झील धरती का सुख है

झील धरती का सुख है
जिस में आकाश लहराता रहता है
अपने बचपन के दोस्त आबो-हवा के साथ

अपनी चाँदनी के लिए
पानी मालकौंस गाता है

चिडि़यों के कोरस में
प्रेम-पत्र की एक पंक्ति अरझ जाती है
किनारे पर बैठे हुए प्रेमी युगल
जिसे सुलझाते आपस में डूबे हुए हैं

हवा एक अलंकार है
लहरें जिससे अपना शृंगार करती हैं

धूप एक छन्द है
पानी पर जिसका हर स्वर चमक रहा है

झील धरती का सुख है
सूखा से बचाकर रखना होगा
हरहमेश जिसे!

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