कैसे चमकती है आसमान में बिजली


प्रायः वर्षात के दिनों में विशेषकर जब गर्मी होती है तब आपने देखा होगा कि बादल बहुत गरजते हैं और उसके साथ आकाश में कड़कड़ाती तेज बिजली भी चमकती है। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? दरअसल, यह बादलों की गरज के साथ स्थैतिक विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होने के कारण होता है और सभी प्रकार की विद्युत उत्पत्ति का सिद्धान्त एक ही होता है। इसको समझाने के लिये आपको यह जानना होगा कि प्रत्येक पदार्थ अणुओं से बना होता है और अणु परमाणुओं से बने होते हैं। प्रत्येक परमाणु में एक नाभिक होता है और नाभिक के चारों ओर ऋण आवेशित इलेक्ट्रोन होते हैं, जो कि विभिन्न कक्षों में चक्कर लगाते रहते हैं।

नाभिक में प्रोटॉन व न्यूट्रॉन होते हैं। एक प्रोटॉन पर एक ईकाई धन आवेश पाया जाता है। परमाणु में जितने प्रोटोन होते हैं उतने ही इलेक्ट्रॉन होते हैं, जिसके कारण परमाणु उदासीन होता है। जब परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा में किसी प्रकार से वृद्धि हो जाती है तो बाह्य कक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉन बाहर निकल कर किसी अन्य परमाणु से जुड़ जाते हैं। इससे परमाणु में प्रोटॉन इलेक्ट्रॉन संख्या का सन्तुलन बिगड़ जाता है। जिन परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों की संख्या से अधिक हो जाती है उनपर ऋण आवेश तथा जिनमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों की संख्या से कम हो जाती है उन पर धन आवेश उत्पन्न होता जाता है।

हम जानते हैं कि आसमान में उपस्थित वायुमंडल में विभिन्न गैसें और जलवाष्प होती हैं। अन्य पदार्थों की तरह ये भी मूल रूप से अणुओं और परमाणुओं से बनी होती हैं। जब पृथ्वी गर्म होती है तो हवा गरम हो जाती है और गर्म हवा ऊपर उठती है। जैसे-जैसे हवा ऊपर उठती है जलवाष्प ठंडी होने लगती है और बादल बन जाते हैं। ऊपर उठते-उठते बादल बड़े हो जाते हैं। अत्यधिक ऊँचाई पर बादलों में ताप हिमांक यानि बर्फ जमने वाले ताप से भी कम हो जाता है और जलवाष्प बर्फ में बदल जाती है। इधर-उधर घूमते हुए जब ये ठंडे व संघनित बादल आपस में टकराते हैं तो एक-दूसरे से रगड़ के कारण बादलों में इलेक्ट्रॉन असन्तुलन उत्पन्न हो जाता है। जिसके कारण एक विद्युत विभव उत्पन्न होने लगता है। जब विभव का मान एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है तो इलेक्ट्रिक डिसचार्ज यानि विद्युत विसर्जन होता है।

इलेक्ट्रॉन अपनी अधिकता के स्थान से कमी वाले स्थान की ओर दौड़ते हैं। और इस विद्युत् विसर्जन के कारण आकाश में एक तेज चमक उत्पन्न होती है, जिसे तड़ित विद्युत या बिजली का कड़कना कहते हैं। चूँकि विद्युत विसर्जन बादल के अलग-अलग भागों में अनियमित रूप से होता है, इसलिए तड़ित विद्युत् टेड़ी मेड़ी चमकती रेखाओं के रूप में दिखाई देती है। इस दौरान अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा भी उत्पन्न होती है, जिसके कारण हवा में तेजी से प्रसार होता है, जिसके फलस्वरूप गड़गड़ाहट की ध्वनि उत्पन्न होती है।

बिजली चमकने के दौरान आपने देखा होगा कि बादलों की गड़गड़ाहट बाद में सुनाई पड़ती है जबकि बिजली की चमक पहले दिखाई देती है। क्या आप सोच सकते हैं ऐसा क्यों होता है?

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