बेहतर है। लेकिन उज्जैन या अन्य जिलों जैसे हालात के तहत अतिवर्षा की स्थिति बनती तो दिक्कत हो सकती थी।
एके बड़ाया, प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र धार

 

 

 

 

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