जलवायु परिवर्तन से भारत में बढ़ेगा चक्रवात, गर्मी होगी और तेज

तूफान; फोटो : needpix.com
तूफान; फोटो : needpix.com

कभी-कभार आ रहे चक्रवात, भारी बारिश के चलते बाढ़ व तापमान में इजाफा के कारण भीषण गर्मी से अगर आप परेशान हैं, तो आपको इसकी आदत डाल लेनी चाहिए और सिर्फ आदत ही नहीं डाल लेनी चाहिए, बल्कि ये मान लेना होगा कि आने वाले समय में मौसम और खराब होगा। मतलब कि आनेवाले समय में पिछले दिनों बंगाल में तबाही मचाने वाले सुपर साइक्लोन अंफान और पिछले साल 170 लोगों को मौत की नींद सुला देने वाली गर्मी जैसी मौसमी गतिविधियां और बढ़ेंगी। 

ये बातें सिर्फ आपको डराने के लिए नहीं कही जा रही हैं, बल्कि इसके पीछे ठोस वजहें हैं। केंद्र सरकार की तरफ से पिछले दिनों जारी की गई एक विस्तृत रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया है कि आने वाले समय में मौसमी गतिविधियों में भयावह स्तर पर बदलाव आएगा, जो जान-माल की भारी क्षति का कारण बन सकता है। रिपोर्ट मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज की तरफ से जारी की गई है। ‘असेसमेंट ऑफ क्लाइमेट चेंज ओवर इंडियन रीजन’ नाम की लगभग 250 पन्ने की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में तापमान में बेतहाशा इजाफा होगा। इतना ही रिपोर्ट में भीषण लू चलने से लेकर आंधी-तूफान तक को लेकर गंभीर अनुमान लगाए हैं।

गौर करने वाली बात ये है कि भारत सरकार की तरफ से इससे पहले ऐसी कोई भी रिपोर्ट जारी नहीं हुई थी जबकि जलवायु परिवर्तन पर चर्चा पछले कई दशकों से हो रही है। रिपोर्ट की प्रस्तावना में  मंत्रालय के सचिव एम राजीवन कहते हैं, “जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर समीक्षा रिपोर्ट की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत की तरफ से जारी ये पहली रिपोर्ट है और इससे शोधार्थियों, छात्रों, अर्थशास्त्रियों व पर्यावरणविदों को बहुत मदद मिलेगी।” उन्होंने ये भी कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते क्षेत्रीय स्तर पर जो बदलाव आए हैं उससे साफ है कि इसमें मानवीय हस्तक्षेप है। 

रिपोर्ट में कई हैरतंगेज खुलासे किए गए हैं, जो आने वाले समय में भारत में मौसम में बेतरह बदलाव आने का संकेत देते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 21वीं सदी के अंत तक भारत के तापमान में 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी, जबकि इसी अवधि तक गर्म दिन और गर्म रातों में 55 और 70 प्रतिशत का इजाफा होगा। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने दो साल पहले एक रिपोर्ट जारी कर कहा था कि वैश्विक स्तर पर तापमान में इजाफे को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखना होगा। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अप्रैल-जून के बीच हीटवेव (लू) में 3 से 4 गुना तक बढ़ोतरी हो सकती है। भारत कई हिस्सों में हम पहले से ही देख रहे हैं कि गर्मी बढ़ रही है। बिहार में तो लू के कारण पिछले साल कर्फ्यू तक लगाने की नौबत आ गई थी। साल 1901 से 2018 के बीच तापमान में इजाफे का मूल्यांकन किया जाए, तो इन वर्षों में तापमान में 0.7 प्रतिशत तक का इजाफा ही हुआ था, लेकिन अब जो नया अनुमान लगाया है वो कई गुना ज्यादा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि बर्फ के पिघलने से वैश्विक स्तर पर समुद्र के जलस्तर में इजाफा हो रहा है और 21वीं सदी के अंत तक 300 मिलीमीटर तक बढ़ सकता है। समुद्री जलस्तर बढ़ने का प्रभाव सुंदरवन में स्पष्ट तौर पर दिख रहा है। सुंदरवन के कई द्वीप समुद्र का जलस्तर बढ़ने से पानी में डूब गए हैं और लोगों को अन्यत्र शरण लेनी पड़ी है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्रा का जलस्तर बढ़ने से इसका असर चक्रवातों पर भी पड़ेगा। देखा गया है कि मॉनसून पूर्व ट्रॉपिकल साइक्लोन में गिरावट आई है, लेकिन मॉनसून के बाद प्रभावशाली चक्रवातों में बढ़ोतरी हुई है। इन सबको देखते हुए रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आनेवाले वर्षों में चक्रवात में इजाफा होगा।  

रिपोर्ट में हालांकि राज्यों की स्थिति के बारे में नहीं बताया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि समुद्र तटवर्ती इलाकों में इसका असर सबसे अधिक होगा। मसलन मुंबई, कोलकाता, गुजरात, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के समुद्र तटवर्ती क्षेत्रों को इसका ज्यादा नुकसान झेलना होगा, क्योंकि ये समुद्र के किनारे बसे हुए हैं। जानकारों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते जलवायु में तीव्रता से आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचों में वृद्धि बुरी तरह प्रभावित हो सकती है, जो आखिरकार आमलोगों के जीवनस्तर पर असर डालेगी। 

(मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज की तरफ से जारी रिपोर्ट ‘असेसमेंट ऑफ क्लाइमेट चेंज ओवर इंडियन रीजन’ को यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं।)

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