जनता ने उतारी गंगा

14 Jul 2009
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कानपुर देहात। शिवली स्थित शोभन आश्रम की अगुवाई में जनता के भगीरथ प्रयास से गंगा उतरने की घटना मूर्त रूप ले रही है। कर्मकांड से अलग हट कर इस आश्रम के स्वामीजी ने इहलोक सुधारने को वरीयता दी और दर्जनों गांवों की हजारों हेक्टेयर असिंचित भूमि की प्यास बुझाने के लिए जनसहयोग से नहर का निर्माण करा दिया। यह महत्वाकांक्षी पब्लिक कैनाल परियोजना अब पूरी होने की ओर है।

कानपुर नगर से करीब 35 किमी की दूर टाऊन एरिया शिवली से पांडु नदी बहती है। विडंबना यह कि इस नदी का पानी किनारे गांवों की धरती के काम नहीं आ रहा था। वजह सिर्फ इतनी है कि नदी की गहराई अधिक है और किसानों के खेत ऊंचाई पर हैं। किनारे स्थित खेतों के किसान तो पंपिंग सेट लगाकर सिंचाई कर लेते थे, पर दूरस्थ गांवों के लोग सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर ही निर्भर थे। दुर्योग से बीते कुछ सालों से बारिश कम होने और सिंचाई संसाधनों की कमी से पैदावार घटती गयी और पानी के अभाव में खेत ऊसर होने लगे।

पिछले वर्ष पड़े सूखे से स्थिति और भयावह हुई तब गांव वालों की समस्या और जल संरक्षण की महती आवश्यकता को लेकर चिंतित शोभन आश्रम के परमहंस स्वामी विरक्तानंद महाराज शोभन सरकार ने आगे बढ़ कर अपनी सामाजिक छवि के अनुरूप ही आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने यह समस्या दूर करने की ठानी और करीब तीन महीने पहले उन्होंने पब्लिक कैनाल का निर्माण शुरू कराया। धीमे-धीमे ग्रामीण भी साथ होने लगे। बिनी किसी सरकारी सहायता के करीब तीस ट्रैक्टर, दो जेसीबी व सवा सौ मजदूर कार्य पर लगे लगभग इतने ही ग्रामीणों ने श्रमदान करना शुरू किया। तीन माह में ही एक पब्लिक कैनाल व तीन झीलों का निर्माण हो गया। कैनाल में पानी की कमी न रहे इसके लिए शोभन सरकार के निर्देश पर तली से दस फीट और मुहाने से पंद्रह फीट चौड़ाई वाली नहर के लिये पांडु नदी में लगाये गये पंपिग सेट से ढाई किमी पर पांच मीटर गहरी झील बनायी गयी हैं। यहां से उत्तर, दक्षिण व पश्चिम दिशाओं में तीन माइनर निकाले जाने का काम प्रगति पर है। इन माइनरों के बनने के बाद शोभन, बैरी दरियाव, जुगराजपुर, कल्यानपुर, हृदयपुर, रुदापुर, असई, अनूपपुर, बैरी बस्ता, सिंहपुर, ललऊपुरवा, ढाकनपुरवा, गंभीरपुर, पर्वतपुरवा व दुंदपुर समेत चालीस से अधिक गांवों के किसानों को जमीन की सिचाई के लिए हर समय पानी तो उपलब्ध रहेगा ही इन गांवों में दशकों से सूखे पड़े तालाबों और सरोवरों में भी पानी भराया जा सकेगा, जिससे जल संरक्षण का उद्देश्य भी फलीभूत होगा।

खास बात यह है कि नहर निर्माण के लिए न तो कोई इंजीनियर लगाया गया है और न ही कार्य किसी विशेषज्ञ की देखरेख में हो रहा है। बस शोभन सरकार के निर्देश पर आम मिस्त्री इस काम को अंजाम दे रहे हैं। तकनीकी ऐसी है कि पांडु नदी स्थित गौरी पुल के नीचे करीब दस ट्रक बड़े पत्थर डालकर बांध बनाया गया है। साफ है कि बड़ी मात्रा में पड़े इन पत्थरों के बीच से नदी का पानी आसानी से झरने की तरह निरंतर निकल रहा है और पंपिंग सेट के लिए जरूरत के मुताबिक पानी का स्तर भी बढ़ा लिया गया है। मौजूदा समय में दस छोटे पंपिंग सेट लगाकर छह इंच के पाइपों से पानी लिफ्ट कर नहर में छोड़ा जा रहा है, जो लाखों लीटर पानी प्रतिघंटा निकाल रहे हैं।

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